कभी-कभी मनुष्य के जीवन में हर तरफ परेशानियां ही परेशानियां रहती हैं, दुखों का अंत नहीं होता और जीवन निराशा से भरने लगता है। हर तरफ कलह और अशांति का माहौल होता है। व्यापार में घाटा, धन की कमी होने लगती है, नौकरी मिलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। घर में बीमारियों का वास हो जाता है। इन परिस्थितियों में अक्सर ये समझना मुश्किल हो जाता है कि इन परेशानियों की असली वजह क्या है ? हर तरह के उपाय के बाद भी ये परेशानियां खत्म क्यों नहीं हो रही है ? असल में इन मुश्किलों की वजह पितृ दोष हो सकता है।
यदि किसी व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष का साया होता है, तो इसका लक्षण उसके पूरे जीवन में देखने को मिलता है। कदम कदम पर ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं जो इस बात का संकेत देते हैं, कि व्यक्ति के जीवन पर पितृ दोष का साया हो सकता है। आगे इस पोस्ट में पितृदोष से जुड़े लक्षण के बारे में चर्चा की गई है।
घर में पितृ दोष के लक्षण :
पूर्वजों द्वारा किए गए गलत कर्मो का प्रभाव पितृदोष के रूप में उनके वंशजों पर पड़ने लगता है, जिसके लक्षण जीवन में दिखाई देने लगते हैं। कुंडली में पितृदोष होने के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं –
- जब किसी व्यक्ति के जीवन में हर तरफ दुख का साया दिखाई दे तो ये पितृदोष का एक लक्षण हो सकता है।
- हमेशा धन का भाव बना रहना, व्यवसाय में बाधा आना, नौकरी मिलने में परेशानी, आर्थिक स्थिति सदैव कमजोर बनी रहना इत्यादि भी पितृ दोष का लक्षण हो सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति को अदृश्य शक्तियों द्वारा परेशान किया जाना महसूस हो रहा है, तो ये कुंडली में पितृदोष का लक्षण हो सकता है।
- कुंडली में पितृ दोष का साया होने पर व्यक्ति की तरक्की हर तरफ से रुकी रहती है। विवाह में बाधा आना, गृह क्लेश का अत्यधिक बढ़ जाना, घर के बच्चों का गलत राह पर चले जाना या गलत संगति में पड़ जाना इत्यादि भी पितृ दोष का लक्षण।
- वंश की वृद्धि न होना या परिवार में असमय किसी की मृत्यु होना भी पितृदोष का एक लक्षण है।
- परिवार में हमेशा किसी न किसी बात को लेकर विवाद बना रहना।
- परिवार में किसी न किसी सदस्य का हमेशा बीमार रहना, या सदैव परिवार पर गंभीर बीमारी का साया बना रहना।
- परिवार के बच्चों का बिगड़ैल होना। पढ़ाई में मन न लगना।
रावण संहिता के अनुसार पितृ दोष के लक्षण :
- संतान उत्पत्ति में बाधा एवं संतान से जुड़ी समस्या होना।
- शादी-विवाह में मुश्किलें आना।
- धन का अभाव होना, आर्थिक मुश्किलें बनी रहना।
- स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बनी रहना।
- घर में सदैव क्लेश बना रहना।
- मानसिक विकार से ग्रसित रहना।
- परिवार के आपसी संबंधों में विच्छेद।
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