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सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाना , क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?

सोमवार को शिवलिंग पर शिवजी की मनपसंद चीज अर्पित करने से प्रसन्न होते हैं महादेव। आगे पढ़ें सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से मिलता है लाभ –

सोमवार का दिन भगवान शिव का दिन होता है। भगवान शिव, जिन्हें तीनों लोकों का स्वामी माना जाता है, और जिनकी पूजा साधारण मनुष्य के साथ-साथ खुद देवी-देवता भी करते हैं, यूं तो नियमित रूप से शिवजी और शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। लेकिन शिव जी के दिन, सोमवार को शिवलिंग एवं शिव जी के किसी भी स्वरूप का विधि विधान के साथ पूजन अर्चन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

शिवलिंग जिसे भगवान शिव का निराकार स्वरूप माना जाता है, सोमवार के दिन विधि विधान के साथ शिवलिंग पर अभिषेक करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट कटते हैं । सनातन धर्म से जुड़ा हुआ हर व्यक्ति विधि-विधान के साथ शिवलिंग का पूजन करता है।

सनातन धर्म में शिवलिंग के पूजन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं जिनका विधिपूर्वक पालन करना अनिवार्य है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग का पूजन नियम पूर्वक ही करना चाहिए। शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस बात की जानकारी होना आवश्यक है की शिवलिंग पर कौन सी चीज अर्पित की जाए और कौन सी चीज ना अर्पित की जाए। इसके साथ ही किस दिन शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए ? इस बात की भी जानकारी होना आवश्यक है।

आगे इस पोस्ट में पढ़ें सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होते हैं, और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं ?

सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं ?

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सनातन धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को अर्पित किया गया है। इस दिन विधि-विधान के साथ शिवजी की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, और मां की सभी मुरादे पूरी करते हैं। वेदों पुराणों के अनुसार भगवान शिव के निराकार स्वरूप शिवलिंग पर सोमवार के दिन कुछ खास चीज अर्पित करने से भगवान शिव को बहुत प्रसन्नता होती है। आईए जानते हैं सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से मिलता है लाभ –

  • सनातन धर्म में शिवलिंग के अभिषेक का विशेष महत्व है। सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद एवं शक्कर का मिश्रण) अर्पित करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
  • पंचामृत से शिवलिंग को स्नान करने के पश्चात चंदन एवं भभूत लगाना चाहिए। यह दोनों ही चीज भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
  • सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा एवं शमी पत्र अर्पित करने से भी भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं, और व्यक्ति एवं उसके पूरे परिवार को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
  • सोमवार को विधि विधान के साथ शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से भी महादेव प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
  • सोमवार को शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करने से मनुष्य को उसके पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियां आती है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार को शिवलिंग पर गाने के रस से अभिषेक करने से भी शुभ लाभ की प्राप्ति होती है।
  • सोमवार को शिवलिंग पर केसर चढ़ाने से भी लाभ मिलता है। घर में सुख और शांति आती है।
  • शिवजी को इत्र अत्यंत प्रिय है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग पर इत्र अर्पित करने से मन के विचारों में भी पवित्रता और शुद्धता आती है।
  • जिन व्यक्तियों के दांपत्य जीवन में समस्याएं चल रही हैं, धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार को उन्हें शिव मंदिर में गौरी शंकर रुद्राक्ष चढ़ाने से लाभ मिलता है, और वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याएं खत्म होती हैं।
  • चावल के दाने जिसे अक्षत के रूप में संबोधित किया जाता है, इसका उपयोग कई शुभ कामों में किया जाता है। शिवलिंग पर भी अक्षत चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार को शिवलिंग पर अक्षत चढ़ाने से सभी आर्थिक समस्याओं जैसे कर्ज, धन की कमी से मुक्ति मिलती है, और घर में बरक्कत होती है।

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ?

सोमवार को शिवलिंग पर

शिवलिंग पर शिवजी की पसंदीदा चीज अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली चीजों में दूध, दही, बेलपत्र, धतूरा, काला तिल, मूंग की दाल, गुलाल, अक्षत, शहद इत्यादि शामिल हैं। लेकिन कुछ ऐसी भी चीजे हैं जिन्हें भूल कर भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए, अन्यथा फायदे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। आईए जानते हैं वह कौन सी चीजें है जिन्हें शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए –

धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव अथवा इनके निराकार स्वरूप शिवलिंग पर भूल कर भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। इसके पीछे की एक पौराणिक कथा भी बताई गई है। जो कुछ इस प्रकार है –

तुलसी एवं शिव जी से जुड़ी पौराणिक कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी जी अपने पूर्व जन्म में जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी और उनका नाम था वृंदा। वृंदा एक पतिव्रता नारी थी, जबकि उसके पति जालंधर जिसमे शिव जी का थोड़ा अंश था, लेकिन उसके बुरे कर्मों की वजह से राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था। वो बहुत घमंडी था और सबको बहुत परेशान किया करता था। वृंदा की पतिव्रता के प्रताप की वजह से कोई भी जालंधर को मार नहीं पा रहा था, परंतु मांक्टा की रक्षा के लिए जालंधर का विनाश होना आवश्यक था।

जालंधर की मौत का एक ही रास्ता था कि वृंदा का पतिव्रत धर्म नष्ट हो। तब जन कल्याण के लिए भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप बनाकर वृंदा के पतिव्रत धर्म को भंग किया। बाद में जब वृद्धा को इस बात के बारे में पता चला तो उन्होंने विष्णु जी को श्राप दिया। इधर वृंदा के पतिव्रत धर्म के भंग होते ही शिव जी ने उसके पति जालंधर को खत्म कर दिया।

वृंदा के श्राप से क्रोधित हो विष्णु जी ने उसे अवगत कराया कि वह राक्षस जालंधर से उसका बचाव कर रहे थे इसके साथ ही विष्णु जी ने वृद्धा को लकड़ी बनने का श्राप दिया। विष्णु जी के श्राप से वृंदा कालांतर में तुलसी बनी। और शिवाजी द्वारा उनके पति की हत्या किए जाने की वजह से, शिव जी के पूजन में तुलसी का चढ़ाना वर्जित माना गया।

तुलसी के साथ-साथ शिवजी की पूजा में इन पर नारियल का पानी होली कनेर का फूल कमल का फूल केवड़े का फूल एवं केतकी का फूल अर्पित नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार उपरोक्त किसी भी चीज को शिव जी को अर्पित करने से शिवजी रुष्ट होते हैं और फायदे की जगह नुकसान होता है।

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