किसी भी धर्म, जाति अथवा लिंग के लोग रुद्राक्ष को पहन सकते हैं। लेकिन रुद्राक्ष पहनने के नियम का अनुसरण करना अनिवार्य है। आगे इस पोस्ट में पढ़ें रुद्राक्ष पहनने के नियम क्या हैं ?
रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत पवित्र माना गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि रुद्राक्ष को पहनने से मनुष्य को कई कष्टों से मुक्ति मिलती है। शरीर से जुड़े रोग दूर होते हैं। अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है। इसके साथ ही कुंडली से जुड़े दोष जैसे पितृ दोष या कालसर्प दोष भी समाप्त होते हैं।
भगवान शिव में अटूट आस्था रखने वाले लोग रुद्राक्ष को कई तरीके से अपने शरीर पर धारण करते हैं। कोई रुद्राक्ष की माला बनाकर अपने गले में पहनता है, तो कोई कवच के रूप में इसे अपने पास रखता है। कुछ लोग रुद्राक्ष के सिर्फ एक मोती को किसी कपड़े में बांधकर ताबीज की तरह अपने बाजुओं में पहनते हैं, तो कुछ रुद्राक्ष के एक मोती को चेन या धागे में लटकाकर गले में पहनते हैं।
रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति, किसी भी तरीके से पहन सकता है। हर धर्म, जाति अथवा लिंग से जुड़े लोग इसे धारण कर सकते हैं। लेकिन अगर हम बात करें हिंदू धर्म की, तो हिंदू धर्म में रुद्राक्ष पहनने के नियम बनाए गए हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष पहनने के नियम का अनुसरण करते हुए ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। और इसके साथ ही रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम का भी अनुसरण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के नियम
रुद्राक्ष पहनना फायदेमंद होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है वो भगवान शिव के मन में बसता है, और उसके सर पर भगवान शिव का हाथ सदैव बना रहता है। लेकिन रुद्राक्ष को पहनने के कुछ नियम होते हैं, जिसका अनुसरण करते हुए रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। आईए जानते हैं वह नियम कौन से हैं –
- रुद्राक्ष को घर में लाने के बाद सबसे पहले इसे पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके लिए रुद्राक्ष को लगभग 24 घंटे तक पंचामृत में डुबोकर पूजाघर में रख देना चाहिए।
- पंचामृत से स्नान करने के पश्चात रुद्राक्ष को गंगाजल से अच्छी प्रकार से धुले।
- गंगा जल से धुलने के बाद एक स्वच्छ वस्त्र की सहायता से रुद्राक्ष को अच्छे से पोछकर साफ करें।
- जब रुद्राक्ष अच्छे से साफ हो जाए तो इस पर सफेद तिलक लगाएं।
- इसके बाद धूपबत्ती जलाकर इसे रुद्राक्ष को दिखाते हुए आरती करें।
- उपरोक्त सभी प्रक्रिया को पूरा करने के पश्चात रुद्राक्ष को लाल धागे या सोने अथवा चांदी से बनी चेन में डालकर गले में धारण करें।
- रुद्राक्ष को धारण करते समय भगवान शिव को याद करते हुए ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहे।
नोट: धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। ऐसे में सोमवार के दिन रुद्राक्ष को धारण करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा किसी माह की पूर्णिमा अथवा अमावस्या के दिन भी रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम
दुनिया में एकमुखी से लेकर 21 मुखी तक के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। परंतु धार्मिक दृष्टिकोण में पंचमुखी रुद्राक्ष को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। यूं तो रुद्राक्ष का हर मोती भगवान शिव का प्रतीक है, लेकिन पंचमुखी रुद्राक्ष को इसमें सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
ऐसी मान्यता है कि पंचमुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव का महादेव स्वरूप बसता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला व्यक्ति, अपने सभी बुरे कर्मों एवं पापों से मुक्त होता है, और आध्यात्म की तरफ अग्रसर होता है। साथ ही इस रुद्राक्ष में कालाग्नि नामक रुद्र बसा हुआ है, जो सभी शारीरिक रोग को दूर करता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम कुछ इस प्रकार हैं –
- पंचमुखी रुद्राक्ष को पूर्णिमा अथवा अमावस्या के दिन धारण करना चाहिए। ये दिन इस रुद्राक्ष को धारण करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके साथ ही सोमवार के दिन भी पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष को सदैव लाल अथवा पीले रंग के धागे में ही धारण करना चाहिए।
- पंचमुखी रूद्राक्ष हमेशा 1, 27, 54 अथवा 108 की संख्या में पहनना चाहिए।
- रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात मांस-मदिरा एवं किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए।
- इसके अलावा सभी प्रकार के रुद्राक्ष पहनने के नियम लगभग समान हैं।
Read This Also: सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा होता है?
Be First to Comment