संसार के दो ही सार्वभौमिक सत्य है- जीवन और मृत्यु। हर जीव का जीवन चक्र जन्म से शुरू होता है और मृत्यु पर आकर खत्म हो जाता है। बात की जाए अगर मनुष्य की तो मनुष्य का जीवन जन्म से लेकर ही मृत्यु तक रीति और रिवाजों के बंधन में बंधा होता है। मां के गर्भ में आने से लेकर मोक्ष की प्राप्ति तक हर कदम पर मानव जाति को विभिन्न रीति-रिवाज का पालन करना होता है। एक बच्चा जब इस दुनिया में जन्म लेता है, इसके बाद से ही वह रीति रिवाजों के बंधन से बंध जाता है। कोई भी धर्म हो कोई भी नियम हो, लेकिन हर मनुष्य को इन रीति रिवाज का पालन करना पड़ता है।
नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन संस्कार, शादी विवाह से जुड़े संस्कार और आखिरी में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार तब जाकर मानव जीवन सफल हो पाता हैं। अब अगर बात की जाए अंतिम संस्कार की तो अंतिम संस्कार से जुड़े नियम भी हर धर्म में अलग-अलग होते हैं। जैन धर्म, पारसी धर्म, ईसाई धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म, एवं मुस्लिम धर्म, हर धर्म में अलग-अलग तरीके से मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है। नियम चाहे जो भी हो लेकिन अंतिम संस्कार से जुड़े एक नियम का पालन लगभग हर धर्म में किया जाता है। और वो नियम है मृत्यु के बाद शव को अकेला न छोड़ने का नियम। इसके बारे में विस्तार से जानने से पहले आईए जानते हैं मृत्यु के बाद किन वजहों से टाला जाता है दाह संस्कार –
मृत्यु के बाद किन वजहों से टाला जाता है दाह संस्कार –
सूर्यास्त के समय नहीं जलाया जाता शव :
हिंदू धर्म में सूर्यास्त के बाद मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार यदि सूर्यास्त के बाद किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाता है, तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है और आत्मा अधोगति को प्राप्त होती है। यही वजह है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु सायंकाल या रात में होती है तो उसके शव को रात भर घर में ही रखा जाता है। और पूरी रात्रि शव के पास परिजनों का उपस्थित रहना अनिवार्य होता है।
पंचक काल में नहीं होता अंतिम संस्कार :
हिंदू धर्म में पंचक काल के दौरान मृतक का अंतिम संस्कार करने की मनाही होती है। यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है तो उसके अंतिम संस्कार के लिए पंचक काल के समाप्त होने का इंतजार किया जाता है, और तब तक शव को घर में ही रखने का नियम है।
इसके अलावा कभी कभी मृतक के परिजन कही दूर रह रहे होते हैं, तो ऐसी स्थिति में मृतक के आखिरी दर्शन करवाने के लिए उनका इंतजार करना पड़ता है, ऐसी स्थिति में भी शव को घर में ही रखना पड़ता है। लेकिन इस दौरान, इस बात का ध्यान रखा जाता है कि शव को अकेला ना छोड़ा जाए।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर मृत्यु के बाद शव को अकेला न छोड़ने का नियम क्यों बनाया गया है ? हिंदुओं के पवित्र गरुण पुराण में कुछ प्रमुख कारण बताए गए हैं जिसकी वजह से मृत्यु के बाद शव को अकेला न छोड़ने का नियम बनाया गया है।
मृत्यु के बाद शव को अकेला न छोड़ने की वजह :
लगभग हर धर्म में मृत्यु के बाद जब तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं हो जाता तब तक उसके शव को अकेला न छोड़ने का नियम होता है। ये नियम धार्मिक कारणों के साथ-साथ वैज्ञानिक कारणों के चलते भी बनाया गया है।
मृत्यु के बाद शव को अकेला न छोड़ने का धार्मिक कारण –
हिंदुओं के पवित्र पुराण गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद जब तक मृतक का अंतिम संस्कार न हो जाए तब तक इन वजहों से शव के अकेला नहीं छोड़ना चाहिए –
- गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तब जब तक विधि विधान के साथ मृतक का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है, तब तक उसकी आत्मा अपने परिजनों के इर्द-गिर्द ही भटकती रहती है। ऐसे में जब उसके शव को अकेला छोड़ दिया जाता है तब आत्मा को ऐसा प्रतीत होता है कि उसके परिजनों को उससे कोई लगाव नहीं है और इस बात से आत्मा को कष्ट होता है।
- गरुड़ पुराण के मुताबिक मृतक के शव को अकेला इसलिए भी नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि, जब किसी व्यक्ति का देहांत होता है तो उसकी आत्मा शरीर को छोड़ देती है ऐसे में शरीर खाली हो जाता है। ये वो समय होता है जब बुरी आत्माएं या यूं कह सकते हैं- अतृप्त आत्माएं जो अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए इधर-उधर भटक रही है, मृत शरीर पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास करती हैं। ऐसे में शव को अकेला छोड़ने पर उस मृत शरीर पर बुरी आत्माओं का प्रभाव पड़ने लगता है।
- मृत शरीर को तंत्र -मंत्र करने वाले तांत्रिको की बुरी दृष्टि का भी खतरा रहता है, जो तंत्र-मंत्र के जरिए आत्मा को अपने वश में कर लेते हैं। जिसकी वजह से मृतक की आत्मा को शांति नहीं मिल पाती है।
शव को अकेला न छोड़ने के वैज्ञानिक कारण :
मृतक के शव को अकेला न छोड़ने के पीछे धार्मिक वजह के साथ-साथ कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। ये कुछ इस प्रकार है –
- मृतक के शव को अकेला छोड़ने पर कोई नरभक्षी जानवर या रेंगने वाला जानवर शव को क्षति पहुंचा सकता है या उसे खा सकता है, इसलिए इसकी सुरक्षा के लिए किसी न किसी का शव के पास रहना आवश्यक होता है।
- किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर उसके शरीर से अजीब तरह की गंध आने लगती है। इस गंध की वजह से शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया पैदा होने लगते हैं, जिसकी वजह से शव पर मक्खियां भिनभिनाने लगती हैं। ऐसे में शव की सुरक्षा के लिए और जब तक अंतिम संस्कार न हो जाए तब तक वातावरण को शुद्ध बनाए रखने के लिए शव के पास हर समय दीपक व अगरबत्ती जला कर रखा जाता है, और इस कार्य के लिए हर समय शव के पास किसी का मौजूद रहना आवश्यक है।
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