Press "Enter" to skip to content

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार के लिए अपनाई जाती है कौन सी रीति ?

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार की क्या है प्रक्रिया ? मृत शरीर को दफना दिया जाता है या दाह संस्कार की प्रक्रिया अपनाई जाती है ?

इस दुनिया में बहुत से जीव है। सभी जीवो में एक ही समानता है कि जिस भी जीव ने इस संसार में जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। मनुष्य इस दुनिया में पाए जाने वाले सभी जीवों से अलग है, क्योंकि मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक तमाम जिम्मेदारियों को निभाते हुए, रीति-रिवाजों का पालन करते हुए एक अनुशासित जीवन जीता है। और धार्मिक मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद भी रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मानव जीवन को सफलता मिलती है।

अंतिम संस्कार की प्रक्रिया हर धर्म, जाति, समुदाय में अलग-अलग प्रकार से की जाती है। आइए जानते हैं ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ?

ईसाई धर्म में मृत्यु

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार

ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार ईसा मसीह ने सूली पर लटक कर और 3 दिन बाद पुनर्जीवित होकर अपने ‘मृत्यु एवं बलिदान’ से ‘पाप एवं मृत्यु’ पर विजय हासिल कर लिया है। ईसाई धर्म के अनुयाई जो ईसा मसीह में आस्था रखते हैं, और सदाचार का जीवन जीते हैं, वह जीवन मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं। और शारीरिक मृत्यु के बाद उन्हें ईश्वर के करीब ले जाया जाता है। इसी नजरिए को ध्यान में रखते हुए ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार की भी प्रक्रिया की जाती है।


ईसाई धर्म की गिनती इस दुनिया में पाए जाने वाले सबसे बड़े धर्म में होती है। ये एक ऐसा धर्म है, जिससे जुड़े लोग दुनिया के लगभग हर कोने में पाए जाते हैं। ईसाई धर्म में मृत्यु को एक अलग ही दृष्टिकोण से देखा जाता है। इस धर्म के मुताबिक मृत्यु भगवान से पुनर्मिलन का एक रास्ता है। यही वजह है कि ईसाई धर्म में जब किसी की मृत्यु होती है तो इस दुख के साथ-साथ, आशावादी नजरों से भी देखा जाता है। ईसाई धर्म के अनुयाई मृत्यु के बाद के जीवन में विश्वास रखते हैं। उनके इस मान्यता के पीछे बड़ी धार्मिक वजह छिपी हुई है। दरअसल ईसाई धर्म के मसीहा ‘यीशु’ को जब सूली पर चढ़ाया गया था, तो उसके तीन दिन बाद वो पुनर्जीवित हो गए थे। ईसाइयों की धार्मिक मान्यता के अनुसार मसीहा यीशु ने मनुष्य के रूप में जन्म लेकर मानव जीवन के उद्धार का काम किया और फिर सूली पर चढ़कर एवं पुनर्जीवित होकर मृत्यु के बाद भी मनुष्य के जीवन को संभव बनाया।

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार


ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में दाह संस्कार को कोई भी स्थान नहीं दिया गया है। जैसा कि हमने ऊपर बताया ईसाई धर्म के अनुयाई मृत्यु के बाद के जीवन में विश्वास रखते हैं, ऐसे में धार्मिक मान्यता के अनुसार ईसाइयों का मानना है कि यदि मृतक शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया गया तो, न्याय के लिए वो पुनर्जीवित नहीं हो पाएगा। यही वजह है कि ईसाई धर्म में मृत शरीर को दफनाने का प्रावधान है।

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार की पूरी विधि

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार के लिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो सर्वप्रथम मृत शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तैयार किया जाता है, और उसे एक लकड़ी से बने ताबूत में रख दिया जाता है। शव को दफनाने के लिए कब्रिस्तान ले जाया जाता है। एक बड़ा गड्ढा खोदकर उसमें ताबूत को दफना दिया जाता है, और उसके ऊपर एक समाधि स्थल बना दिया जाता है। शव को दफनाने से पहले प्रार्थना की जाती है और ईश्वर को संबोधित करते हुए एक खास शब्द का उच्चारण किया जाता है, जिसमे इस शरीर के हर कण को ईश्वर को समर्पित किए जाने की बात की जाती है।
नोट : हिंदू धर्म में जब किसी की मृत्यु होती है तो उसका सिर दक्षिण दिशा में और पैर उत्तर दिशा में करके लिटाया जाता है। ईसाई धर्म में इसका ठीक उल्टा होता है, ईसाई धर्म में मृतक के सिर को पूर्व दिशा में और पैर को पश्चिम दिशा में रखने की परंपरा है।

