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लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कब हुई ?

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी, 1966 में दिल का दौरा पड़ने के वजह से हुई थी। लेकिन देश की जनता को नही था इस बात का यकीन। आखिर किस वजह से लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को समझा जा रहा था एक साजिश ? आगे पोस्ट में पढ़े लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु से जुड़ी सच्चाई-

देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु आज भी एक बहुत बड़ा रहस्य बनी हुई है। उनका अचानक निधन हो जाना देश के लिए काफी बड़ा झटका था, किसी ने भी कभी ये नहीं सोचा था कि यूं अचानक लाल बहादुर शास्त्री दुनिया को अलविदा कहकर चले जाएंगे। लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु को लेकर ये ख़बर सामने आई थी कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन इस बात की किसी को भी कोई सच्चाई नज़र नहीं आ रही थी। लेकिन ऐसा क्यों?

आखिर लाल बहादुर शास्त्री के दिल के दौरे पड़ने की ख़बर पर कोई विश्वास क्यों नहीं कर रहा था? क्यों, उनकी मौत सबको एक साजिश लग रही थी? और अगर लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु एक साजिश थी, तो उस साजिश का मास्टरमाइंड कौन था? ऐसे बहुत सारे सवाल जो लाल बहादुर शास्त्री की मौत की ख़बर सुनने के बाद सामने आए थे, उनके जवाब आज आपको आगे इस पोस्ट में मिल जाएंगे। इस पोस्ट में आप सभी जानेंगे कि आखिर लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई कैसे थी।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 3

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे लाल बहादुर शास्त्री। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी से कुछ दूर पर स्थित एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। जैसे जैसे लाल बहादुर शास्त्री बड़े हुए, वैसे- वैसे उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेना ही अपना स्वभाग्य समझा। महज ग्यारह वर्ष की आयु में ही वो देश के लिए कुछ करना चाहते थे। सोलह वर्ष के होते ही, उन्होंने गांधीजी के असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए लोगों का आह्वान किया। फिर ये गांधीजी के साथ जुड़ गए और पढ़ाई छोड़ के भारत की आज़ादी में अपनी सहभागिता देने लगे।

गांधीजी के साथ नमक कानून को तोड़ने के लिए 1930 में इन्होंने दांडी यात्रा भी की थी। उन्होंने कई विद्रोहों का नेतृत्व भी किया था और इसके लिए वो 7 सालों तक ब्रिटिश जेल में भी रहे थे। धीरे- धीरे वो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गए और भारत के आज़ाद होने के बाद उन्हें भारत का दूसरा प्रधानमंत्री भी बनाया गया। उनकी ईमानदारी और निष्ठा के लिए हर कोई उन्हें पसंद करता था। लेकिन फिर अचानक ही प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत रहते हुए ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी, ये खबर सुनकर पूरा देश सदमे में आ गया था।

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 4

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 11 जनवरी, 1966 में हुई थी। उनकी मौत को लेकर ये कहा गया था कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। उस समय शास्त्री जी उज़्बेकिस्तान दौरे पर थे और उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में ही उन्होंने अपनी अंतिम सांसें ली थीं। शास्त्री जी उस समय उज़्बेकिस्तान पाकिस्तान से वार्ता करने के लिए गए थे।

पाकिस्तान और भारत के युद्ध के बाद लाल बहादुर शास्त्री स्थिति को सुधारने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उज़्बेकिस्तान के लिए रवाना हुए थे। भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 1965 में शुरू हुआ था और ये युद्ध लगभग 6 महीने चला था, अप्रैल से लेकर सितंबर तक। युद्ध जैसे ही समाप्त हुआ, उसके बाद दोनों देशों के शीर्ष नेता ताशकंद में शांति समझौते के लिए पहुंचे थे। उस समय ताशकंद रूसी क्षेत्र के अंतर आता था।

भारत की ओर से इस समझौते का नेतृत्व शास्त्री जी कर रहे थे और पाकिस्तान की ओर से इस समझौते का नेतृत्व अयूब खान के द्वारा किया गया था। ये शांति समझौता 10 जनवरी को सफलतापूर्वक हो भी गया था। लेकिन समझौते के अगले दिन ही लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हो गई थी। शास्त्री जी की मौत रात में 1 बजकर 32 मिनट पर हुई थी। उनकी मौत की वजह थी दिल का दौरा। लेकिन शास्त्री जी की पत्नी का ये कहना था कि उनके शरीर की सही से जांच होनी चाहिए। क्योंकि अगर उन्हें दिल का दौरा पड़ा होता, तो उनका शरीर नीला न पड़ता। उनकी पत्नी का मानना था कि उन्हें जहर दिया गया है।

शास्त्री जी की मौत का नहीं है कोई रिकॉर्ड

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद जब उनका शरीर नीला पड़ गया तो उसके बाद सबको ये तो पता ही चल गया था कि उनकी मौत दिल के दौरे से तो नहीं ही हुई है, लेकिन सच क्या था ये किसी को नहीं पता चला पा रहा था। हर कोई बस सच जानने की अपेक्षा कर रहा था। मौत के तुरंत बाद उनकी ड्यूटी पर तैनात बटलर को गिरफ़्तार कर लिया गया था और उससे पूछताछ की गई थी। लेकिन बटलर की बातों से कुछ साफ नहीं हुआ और गिरफ़्तारी के कुछ समय बाद ही उसे रिहा भी कर दिया गया था।

खैर, लोगो ने तो बटलर के बयान पर भी कई सवाल उठाए थे। ऐसा कहा जाता है कि प्रधानमंत्री शास्त्री के मौत की केस फाइल आज भी मौजूद है। शास्त्री जी की मौत की सबसे पहले जांच राज नारायण के द्वारा की गई थी। लेकिन इस जांच से कोई फ़ायदा नहीं हुआ था, क्योंकि इससे कोई नतीज़ा सामने नहीं आया था। वैसे तो अगर किसी की मौत होती है तो उसका पोस्टमार्टम करवाया जाता है। लेकिन शास्त्री जी के पोस्टमार्टम की कोई भी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। उनके मरने के बाद उनकी जांच रूस के कुछ डाक्टरों तथा उनके निजी डॉक्टर आरएन चुग के द्वारा की गई थी। लेकिन, अगर बात रिकॉर्ड की हो तो कहीं भी किसी भी सरकार के पास कोई रिकॉर्ड, कोई सबूत नहीं है।

मौत या साजिश: क्या है लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु का सच?

लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु 2

जब लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु की पहली जांच बैठाई गई, तो शास्त्री जी के निजी डॉक्टर आरएन चुग को भी जांच के घेरे में लिया गया। तथा उन्हें पूछताछ के लिए राज नारायण कमीशन के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया।। लेकिन पेशी होने के पहले ही डॉक्टर चुग तथा उनके पूरे परिवार की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है। इस बात से कहीं न कहीं ये बात और मजबूत होती नज़र आती है कि शास्त्री जी की मौत स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि उनकी हत्या की गई थी। हत्या कब, किसने और क्यों की, ये आज तक एक बहुत बड़ा रहस्य बना हुआ है।

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