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अस्थि विसर्जन कौन कर सकता है ?

किसके हाथों से किया जाना चाहिए अस्थि विसर्जन ? क्या है अस्थि विसर्जन करने की वजह ? जानें इस पोस्ट के माध्यम से –

हिंदू धर्म में मृतक के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया अस्थि विसर्जन करने के बाद ही पूर्ण मानी जाती है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए मृतक के दाह संस्कार के पश्चात शेष बची हुई अस्थियों के अवशेष एवं राख को एकत्रित करके 10 दिन के भीतर विधि-विधान के साथ की किसी पवित्र नदी के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

लोगों के मन में अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया को लेकर कई सवाल आते हैं। जैसे अस्थि विसर्जन कब करना चाहिए ? अस्थि विसर्जन की विधि क्या है ? अस्थि विसर्जन मंत्र क्या है ? अस्थि विसर्जन की आवश्यक सामग्री क्या है ? और इससे जुड़ा सबसे खास सवाल कि अस्थि विसर्जन कौन कर सकता है ? आगे इस पोस्ट में ‘अस्थि विसर्जन कौन कर सकता है ?’ इससे जुड़ी जानकारी दी गई है।

अस्थि विसर्जन कौन कर सकता है ?

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अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया किसके हाथों द्वारा पूरी की जाए, ये अस्थि विसर्जन से जुड़ा सबसे खास नियम होता है। इस नियम का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है। हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यता के अनुसार अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया, मृतक का अंतिम संस्कार करने वाले शख्स के हाथों से ही पूरी होनी चाहिए।

हिंदू धर्म में मरने वाले व्यक्ति का अंतिम संस्कार परिवार के ही किसी शख्स के हाथो किया जाता है। यदि मरने वाला व्यक्ति कोई पुरुष है तो उसके अंतिम संस्कार का पहला अधिकार उसके बड़े बेटे को मिलता है। यदि मृतक की पुत्र के रूप में कोई संतान न हो तो इस स्थिति में उसके अंतिम संस्कार का हक उसके भाई, भतीजे, पिता या चाचा को मिलता है। वहीं अगर हिंदू धर्म में किसी महिला की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार करने का पहला अधिकार उसके बेटे को मिलता है। बेटा ना होने की स्थिति में उसका पति, देवर या फिर देवर-जेठ के बच्चे उसका अंतिम संस्कार करते हैं। और फिर जो व्यक्ति मृतक का अंतिम संस्कार करता है, उसी के हाथों से अस्थि विसर्जन की प्रक्रिया भी पूरी की जाती है।

अस्थि विसर्जन क्यों करते हैं ?

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हिन्दू धर्म में मृतक के अंतिम संस्कार के पश्चात अस्थियों को पवित्र नदी के जल में प्रवाहित करने की प्रथा है। इस प्रथा का धार्मिक महत्व के साथ -साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। आइए जानते हैं अस्थि विसर्जन क्यों किया जाता है ?

अस्थि विसर्जन करने की धार्मिक वजह

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हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मनुष्य का शरीर 5 प्रमुख तत्वों – पृथ्वी, अग्नि, आकाश, वायु एवं जल से मिलकर बना हुआ है। और मृत्यु के पश्चात इस शरीर को इन्हीं पांच तत्वों में विलीन हो जाना चाहिए। इसी मान्यता को ध्यान में रखते हुए हिंदू धर्म में मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार के माध्यम से जहां शरीर पृथ्वी, अग्नि, आकाश एवं वायु में विलीन होता है, वहीं शेष बची अस्थियों को नदी के जल में प्रवाहित कर, इस शरीर को पांचवे तत्व में समर्पित किया जाता है।

अस्थि विसर्जन करने की वैज्ञानिक वजह

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अस्थियों को नदी के जल में प्रवाहित करने का सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं है, बल्कि इसके वैज्ञानिक फायदे भी है। दरअसल हड्डियों में कैल्शियम व फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इन्हें जब नदी के जल में मिलाया जाता है, तो एक बेहतरीन खाद जल में एकत्र हो जाता है। इस जल से जिस भूमि की सिंचाई होती है, वो बहुत उपजाऊ होती है। इसके अलावा ये अस्थियां जल में रहने वाले जीवों के लिए एक पौष्टिक आहार का भी काम करती है।

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