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़े कुछ अलग नियम

यूं तो ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़े नियम लगभग हर जगह समान है, लेकिन कुछ जगहों पर इसमें बदलाव भी देखने को मिले हैं। जैसे ब्रिटेन, सीरिया जैसे देश में रहने वाले ईसाइयों के अंतिम संस्कार से जुड़े नियम अलग है। पादरियों का अंतिम संस्कार भी अलग प्रकार से किया जाता है।

ब्रिटेन में अंतिम संस्कार की क्या है विधि

ब्रिटेन में जब किसी की मृत्यु होती है, तो उसे दफनाने से पहले दाह संस्कार की क्रिया की जाती है। यूं तो ईसाई धर्म में शव को जलाने की मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन ब्रिटेन में ईसाई धर्म से जुड़े लोग शव को जलाने के बाद राख को दफनाते हैं। ब्रिटेन में जब किसी की मृत्यु होती है तो सबसे पहले मृतक शरीर को अंतिम संस्कार के लिए तैयार कर एक ताबूत में रख दिया जाता है, ताबूत पर उसके नाम का नेम प्लेट चिपका दिया जाता है। दाह संस्कार से पहले एक शोक सभा का आयोजन होता है जिसमें मृतक के परिवार, करीबी और रिश्तेदार उस पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं। इसके पश्चात ताबूत को दाह गृह ले जाया जाता है, जहां पर मृतक का दाह संस्कार किया जाता है। दाह संस्कार के पश्चात बची हुई अस्थियों को एकत्रित कर एक मशीन की मदद से राख में तब्दील कर दिया जाता है। अब इस राख को किसी बर्तन में एकत्रित कर क्रिमिनेशन गार्डन में दफनाया जाता है।

सीरिया में कैसे किया जाता है अंतिम संस्कार

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार

सीरिया में ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार की विधि बहुत ही अलग है। यहां जब किसी व्यक्ति की तबियत बहुत अधिक खराब होती है अथवा यह प्रतीत होने लगता है कि व्यक्ति की मृत्यु नजदीक आ गई है, उसी समय पादरी को बुला लिया जाता है। पादरी प्रार्थना करते है, मृत्यु के नजदीक जा रहे व्यक्ति के कान में धर्म से जुड़ी बातें कहते हैं। जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तब उसे नहला धुलाकर, साफ वस्त्र पहनाकर, शव के सिर को पश्चिम दिशा व पैर को पूर्व दिशा में रखकर लिटा दिया जाता है। इसके पश्चात शव के निकट मोमबत्तियां और लोबान जला दी जाती है, और फिर प्रार्थना की जाती है। इसके पश्चात पादरी तेल से शव के चेहरे, घुटने और सीने पर क्रॉस का निशान बनाते है। तत्पश्चात शव को ताबूत में रखकर चर्च के निकट दफनाने के लिए ले जाया जाता है। ताबूत को कब्र में रखने के बाद, सर्वप्रथम पादरी मिट्टी से ताबूत पर क्रॉस का निशान बनाता है, इसके पश्चात सब लोग मिट्टी डालकर शव को दफनाते हैं।

कैसे किया जाता है पादरियों का अंतिम संस्कार

ईसाई धर्म में अंतिम संस्कार

पादरी ईसाई धर्म के धर्म गुरु होते हैं। इनके अंतिम संस्कार की विधि आम लोगों से अलग होती है। जब कोई पादरी गंभीर रूप से बीमार होता है और यह प्रतीत होने लगता है कि उसकी मृत्यु निकट है, तो चर्च में भजन और प्रार्थनाएं शुरू कर दी जाती है, और चर्च की घंटियां बजाई जाने लगती हैं। जब पादरी की मृत्यु हो जाती है इसके बाद शव नहला-धुलाकर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर, शव के सीने पर तेल से क्रॉस बनाकर, अंतिम दर्शन के लिए रखा जाता है। अंतिम दर्शन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शो को ताबूत में रखा जाता है, और फिर चर्च के कब्रिस्तान में दफनाने के लिए ले जाया जाता है। यहां पर ताबूत को प्लेटफॉर्म पर रखा जाता है। फिर प्रार्थना होती है। इसके पश्चात ताबूत को कब्र में रखा जाता है, और फिर अंतिम संस्कार की क्रिया कर रहे पादरी ताबूत पर पवित्र जल छिड़ककर दफनाने की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं। सर्वप्रथम पादरी ही क्रॉस के आकार में कब्र में मिट्टी डालते हैं। इसके पश्चात वहां मौजूद सभी लोग कब्र में मिट्टी डालते हैं और फूल चढ़ाते हैं। शव को दफनाने के बाद, पादरी वहां मौजूद सभी लोगों को प्रसाद खिलाते हैं।।

Read This Also: मुस्लिम अंतिम संस्कार की क्या है विधि ?

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *