अंतिम संस्कार के बाद होने वाले अस्थि विसर्जन के लिए क्या -क्या सामग्री (अस्थि विसर्जन सामग्री) आवश्यक होती है, इससे जुड़ी सभी जानकारी पढ़े इस पोस्ट में –
हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तब उसके अंतिम संस्कार करने के लिए प्रायः दाह संस्कार की विधि अपनाई जाती है। अंतिम संस्कार की इस विधि में मृतक के शरीर को स्नान इत्यादि कराने के पश्चात, लकड़ी से बनी चिता पर लिटाया जाता है और फिर मरने वाले व्यक्ति के पुत्र के हाथों से उसे मुखाग्नि दी जाती है। यदि मरने वाले व्यक्ति का कोई पुत्र नहीं होता है, तो ऐसी स्थिति में भाई, भतीजे या घर के किसी अन्य सदस्य द्वारा उसे मुखाग्नि दी जाती है।
दाह संस्कार की प्रक्रिया के पश्चात पूरा शरीर तो चिता की अग्नि में जलकर राख हो जाता है, लेकिन शव के अस्थि के अवशेष अब भी रह जाते हैं। अस्थियों के इन अवशेषों को ऐसे ही नहीं छोड़ दिया जाता। इन्हें नदी में प्रवाहित करने के बाद ही अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सफल हो पाती है। अस्थियों को नदी में प्रवाहित करते समय भी कुछ रीति-रिवाजों और नियमों का पालन किया जाता है। जैसे कि अस्थि विसर्जन कब किया जाना चाहिए ? इसके लिए आवश्यक सामग्री क्या है ? अस्थि विसर्जन करने की विधि क्या है ? इत्यादि ।
आइए इस पोस्ट में जानते हैं अस्थि विसर्जन के लिए इस्तेमाल होने वाली आवश्यक सामग्रियों के बारे में –
अस्थि विसर्जन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार यानी दाह संस्कार की क्रिया के पश्चात मृतक के घर पर 10 दिनों तक सूदक चलता है। दसवे दिन घर का शुद्धिकरण किया जाता है। इसके पश्चात 13वें दिन मृतक की तेरहवीं की जाती है, जिसमे ब्राह्मणों को भोज कराया जाता है। हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के 13वें दिन जब मृतक का तेरहवीं संस्कार कर दिया जाता है, इसके पश्चात ही उसकी आत्मा पृथ्वीलोक से यमलोक के सफर पर निकलती है। इसके बीच के दिनों में आत्मा अपने परिवार के इर्द गिर्द ही घूमती रहती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार मृतक का अंतिम संस्कार करने के पश्चात, जब चिता की अग्नि ठंडी हो जाए तब राख में से अस्थि अवशेषों को एकत्र कर लिया जाता है, और इसे घर लाया जाता है। इसके पश्चात 10 दिन के भीतर किसी पवित्र नदी में विधि-विधान के साथ इन अस्थियों को विसर्जित कर दिया जाता है। अस्थि विसर्जन से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अस्थियों का विसर्जन मृतक को मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति के हाथों से ही किया जाना चाहिए।
अस्थि विसर्जन सामग्री –
मृतक के अंतिम संस्कार के पश्चात चिता की अग्नि ठंडी होने के बाद उसकी अस्थियों को एक कलश में एकत्रित कर लिया जाता है। अब इस कलश समेत ही विधि विधान के साथ अस्थियों को नदी में विसर्जित किया जाता है।
आवश्यक सामग्री :
- दूध
- गंगाजल
- फूल
- तुलसी का पत्ता
- अबीर
- गुलाल
- सिंदूर
- कुमकुम
- चंदन
- चावल
नोट: अस्थि विसर्जन एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। विधि विधान से इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक ज्ञानी पुरोहित अथवा पंडित की आवश्यकता होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पंडित के दिशा निर्देश में ही मंत्रो के उच्चारण के साथ, पूरे विधि विधान से अस्थि विसर्जन करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है।
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