पितृदोष एक ऐसा दोष है जो अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में विद्यमान रहे, तो उस व्यक्ति की ज़िंदगी को नरक बना सकता है। ऐसा माना जाता है कि पितृदोष के कुंडली में होने से किसी भी काम में सफलता नहीं मिलती है और हमेशा निराशा ही हाथ लगती है। बनते हुए काम भी बिगड़ने लगते हैं, व्यवसाय भी मंदा चलता है, नौकरी भी समय पर नहीं मिलती है, शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता नहीं मिलती है, वैवाहिक जीवन भी निराशाओं से भरा हुआ रहता है, घर में सुख शांति नहीं रहती है, हमेशा अशांति फैली रहती है और कोई न कोई बीमारी लगी ही रहती है। इसके अलावा पितृदोष से ग्रसित व्यक्ति कभी भी सफल नहीं हो पाते हैं। ऐसे लोगों को हमेशा पैसों की कमी लगी रहती है। कितना भी कोशिश कर लें, पितृदोष अगर व्यक्ति की कुंडली में रहता है तो वो व्यक्ति पैसों को बचाकर नहीं रख सकता है और किसी न किसी कारण से उसको पैसे हमेशा खर्च करने ही पड़ते हैं। पितृदोष जिन छात्रों की कुंडली में होता है, वो लोग पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाते हैं और परीक्षा में भी पास नहीं हो पाते हैं। इसीलिए पितृदोष जिस किसी की भी कुंडली में होता है, उन्हें तुरंत इससे बचने के उपाय खोजने चाहिए। क्योंकि जितनी जल्दी इसे मुक्ति पा ली जाएगी उतनी आसान आपकी जिंदगी होगी नहीं तो ये एक ऐसा दोष है जो ज़िंदगी भर आपको परेशान करता है।
पितृदोष शांति के लिए भी कई तरह के उपाय किए जाते हैं। सामान्य पितृ दोष के लक्षण होने पर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे उपाय करके काफी हद तक पितृदोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं यदि किसी जातक की कुंडली में प्रबल पितृदोष का साया हो तो उसके लिए पितृदोष निवारण पूजा का आयोजन किया जाता है।
पितृदोष निवारण पूजा
पितृ दोष निवारण के लिए सोमवती अमावस्या के दिन किसी पंडित की उपस्थिति में विधि विधान के साथ पितृ दोष निवारण पूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजा से जुड़े कुछ विधि विधान हैं, जिनका पालन करते हुए इस पूजा का आयोजन करना चाहिए। आगे पोस्ट में इस पूजा से जुड़े सभी तथ्यों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए :
पितृदोष पूजा के लिए सोमवती अमावस्या के दिन को सर्वोत्तम माना गया है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पितृ दोष शांति उपाय करने से पितृ दोष दूर होता है। इसके अलावा पितृपक्ष के दौरान किसी भी दिन पितृ दोष निवारण पूजा आयोजित की जा सकती है। इस पूजा के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम बताया गया है।
पितृ दोष पूजा सामग्री :
पितृ दोष पूजा में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक सामग्री कुछ इस प्रकार है-
- रोली
- जनेऊ
- कपूर
- शहद
- चीनी
- हल्दी
- रक्षा धागा
- देशी घी
- हवन सामग्री
- गंगाजल
- पांच प्रकार की मिठाई
- गुलाबी वस्त्र
- आम की लकड़ी
- आम के पत्ते
पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है ?
