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मन्नू भंडारी की मृत्यु कब हुई ?

15 नवंबर 2021 को हुई थी मन्नू भंडारी की मृत्यु। आगे पढ़ें मशहूर साहित्य लेखिका मन्नू भंडारी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें –

मन्नू भंडारी हिंदी साहित्य की एक मशहूर लेखिका तथा कथाकार थीं। उन्होंने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी और हिंदी साहित्य को काफी ऊंचाइयों तक लेकर गईं थीं। मन्नू भंडारी की वैसे तो लगभग सभी कहानियां तथा उपन्यास काफी मशहूर हैं, लेकिन उनके दो उपन्यास ‘आप का बंटी’ तथा ‘महाभोज’ लोगों के बीच ज्यादा प्रचलित हैं। इन दोनों उपन्यासों की वज़ह से वो लोग भी इन्हें जानने लगे थे, जिन्होंने इनका नाम पहले कभी नहीं सुना था। इसके अलावा मन्नू ने टीवी शोज के लिए भी कहानियां लिखी थीं। उनकी ‘यही सच है’ रचना पर आधारित एक हिंदी फिल्म भी बनाई गई थी। उस फिल्म का नाम ‘रजनीगंधा‘ था।

मन्नू भंडारी की पहचान एक प्रमुख भारतीय लेखिका के रूप में की जाती है। 1950 से 1960 तक उनके द्वारा की गई जो भी रचनाएं थीं, मन्नू आमतौर पर उनके लिए ज्यादा प्रख्यात हैं। उनके काम को विश्व भर में पहचाना और सराहा जाता हैं। उनकी रचनाओं को एक बड़े पैमाने पर फिल्म और मंच के लिए अनुकूलित किया जाता है। ऐसा नहीं है की सिर्फ हिंदी में ही उनकी रचनाओं का अनुवाद किया गया है।

उनकी रचनाओं का फ्रेंच, जर्मन, अंग्रेज़ी और भी कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उन्होंने 150 से भी ज्यादा लघु कथाएं लिखीं हैं। मन्नू भंडारी को हिंदी साहित्य की 21वीं सदी की सबसे उल्लेखनीय लेखिकाओं में इस एक माना जाता है। फिर 90 साल की उम्र में 15 नवंबर, 2021 में, उन्होंने अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने के बाद हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई थी। आइए आगे इस पोस्ट में जानते हैं मन्नू भंडारी की मृत्यु कैसे हुई ?

मन्नू भंडारी की मृत्यु

मन्नू भंडारी की मृत्यु

मन्नू भंडारी अपनी बेटी रचना यादव के साथ डीएलएफ फेज तीन स्थित अपने आवास पर रहा करती थीं। 9 नवंबर, 2021 में मन्नू की अचानक तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी। उन्हें बहुत तेज़ बुखार हो गया था, जिसके चलते आनन- फानन में उन्हें अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं आया और 15 नवंबर, 2021 को उन्होंने अंतिम सांस ली और दुनिया को। हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। उनके निधन की खबर जंगल में आग की तरह फ़ौरन पूरे देश में फैल गई थी। उनके निधन का सबसे बड़ा झटका हिंदी साहित्य जगत को लगा था। उनके जाने के बाद भी, आज भी उनकी रचनाएं लोगों के द्वारा काफी पसंद की जाती हैं।

मन्नू भंडारी का बचपन और शिक्षा

मन्नू भंडारी की मृत्यु 1

वर्ष 1931 में मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर जिले के भानपुरा नाम के एक गांव में हुआ था। मध्य प्रदेश में जन्म होने के बाद, उनका पालन पोषण मुख्य रूप से राजस्थान, अज़मेर में हुआ था। उनके पिता का नाम सुख संपत राय था, उनके पिता एक समाज सुधारक होने के साथ- साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। इसके अलावा उनके पिता पहले से ही अंग्रेज़ी और हिंदी से मराठी शब्दकोशों का निर्माण किया करते थे।

मन्नू भंडारी की प्रारंभिक शिक्षा अज़मेर में ही हुई थी। इसके बाद वो कलकत्ता गईं और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई को पूरा किया। इसके बाद उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से साहित्य तथा हिंदी भाषा में एमए की डिग्री हासिल की थी। इसके अलावा मन्नू भंडारी उस समय राजनीति में भी एक छात्रा के रूप में सक्रिय थीं। उनके दो सहभागी आगे चलकर भारतीय राष्ट्रीय सेना में भी शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया था। इस पर मन्नू भंडारी ने हड़ताल भी शुरू कर दी थी।

भंडारी ने सबसे पहले कलकत्ता में एक हिंदी के व्याख्याता के रूप में कार्य किया था। फिर उन्होंने प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालयों में भी पढ़ाया था। बाद में 1961 से 1965 तक उन्होंने कलकत्ता के रानी बिड़ला कॉलेज में भी पढ़ाया था। इसके बाद वो अपने पति के साथ दिल्ली आ गईं थीं और दिल्ली आने के बाद वो दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज में हिंदी साहित्य की व्याख्याता के रूप में भी काम किया था।

मन्नू भंडारी का विवाह

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मन्नू भंडारी ने एक हिंदी लेखक तथा संपादक राजेंद्र यादव से विवाह किया था। उनकी मुलाकात राजेंद्र से कलकत्ता में ही हुई थी। जब भंडारी क;लकत्ता विश्वविद्यालय में पढ़ रहीं थीं। उस दौरान ही राजेंद्र से उनकी भेंट हुई थी। पहले वो हिंदी साहित्य के विषयों पर चर्चाएं करते थे, फिर आगे चलकर इनका चर्चाएं एक व्यक्तिगत चर्चा में बदल गईं।

मन्नू भंडारी और राजेंद्र ने 22 नवंबर, 1959 में एक दूसरे के साथ सात फेरे लिए थे। इसके बाद दोनों 1964 तक कलकत्ता के तौलीगंज में ही रहे थे। फिर वो कलकत्ता से दिल्ली आ गए। दिल्ली आने के बाद उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया था, जिसका नाम रचना है। 1980 के दशक में राजेंद्र और मन्नू एक दूसरे से अलग भी हो गए थे। हालांकि, इन दोनों ने कभी एक दूसरे से तलाक नहीं लिया था। एक दूसरे से अलग होने के बावजूद भी ये एक दूसरे के दोस्त बनकर रहे थे और 2013 में राजेंद्र यादव का निधन हो गया था।

राजेंद्र यादव की मृत्यु के 8 वर्ष बाद 15 नवंबर 2021 को मन्नू भंडारी की मृत्यु हो गई।

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