Press "Enter" to skip to content

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ?

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार की क्या है विधि ? अंतिम संस्कार की बात की जाए तो हर धर्म में अंतिम संस्कार के अलग-अलग नियम होते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम जानेंगे कि पारसी धर्म में मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ?

संसार के दो ही सार्वभौमिक सत्य हैं जीवन और मृत्यु। हर जीव का जीवन चक्र जन्म से शुरू होता है, और मृत्यु पर आकर खत्म होता है। बात की जाए अगर मनुष्य की तो, मनुष्य का जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक रीति रिवाजों से बंधा होता है। मां के गर्भ में आने से लेकर मोक्ष की प्राप्ति तक, हर कदम पर मानव जाति को विभिन्न रीति रिवाजों का पालन करना होता है। एक बच्चा जब इस दुनिया में जन्म लेता है, उसके बाद से ही विभिन्न संस्कारों की शुरुआत हो जाती है, धर्म कोई भी हो, नियम कोई भी हो लेकिन इन संस्कारों से सभी को गुजरना पड़ता है। नामकरण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन संस्कार, शादी विवाह से जुड़े संस्कार और आखिरी में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार तब कहीं जाकर मानव जीवन सफल होता है।


अंतिम संस्कार की बात की जाए तो हर धर्म में अंतिम संस्कार के अलग-अलग नियम होते हैं। इस पोस्ट के जरिए हम जानेंगे कि पारसी धर्म में मृतक व्यक्ति का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ?


पारसी धर्म में अंतिम संस्कार की क्या है विधि –

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार


पारसी धर्म जिसे भारत के बाहर अन्य देशों में जोरोस्ट्रियंस धर्म या जरथुस्त्र धर्म का भी नाम दिया गया है, ये विश्व के सबसे प्राचीन धर्म के रूप में जाना जाता है। इस धर्म से जुड़े रीति रिवाज भी अत्यंत प्राचीन व सर्वविख्यात हैं। खास तौर पर पारसी समुदाय से जुड़े व्यक्तियों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरे विश्व में चर्चित है। इसके विश्वचर्चित होने की एक वजह यह भी है कि पारसी धर्म में अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया अन्य धर्मों की तुलना में बेहद अजीब है। क्योंकि अन्य धर्मों में जहां मृत्यु के बाद मृतक के शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है, वही पारसी धर्म में मृतक के शरीर को आसमान को सौंप दिया जाता है। कैसे आइए आगे जानते हैं ?


क्या है पारसी धर्म में अंतिम संस्कार करने की पूरी प्रक्रिया –


पारसी धर्म में जब किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, उसके मृतक के शरीर को जलाने अथवा दफनाने के बजाय ‘टावर ऑफ़ साइलेंस’ नामक स्थान पर ले जाकर छोड़ दिया जाता है, जहां चील व कौवे इत्यादि भोजन के रूप में मृतक शरीर को ग्रहण कर लेते हैं।


क्या है ‘टावर ऑफ़ साइलेंस’ जिसका पारसी धर्म के अंतिम संस्कार में है खास स्थान ?

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार करने की पूरी प्रक्रिया ‘टावर ऑफ़ साइलेंस‘ का बहुत महत्व होता है।’टावर ऑफ़ साइलेंस’ को आम भाषा में पारसी धर्म के लोगों का कब्रिस्तान अथवा शमशान कहा जा सकता है। हर देश में पारसी धर्म के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए किसी स्थान विशेष पर ऊंचाई पर एक गोलाकार टावर बनाया जाता है, जिसे ‘टावर ऑफ साइलेंस’ अथवा ‘दखमा’ के नाम से जाना जाता है। भारत में भी मुंबई के मालाबार हिल्स में ‘टावर आफ साइलेंस’ स्थित है। पारसी समुदाय में जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके शव को रीति-रिवाजों के साथ पावर ऑफ साइलेंस पर लाकर छोड़ दिया जाता है जहां गिद्ध, चील, कौवे इत्यादि मृतक शरीर को भोजन के रूप में ग्रहण कर लेते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ‘दोखमेनाशिनी’ परंपरा के रूप में जाना जाता है।


क्या है दोखमेनाशिनी परंपरा, क्यों पारसी धर्म में निभाई जाती है ये परंपरा ?

पारसी धर्म में अंतिम संस्कार


पारसी धर्म में अंतिम संस्कार की जो परंपरा निभाई जाती है। उसे ‘दोखमेनाशिनी’ परंपरा के नाम से जाना जाता है। अन्य धर्म की तरह ही पारसी धर्म में भी अग्नि, जल और भूमि को अत्यधिक पवित्र माना गया है, इसके साथ ही पारसी समुदाय में मृतक शरीर को भी अत्यधिक अपवित्र माना जाता है। अन्य धर्म में जहां ये मान्यता है कि मृतक शरीर को अग्नि, जल अथवा भूमि को समर्पित करने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है, वही पारसी समुदाय के लोग जो शव को अपवित्र मानते हैं, उनके मुताबिक यदि शव को अग्नि में जलाया गया, अग्नि अपवित्र हो जाएगा, वही शव को अगर भूमि में दफनाया गया तो तो इससे भूमि अपवित्र होगी, जल में प्रवाहित करने पर जल अपवित्र होगा। यही वजह है कि पारसी समुदाय के लोग मरने वाले के शव को ‘टावर ऑफ साइलेंस’ पर चील, कौवो को खाने के लिए छोड़ देते हैं।

Read This Also: चीन में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है ? 

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *