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रुद्राक्ष की माला जपने का नियम

तन मन की शुद्धि के साथ, साफ सुथरे एवं शांत स्थान पर बैठकर ही करना चाहिए रुद्राक्ष की माला का जाप। जाने और क्या हैं रुद्राक्ष की माला जपने के नियम ?

हिंदू धर्म में किसी भी पूजा पाठ में जप और तपस्या का विशेष महत्व माना गया है। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि जप एवं तप के माध्यम से ही देवताओं को प्रसन्न करते थे और मनचाहा वरदान प्राप्त करते थे। आज भी हिंदू धर्म में पूजा पाठ में जाप को विशेष स्थान दिया गया है। अकाल मृत्यु के संकट को टालने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया जाता है। कुंडली से जुड़े दोषों (पितृ दोष या कालसर्प दोष) को दूर करने के लिए पंडित और पुरोहितों को बुलाकर जाप करवाया जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है की विधि विधान के साथ मंत्रो का जाप करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और मन की सभी इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।

कुछ लोग नियमित पूजा के दौरान भी मंत्रो का जाप करते हैं जिसके लिए विभिन्न प्रकार की मालाएं इस्तेमाल की जाती हैं। जैसे तुलसी की माला, रुद्राक्ष की माला, कमल गट्टे की माला, वैजयंती की माला, मोती की माला, मूंगे की माला, चंदन की माला इत्यादि। अलग-अलग प्रकार की माला के द्वारा मंत्रो का जाप अलग-अलग भगवान को खुश करने के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले चंदन अथवा तुलसी की माला का जाप किया जाता है। वही माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमलगट्टे की माला जपी जाती है। बृहस्पति के मंत्र को जपने के लिए हल्दी की माला का इस्तेमाल किया जाता है, तो चंद्रमा के लिए मोती की माला का जप करना उचित होता है। वैजयंती की माला से भगवान कृष्ण के मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुआ है। अतः रुद्राक्ष भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए भगवान शिव के मंत्रों का जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला इस्तेमाल करना ही सबसे शुभ माना जाता है।

माला को जपने के कुछ नियम होते हैं। शुभ फल की प्राप्ति के लिए माला का जप नियमपूर्वक करना आवश्यक है। आगे इस पोस्ट में पढ़ें रुद्राक्ष की माला जपने का क्या नियम है।

रुद्राक्ष की माला जपने का नियम

रुद्राक्ष की माला

किसी भी माला को जपने के लिए सबसे पहले उससे जुड़े नियम के बारे में जान लेना आवश्यक होता है। माला में मनकों की संख्या कितनी होनी चाहिए ? किसी भी मंत्र का कितनी बार जप करना चाहिए, माला का जप करने से पहले इन सब बातों की जानकारी होना आवश्यक है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदू धर्म में जप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी भी माला में मनकों की संख्या 27 से कम नहीं होनी चाहिए। सामान्यतः जप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली माला में 27 अथवा 108 मनके होते हैं। इसके पीछे भी एक तथ्य छुपा हुआ है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माला में 27 मनकों का संबंध 27 नक्षत्र से होता है। हर नक्षत्र 4 चरण में बंटा हुआ है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति 27 मनको वाली माला का जप करता है, तो उसे इस माला को 4 बार जपना चाहिए। यानी 27*4=108।

108 मनको वाली माला का संबंध 12 राशियों व 9 ग्रहों से है। 12*9=108। 108 मनको वाली माल का जब एक बार करना होता है। यह तो हो गई माला में मनको की संख्या की बात। रुद्राक्ष की माला का जाप करते समय भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है।

रुद्राक्ष की माला 1

रुद्राक्ष की माला को जपने के नियम कुछ इस प्रकार है –

  • रुद्राक्ष की माला को हमेशा किसी साफ-सुथरे एवं शांत स्थान पर बैठकर ही जपना चाहिए।
  • रुद्राक्ष की माला का जाप सदैव जमीन पर आसन बिछाकर, उस पर बैठकर करना चाहिए।
  • तन मन को शुद्ध करने के बाद ही माल का जाप करना चाहिए।
  • जप के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले माला को कभी पहनना नही चाहिए।
  • माला को हाथों में इस प्रकार पड़कर जप करना चाहिए की माला ना तो नाभि के नीचे जाए और ना ही नाक के ऊपर। इसके साथ ही माला को कभी भी शरीर से बिल्कुल चिपका कर नहीं जपना चाहिए।
  • माला का जाप करने के लिए सदैव अनामिका उंगली एवं अंगूठे का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • माला का जाप करते समय इसे किसी कपड़े से ढक लेना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की माला का जाप करते समय किसी की भी नजर इस पर न पड़े।
  • माला का जाप करते समय ध्यान रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कभी भी माला में बने सुमेरू (वो स्थान जहां पर माला जुड़ी होती है) को लांघना नहीं चाहिए। इसके लिए माला को जपने की शुरुआत सुमेरू से करनी चाहिए, और उसी के पास आकर समाप्त करनी चाहिए। इसके बाद माला को घुमा कर दूसरी शुरुआत करनी चाहिए।

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