विद्यार्थियों को कौन सा रुद्राक्ष धारण करने से पढ़ाई में ध्यान केंद्रित होता है, और मिलती है सफलता, आगे इस पोस्ट में पढ़ें –
छात्र दिन- रात मेहनत करते हैं, लेकिन इसके बावजूद कभी-कभी उन्हें सफलता हासिल नहीं होती है। इतनी मेहनत के बाद भी जब छात्रों को अच्छे अंक नहीं मिलते हैं, तो उनका मनोबल गिरने लगता है और कहीं न कहीं उनके अंदर पढ़ाई को लेकर उदासीनता आ जाती है। कई लोग इसको किस्मत का दोष देते हैं तो कई लोग इसे गलत वक्त ठहराकर टाल देते हैं। अगर ठीक से दिन रात पढ़ने के बाद भी अच्छे अंक नहीं प्राप्त हो रहे हैं, तो कहीं न कहीं छात्रों को ज्योतिषी उपाय की जरूरत होती है। ज्योतिषी उपाय में छात्रों के लिए रुद्राक्ष को काफी फलदायक और फायदेमंद माना जाता है। जो भी विद्यार्थी रुद्राक्ष की दाहिनी माला का प्रयोग करते हैं, उन्हें हमेशा सफलता हासिल होती है और कभी भी परीक्षा में वो पीछे नहीं रहते हैं।
रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में पूजनीय मानकर धारण किया जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी जो उत्पत्ति हुई है वो महादेव के अश्रुओं से हुई है। पुराणों में ऐसा बताया गया है कि महादेव जब माता पार्वती के लिए आंख बंद करके तपस्या कर रहे थे, तो उस समय उनकी आंखों से कुछ आंसू गिर गए थे, धरती पर जहां कहीं भी ये आंसू गिरे हैं, वो सभी अब रुद्राक्ष के पेड़ के रूप में जाने जाते हैं। रुद्राक्ष को आमतौर पर आध्यत्मिक विकास को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है। रुद्राक्ष के उपचारात्मक गुण की वजह से ही लोग इसे शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए धारण करते हैं। रुद्राक्ष नकारात्मक उर्जा को दूर भगाता है, ऐसे में अगर कोई विद्यार्थी इसे धारण करता है तो उसके आसपास की सारी नकारात्मक उर्जा धीरे धीरे समाप्त हो जाती है तथा विद्यार्थी पढ़ाई की ओर अग्रसर होते हैं। परंतु यहां सवाल ये उठता है कि रुद्राक्ष के इतने सारे प्रकार हैं, तो उनमें से विद्यार्थियों के लिए सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा माना जाता है। विद्यार्थियों के लिए सबसे अच्छे रुद्राक्ष के बारे में आप आगे इस पोस्ट में पढ़ने वाले हैं।
विद्यार्थियों को कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ?
रुद्राक्ष के अलग अलग प्रकार होते हैं। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार अलग-अलग रुद्राक्ष को पहनने के फायदे अलग-अलग होते हैं। करियर के दृष्टिकोण से अलग रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। तो अध्यात्म से जुड़ने के लिए अलग रुद्राक्ष पहनना उचित होता है। इसी प्रकार विद्यार्थियों के लिए भी अलग रुद्राक्ष की व्याख्या की गई है। आगे पढ़े विद्यार्थियों को कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए ?
4 मुखी रुद्राक्ष विद्यार्थियों के लिए लाभकारी
विद्यार्थियों के लिए जो सबसे उत्तम रुद्राक्ष माना जाता है, वो चार मुखी रुद्राक्ष होता है। चार मुखी रुद्राक्ष विद्यार्थियों को इसलिए धारण करना चाहिए क्योंकि ये स्मरण शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है और इसी के साथ ही ये छात्रों की बौद्धिक क्षमता और योग्यता को बढ़ाता है। पुराणों में चार मुखी रुद्राक्ष को देवी सरस्वती एवं ब्रह्मा का प्रतिनिधि करने वाला माना गया है। ये तो हम सभी जानते हैं कि देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी के नाम से जाना जाता है और ब्रह्मा जी को भी विद्या के लिए जाना जाता है। इसके अलावा चार मुखी रुद्राक्ष के प्रतिनिधि के रूप में बुध ग्रह को भी जाना जाता है। बुध ग्रह को ज्योतिषाचार्य में बुद्धि का कारक कहा गया है। जो भी छात्र चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करते हैं, उनका मन एकाग्रित होता है तथा पढ़ने लिखने में उनकी रुचि बढ़ती है। इस रुद्राक्ष को पहनने से विद्यार्थी किसी भी परीक्षा में असफल नहीं होते हैं, यही कारण है कि चार मुखी रुद्राक्ष को परीक्षा में कामयाबी दिलाने वाले रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है।
चार मुखी रुद्राक्ष में चार रेखाएं होती हैं, जो ब्रह्मा की दिव्यता के साथ संबंधों को दर्शाती हैं। ब्रह्मा जी के चार सिर होते हैं, इसीलिए ये चार मुखी रुद्राक्ष के प्रतिनिधि भी हैं। ब्रह्मा जी को उनकी आविष्कारक मस्तिष्क शक्ति तथा सरल बुद्धि के लिए जाना जाता है। बस इसी वजह से छात्रों को चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह छात्रों को उनकी पढ़ाई में आने वाला बाधाओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता है तथा उनके दृष्टिकोण को रचनात्मक बनाता है। अगर विद्यार्थी चार मुखी रुद्राक्ष की 11 दाने की माला धारण करते हैं तो उनका आलस्य दूर होता है तथा उनकी लापरवाही करने की आदत छूट जाती है।
6 मुखी रुद्राक्ष भी है विद्यार्थियों के लिए लाभकारी
चार मुखी रुद्राक्ष के अलावा विद्यार्थियों के लिए छः मुखी तथा गणेश रुद्राक्ष भी काफी अच्छे और फायदेमंद होते हैं। ऐसा माना जाता है कि छः मुखी रुद्राक्ष भोलेनाथ के पुत्र कार्तिकेय की शक्ति कोशिका है। इसको पहनने से विद्यार्थियों की दूरदर्शिता, समझने की क्षमता तथा दृढ़ संकल्प बढ़ता है। इसको धारण करने से शुक्र के जो अशुभ प्रभाव होते हैं, विद्यार्थी उनसे भी बच जाते हैं।
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