शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग का पानी किस दिशा में गिरे उससे जुड़े नियम बहुत सख्त हैं। शिवलिंग का पानी किसी भी दिशा में नहीं गिर सकता है, इस बात का खास ध्यान रखा जाता है। आगे पढ़ें शिवलिंग का पानी किस दिशा में गिरना उचित है ?
सनातन धर्म में देवों के देव महादेव की पूजा का खास महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सिर्फ साधारण मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी देवता भी महादेव की पूजा में लीन रहते हैं। पूरी सृष्टि के मुख्य कर्ता-धर्ता भगवान शिव की जो भी सच्चे मन से पूजा करता है उसके जीवन के सभी कष्ट खत्म होते हैं, और जीवन में सुख एवं समृद्धि बनी रहती है। भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग का भी खास महत्व है।
लेकिन भगवान शिव के निराकार स्वरूप शिवलिंग की पूजा से जुड़े कई नियम हैं, जिनका सख्ती से पालन किया जाना आवश्यक होता है। इन नियमों में शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए, क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ? शिवलिंग का अभिषेक किस प्रकार किया जाना चाहिए? शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम, घर में शिवलिंग को किस प्रकार रखना चाहिए ? औरतों को शिवलिंग की पूजा किस तरह से करनी चाहिए ? इत्यादि शामिल हैं।
शिवलिंग की पूजा से जुड़े नियमों में दिशाओं का भी खास ध्यान रखा जाता है। शिवलिंग का पानी किस दिशा में गिरना चाहिए, इससे जुड़ा हुआ भी एक नियम है। आगे पोस्ट में पढ़ें शिवलिंग का पानी किस दिशा में गिरना शुभ माना जाता है –
शिवलिंग का पानी किस दिशा में गिरना सही ?
जब भी शिवलिंग तैयार किया जाता है तो उसके साथ एक जलहरी भी बनाई जाती है। जलहरी यानी शिवलिंग से जुड़ा हुआ वो हिस्सा जिसके द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला द्रव पदार्थ बाहर निकलता है। इस जलहरी का मुख किस तरफ होना चाहिए, जिससे शिवलिंग का पानी एक खास दिशा में गिर सके इसी के बारे में इस पोस्ट में चर्चा की गई है।
दरअसल ज्योतिष शास्त्र एवं शिव पुराण में इस बात की व्याख्या की गई है की खास दिशा में ही रखकर शिवलिंग की पूजा करना चाहिए, अन्यथा फायदे की जगह नुकसान का सामना करना पड़ता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करते समय जातक का मुख उत्तर की दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है।
इसके लिए शिवलिंग को इस प्रकार रखा जाता है कि शिवलिंग की जलहरी का भाग उत्तर की तरफ और शिवलिंग का भाग दक्षिण की दिशा में हो। नियम पूर्वक सदैव जलहरी के विपरीत दिशा में बैठकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। ऐसे में जातक का मुख शिवलिंग का अभिषेक करते समय उत्तर की दिशा की तरफ रहेगा, इसके साथ ही शिवलिंग का पानी भी उत्तर की दिशा की तरफ बहेगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग का पानी उत्तर दिशा की तरफ गिरना ही सबसे शुभ माना जाता है। अतः प्रयास करना चाहिए कि घर में भी शिवलिंग स्थापित करते समय इस बात का ध्यान रखें की जब भी शिवलिंग का अभिषेक किया जाए तो जातक का मुख उत्तर की तरफ हो और शिवलिंग पर गिरने वाला पानी भी उत्तर दिशा की तरफ ही बहे।
शिवलिंग की जलहरी से जुड़ा एक खास नियम यह भी है कि शिवलिंग की पूजा के समय इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि भूल कर भी जलहरी को लांघा न जाए। शिवलिंग की परिक्रमा करते हुए भी, सिर्फ आधे पर ही परिक्रमा रोक देनी चाहिए और जलहरी को लांघने से बचना चाहिए।
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