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कुंडली में पितृ दोष

कई बार कुंडली में कुछ ऐसे ग्रह नक्षत्र बन जाते हैं, जिसका असर मनुष्य के जीवन पर साफ देखने को मिलता है। जीवन में हर तरफ मुश्किलें ही बनी रहती हैं। बनता हुआ काम बिगड़ जाता है, और असफलताएं एवं निराशा ही हाथ लगती है। ये लक्षण कुंडली में पितृ दोष के साए को दर्शाता है।

कुंडली में पितृ दोष है या नहीं इसका पता कैसे लगाएं ? इस सवाल का जवाब आगे इस पोस्ट में दिया गया है –

कुंडली में पितृ दोष कैसे पता चलेगा ?

कुंडली में पितृ दोष 1

कुंडली में पितृदोष है या नहीं इसका पता लगाने के लिए ज्योतिष द्वारा बताए गए कुछ योग पर ध्यान देना आवश्यक है जो कुंडली में पितृ दोष का कारण बनते हैं।

ज्योतिषियों के मुताबिक :

  • कुंडली में सूर्य को पिता और चंद्रमा को मां के ग्रह के रूप में देखा जाता है, ऐसे में कुंडली में इन दो ग्रहों की स्थिति कमजोर होने पर कुंडली में पितृ दोष आ जाता है।
  • कुंडली के नवे घर में यदि बुध, शुक्र तथा राहु विराजमान हो तो कुंडली में ग्रहों की यह स्थिति पितृ दोष को दर्शाती है।
  • यदि किसी स्त्री की कुंडली के सप्तम स्थान पर राहु की युति उपस्थित है, तो यह भी कुंडली में पितृ दोष को दर्शाता है।
  • यदि कुंडली के सातवें अथवा दशम भाव में गुरु उपस्थित हो तो, यह भी पितृ दोष का योग है।
  • कुंडली के किसी घर में यदि चंद्रमा के साथ केतु, एवं सूर्य के साथ राहु का योग बन रहा है तो ये पितृदोष की स्थिति है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि, राहु एवं केतु की दृष्टि सूर्य पर पड़ रही है, तो ये उस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष को दर्शाता है।
  • लाल किताब के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पांचवें, नवें अथवा 12वें भाग में शुक्र, राहु एवं बुद्ध का साया है, तो यह भी कुंडली में पितृ दोष का एक लक्षण है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के चौथे भाव में केतु विराजमान होता है, तो ये कुंडली में पितृ दोष के साए को दर्शाता है।
  • यदि कुंडली के सातवें भाग में सूर्य, राहु, चंद्रमा विराजमान हो तो यह कुंडली में पितृ दोष का कारण है।
  • कुंडली के तीसरे तथा छठे भाग में चंद्रमा या मंगल के विराजमान होने पर भी कुंडली में पितृ दोष का साया होता है।
  • कुंडली के प्रथम अथवा आठवें भाग में बुध अथवा केतु के विराजमान होने पर भी यह कुंडली में पितृ दोष के साए को दर्शाता है।
  • कुंडली के दसवें अथवा 11वें भाग में सूर्य, चंद्रमा या मंगल के विराजमान होने पर भी कुंडली में पितृ दोष का साया बनता है।
  • कुंडली के बारे में भाग में सूर्य शुक्र अथवा मंगल के विराजमान होने पर कुंडली में पितृ दोष का साया होता है।
कुंडली में पितृ दोष

ज्योतिषियों के अनुसार कुंडली में ऊपर दिए गए किसी भी प्रकार के योग के दिखाई देने पर ये समझ जाना चाहिए कि कुंडली पर पितृदोष का साया है। इस तरह के योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जल्द से जल्द पितृ दोष के लिए बताए गए उपाय को करना चाहिए।

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