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पितृ दोष निवारण के सरल उपाय

किसी व्यक्ति के जीवन पर पितृ दोष का साया होने पर उसका जीवन पूरी तरह से नरक बन जाता है। उस व्यक्ति के जीवन में हर तरफ दुख और कष्ट का साया रहता है। दुखों का अंत नहीं होता है, और जीवन निराशा से भरने लगता है। घर में कलह और अशांति का माहौल बना रहता है। व्यापार में घाटा, धन की कमी, नौकरी मिलने में परेशानी, घर में बीमारियों का वास इस लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

यूं कह सकते हैं कि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष का होना, सिर्फ उस व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं होता है, बल्कि इसका दुष्प्रभाव पूरे परिवार को भुगतना पड़ता है, यहां तक कि आगे आने वाली पीढ़ियां भी इसके दुष्प्रभाव को झेलती है। यही वजह है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष का साया होने पर जल्द से जल्द इसकी शांति के लिए उपाय कर लेना अत्यंत आवश्यक है।

आगे इस पोस्ट में पितृदोष शांति के उपाय के बारे में चर्चा की गई है –

पितृदोष शांति के उपाय –

पितृदोष शांति के उपाय 3

पितृदोष शांति के लिए भी कई तरह के उपाय किए जाते हैं। सामान्य पितृ दोष के लक्षण होने पर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे उपाय करके काफी हद तक पितृदोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं यदि किसी जातक की कुंडली में प्रबल पितृदोष तो उसके लिए पितृ दोष निवारण पूजा का आयोजन किया जाता है।

कुंडली से पितृदोष निवारण के सरल उपाय :

  • प्रतिदिन सुबह की पूजा एवं शाम के संध्यावंदन के दौरान कर्पूर जलाकर आरती करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
  • तेरस, चौदस, पूर्णिमा एवं अमावस्या को गुड़ एवं घी के मिश्रण से कंडे की अग्नि पर हवन करने से पितृदोष का प्रभाव खत्म होता है।
  • प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी पितृदोष का प्रभाव खत्म होता है।
  • पितृदोष को खत्म करने के लिए अपनी बुरी आदतों को सुधारे, क्रोध पर नियंत्रण रखें, मांस-मदिरा के सेवन से बचें।
  • घर के वास्तु पर ध्यान दे।
  • गाय, कुत्ते और कौवे को रोटी खिलाएं।
  • पीपल तथा बरगद के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
  • विष्णु भगवान के मंत्र का जाप करें
    श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करें।
  • एकादशी का व्रत रखें।
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से तर्पण एवं श्राद्ध करें। पितृपक्ष के दौरान विद विधान से पितरों का श्राद्ध करें वह ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • पितृ पक्ष के दौरान नियमित तौर पर घर की दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दिया जलाएं।
  • गरीबों की मदद करें। गरीब कन्याओं के विवाह दान दे।
    पूर्वजों की तस्वीर घर के दक्षिण दिशा में लगाकर नियमित तौर पर उनकी पूजा कर उनसे अपनी गलतियों की क्षमा मांगे।

रावण संहिता के अनुसार पितृदोष के उपाय :

पितृदोष शांति के उपाय

लंका का राजा रावण एक प्रकांड विद्वान था। रावण द्वारा रचित रावण संहिता में ज्योतिषीय व तांत्रिक रहस्य का अद्वितीय वर्णन किया गया है। रावण संहिता में पितृ दोष के कुछ लक्षण एवं उपाय बताए गए हैं जो कुछ इस प्रकार है :

लक्षण :

  • संतान उत्पत्ति में बाधा एवं संतान से जुड़ी समस्या होना।
  • शादी-विवाह में मुश्किलें आना।
  • धन का अभाव होना, आर्थिक मुश्किलें बनी रहना।
  • स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बनी रहना।
  • घर में सदैव क्लेश बना रहना।
  • मानसिक विकार से ग्रसित रहना।
  • परिवार के आपसी संबंधों में विच्छेद।

उपाय :

  • रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के प्रभाव से बचने के लिए विद्वान ब्राह्मण को तिल दान में देना चाहिए।
  • गरीब कन्या के विवाह में मदद करनी चाहिए।
  • प्रातः स्नान के पश्चात सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
  • घर में पीपल अथवा वट वृक्ष लगाकर नियमित उसकी पूजा करनी चाहिए।
  • कुल देवता की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
  • पवित्र नदियों जैसे गंगा जमुना इत्यादि में काले तिल का प्रवाह करना चाहिए।
  • महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए।
  • पितृ दोष से मुक्ति के लिए घर में नवग्रह शांति का पाठ करवाना चाहिए।
  • श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण एवं पिंडदान करना चाहिए।

लाल किताब के अनुसार पितृदोष के उपाय:

पितृदोष शांति के उपाय 1

लाल किताब में पितृ दोष के कई कारणों का जिक्र किया गया है। इसमें मुख्य रूप से 10 तरह के ऋण का भी जिक्र किया गया है। इन्हीं ऋणों के आधार पर लाल किताब में पितृदोष के उपाय भी बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • लाल किताब के अनुसार कुंडली में पूर्वजों का ऋण होने पर जो पितृ दोष होता है इसका उपाय सिर्फ एक को नहीं बल्कि पूरे परिवार को करना होता है। इसके लिए परिवार के सभी सदस्यों को बराबर मात्रा में धन तथा अनाज एकत्रित करके किसी मंदिर में दान करना चाहिए।
  • कुंडली में पितृ ऋण होने पर पितृदोष का उपाय करने के लिए परिवार के सभी सदस्यों को सिक्के के रूप में धन एकत्रित कर गुरुवार के दिन किसी मंदिर में दान करना चाहिए और नियमित तौर पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए।
  • कुंडली में स्वयं का ऋण होने पर पितृ दोष का उपाय करने हेतु सगे संबंधियों की मदद से धन एकत्रित कर यज्ञ का आयोजन करना चाहिए।
  • कुंडली में मातृ ऋण होने पर पितृ दोष का उपाय सगे-संबंधियों से बराबर मात्रा में चांदी एवं चावल एकत्रित कर किसी नदी में प्रवाहित करना चाहिए।
  • कुंडली में पत्नी ऋण होने पर सगे संबंधियों से बराबर बराबर मात्रा में पैसे एकत्र कर कम से कम 100 गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए।
  • कुंडली में संबंधी का ऋण होने पर परिवार व सगे संबंधियों से बराबर की मात्रा में धन एकत्रित कर किसी अस्वस्थ व्यक्ति की सेवा करनी चाहिए या धर्मार्थ संस्थाओं में दवाएं दान करना चाहिए।
  • कुंडली में पुत्री ऋण होने पर पितृ दोष का उपाय करने हेतु सबके संबंधियों की मदद से पीली कौड़ियां खरीद कर, उसे जलाकर, उसकी राख को एकत्रित करके किसी नदी में प्रवाहित करना चाहिए।
  • कुंडली में जालिमाना ऋण होने पर, इसके उपाय हेतु परिजनों एवं सगे संबंधियों से अनाज एवं भोजन एकत्रित करके मछलियों तथा मजदूरों को भोजन कराना चाहिए।
  • कुंडली में अजन्मा ऋण होने पर इसके उपाय हेतु सगे संबंधियों एक-एक नारियल एकत्रित कर उसे किसी पवित्र नदी के जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।
  • लाल किताब के अनुसार कुंडली में कुदरत री होने की स्थिति में पित्त देश के उपाय हेतु परिजनों एवं सगे संबंधियों के सहयोग से कुत्तों को मीठा दूध व खीर खिलाना चाहिए। इसके साथ ही विधवा महिला की सहायता करनी चाहिए।

घातक पितृ दोष:

यदि कुंडली में घातक पितृदोष का साया है, ऐसी स्थिति में त्रिपिंडी श्राद्ध की प्रक्रिया की जाती है, जिससे कुंडली से कठिन पितृदोष का साया खत्म होता है।

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