पितृ दोष की पूजा के लिए मुख्य रूप से त्रयंबकेश्वर को विशेष स्थान दिया गया है, इसके अलावा उज्जैन में महाकालेश्वर एवं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को भी पितृ दोष पूजा के लिए उत्तम माना गया है।
त्रयंबकेश्वर में पितृ दोष पूजा :
- पितृ दोष निवारण पूजा मुख्य रूप से त्रयंबकेश्वर में आयोजित की जाने वाली एक विशेष प्रकार की पूजा है।
- इस पूजा को करने के लिए पूजा की निर्धारित तिथि से एक दिन पूर्व त्रयंबकेश्वर में उपस्थित रहना अत्यंत आवश्यक है।
- जो व्यक्ति पूजा करवा रहा है, उसे पूजा प्रारंभ होने के पश्चात जब तक पूजा समाप्त न हो जाए तब तक त्रयंबकेश्वर में ही रहना होता है।
- यह पूजा 3 दिन तक चलती है जिसमे व्यक्ति पत्नी सहित या अकेले बैठ सकता है। इसके साथ ही कोई महिला अकेले इस पूजा में नहीं बैठ सकती।
- पितृ दोष की पूजा में बैठने के लिए पुरुषों को सफेद धोती-कुर्ता एवं महिलाओं को सफेद रंग की साड़ी पहनना अत्यंत आवश्यक है।
- त्रयंबकेश्वर में पितृ दोष की पूजा करवाने वाले व्यक्ति को पूजा के बाद 41 दिनों तक सात्विक भोजन ही करना होता है। पूजा में बैठने वाला व्यक्ति ना तो प्याज लहसुन का सकता है और ना ही मांस एवं मदिरा का सेवन कर सकता है।
उज्जैन में पितृ दोष पूजा:
यूं तो पितृ दोष पूजा के लिए त्रंबकेश्वर को सर्वोत्तम माना गया है, परंतु त्रयंबकेश्वर के अलावा उज्जैन के महाकालेश्वर एवं अन्य ज्योतिर्लिंगों को भी पितृ दोष निवारण पूजा के लिए उचित माना गया है। पूजा की विधि सभी स्थानों पर समान है।
पितृ दोष निवारण के लिए रत्न :
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए रत्न धारण करना काफी फायदेमंद बताया जाता है। ऐसे में मन में सवाल उठता है कि पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कौन सा रत्न धारण किया जाए ? बताया गया है कि गोमेद रत्न राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद करता है। राहु और केतु दो ऐसे ग्रह है जो पितृ दोष के मुख्य ग्रह माने जाते हैं।
गोमेद के अलावा रुद्राक्ष धारण करना भी पितृ दोष के प्रभाव को काफी हद तक खत्म करता है। ज्योतिष के मुताबिक रुद्राक्ष धारण करना पितृ दोष निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी उपाय माना गया है। सोमवार के दिन अथवा किसी भी माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को रुद्राक्ष धारण किया जा सकता है।
नोट: पितृ दोष के प्रकोप से बचने के लिए किसी अनुभवी ज्योतिष की सलाह पर अपनी राशि के मुताबिक रत्न धारण करना अधिक उचित माना गया है।
पितृदोष निवारण यंत्र :
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ दोष निवारण रत्न धारण करने के साथ-साथ घर तथा व्यवसाय स्थल पर पितृदोष निवारण यंत्र रखना भी फायदेमंद बताया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक पित्त दोष निवारण यंत्र, अर्पित दोष के प्रभाव को दूर करने में सबसे प्रभावी उपाय में से एक है। इस यंत्र को पितृ पक्ष अथवा किसी भी माह के अमावस्या की तिथि को स्थापित किया जाता है।
ये यंत्र चांदी अथवा तांबे का बना होता है जिसे विधि विधान के साथ स्थापित किया जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार प्रतिदिन इस यंत्र के दर्शन से घर तथा मन की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
पितृदोष निवारण यंत्र के फायदे :
- पितृ दोष निवारण यंत्र कुंडली के नकारात्मक प्रभाव व अशुभ योग को खत्म करता है।
- इस यंत्र को घर, कार्यक्षेत्र में रखने से पितृ दोष के प्रभाव खत्म होते हैं।
- यह मन के नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर मन में शांति एवं सद्भाव लाता है।
- मुसीबतों को दूर रखने में भी ये यंत्र काफी प्रभावी है।
पितृदोष निवारण मंत्र :
कुंडली से पितृ दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ निवारण मंत्र बताए गए हैं, जिनका नियमित तौर पर जाप करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है। ब्रह्म पुराण में इन मंत्रों को पितृ दोष गायत्री मंत्र का भी नाम दिया गया है।
पितृ दोष गायत्री मंत्र कुछ इस प्रकार है –
- ॐ श्री पितराय नमः
- ॐ श्री पितृदेवाय नमः
- ॐ श्री पितृभ्यः नमः
- ॐ श्री सर्वपितृ देवताभ्यो नमो नमः
- देवताभ्याः पितृभ्यश्च महा योगिभ्य एव च,
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
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