Press "Enter" to skip to content

रुद्राक्ष को शुद्ध कैसे करें ?

रुद्राक्ष को पहनने से पहले शुद्ध और सिद्ध करना आवश्यक होता है। गंगाजल, दूध और सरसों के तेल से किया जाता है रुद्राक्ष को शुद्ध।

रुद्राक्ष को धारण करने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। प्राचीन काल में सिर्फ ऋषि- मुनि ही रुद्राक्ष को पहनते थे। धीरे-धीरे जब रुद्राक्ष से जुड़े फायदे के बारे में पता चला तो साधारण मनुष्य भी रुद्राक्ष को धारण करने लगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को पहनने से मनुष्य के जीवन के कष्ट समाप्त होते हैं। कुंडली से जुड़े दोष दूर होते हैं। आर्थिक लाभ मिलता है। करियर से जुड़ी समस्याएं खत्म होती है। और अध्यात्म की तरफ झुकाव बढ़ता है। इसके साथ ही कई शोधों में इस बात की पुष्टि हुई है कि रुद्राक्ष को पहनने से स्वास्थ्य से जुड़ी हुई कई समस्याएं भी खत्म होती है।

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे भगवान शंकर के समान पूजा जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को पहनता है या अपने घर में रखता है, वो भगवान शिव के हृदय के करीब रहता है और भगवान शिव उसके जीवन की सभी समस्याओं को खत्म करते हैं।

रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति पहन सकता है, लेकिन रुद्राक्ष को पहनने के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना सबके लिए अनिवार्य होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पहनने से पहले रुद्राक्ष को शुद्ध करना और सिद्ध करना आवश्यक होता है, तभी रुद्राक्ष की ऊर्जा जागृत होती है और पहनने वाले के लिए लाभदायक होती है।

Table of Contents

रुद्राक्ष को शुद्ध कैसे करें ?

रुद्राक्ष को शुद्ध 2

रुद्राक्ष को पहनने से पहले इसे शुद्ध करना अनिवार्य होता। रुद्राक्ष को शुद्ध करने के पश्चात मंत्रो का उच्चारण करते हुए इसे सिद्ध करना होता है, तभी रुद्राक्ष की ऊर्जा जागृत होती है, और इसे पहनने का लाभ मिलता है।

रुद्राक्ष को पहनने के लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपके लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना सबसे अधिक फायदेमंद है। दुनिया में अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष मौजूद है।हर रुद्राक्ष की अलग ऊर्जा होती है। और हर रुद्राक्ष को पहनने के अलग फायदे होते हैं। करियर के अनुसार अलग अलग रुद्राक्ष पहनना उचित होता है। विद्यार्थियों के लिए अलग रुद्राक्ष होता है। अपने लिए सबसे अच्छा रुद्राक्ष चुनने के पश्चात ही इसे धारण करना चाहिए।

पहनने से पहले रुद्राक्ष को शुद्ध किया जाता है और फिर इसे सिद्ध करने के पश्चात पहना जाता है।

ऐसे करे रुद्राक्ष को शुद्ध :

रुद्राक्ष को शुद्ध 3
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को शुद्ध करने के लिए रुद्राक्ष को पहनने से पहले इसे 5 से 7 दिन तक सरसों के तेल में भिगोकर रखना चाहिए।
  • इसके पश्चात गंगाजल एवं दूध से रुद्राक्ष को स्नान करना चाहिए।
  • तत्पश्चात साफ पानी में रुद्राक्ष को भिगोकर 24 घंटे के लिए पूजा घर में रख देना चाहिए।
  • 24 घंटे के पश्चात रुद्राक्ष को पानी में से निकलकर किसी साफ वस्त्र से पोछकर सुखा लेना चाहिए।
  • इस प्रक्रिया के पश्चात रुद्राक्ष पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है।

रुद्राक्ष माला सिद्ध करने का मंत्र

रुद्राक्ष को शुद्ध

रुद्राक्ष को शुद्ध करने के पक्ष इसे धारण करने से पहले मंत्रो का जाप करते हुए इसे सिद्ध करना आवश्यक होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रुद्राक्ष को सिद्ध करने से ही इसकी ऊर्जा जागृत होती है।

रुद्राक्ष को सिद्ध करने के लिए इसे अभिमंत्रित किया जाता है। अलग-अलग प्रकार को अभिमंत्रित करने के लिए अलग अलग बीज मंत्र बताए गए हैं। शिव पुराण के अनुसार 1 मुखी से लेकर 21 मुखी रुद्राक्ष तक के बीज मंत्र कुछ इस प्रकार है –

1 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं नमः

2 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ नमः

3 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ क्लीं नमः

4 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं नमः

5 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं क्लीं नमः

6 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं नमः

7 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ हूं नमः

8 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्रां ग्रीं लं आं श्रीं

9 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं नमः

10 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं नमः

11 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ श्रीं नमः

12 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ क्रौं क्षौं रौं नमः

13 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं नमः

14 मुखी रूद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ नमः

15 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं नमः

16 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं नमः

17 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं हूं नमः

18 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं एकत्व रुपे हुं ह्लीं नमः

19 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ह्लीं हूं नमः

20 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ ब्रह्त्वे शरण्ये विश्ं स्थितो पुल्यते नमः

21 मुखी रुद्राक्ष का बीज मंत्र – ॐ यक्षाय कुबेराय धन धन्यादि समरुधिम मी देही दाप्या स्वाहा

Read This Also: रुद्राक्ष की माला जपने का नियम

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *