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अकाल मृत्यु क्यों होती है ?

जीवन और मृत्यु इस धरती पर जन्म लेने वाले हर जीव के जीवन के दो पहलू हैं। इस संसार में जन्म वाले हर जीव की मृत्यु निश्चित है। इसे कोई बदल नहीं सकता है। इस धरती पर जन्म लेने वाला हर जीव अपनी जीवन चक्र को पूरा कर एक निश्चित समय पर इस दुनिया से अलविदा हो जाता है।

यूं तो इस धरती पर जन्म लेने वाले हर जीव को एक निश्चित समय पर इस दुनिया को छोड़कर जाना ही है। लेकिन हर जीव अपने कर्म के अनुसार अलग-अलग तरह से मृत्यु को प्राप्त करता है। खास तौर से अगर बात की जाए मनुष्य की तो मनुष्य के मृत्यु को भी दो प्रकार में बांटा गया है। पहली मृत्यु ऐसी होती है, जिसमें धरती पर जन्म लेने वाला प्राणी अपने जीवन को भलीभांति जी कर, एक निश्चित समय पर दुनिया को अलविदा कहता है। इस तरह की मृत्यु को प्राकृतिक मृत्यु या सामान्य मृत्यु की श्रेणी में रखा गया है। जबकि दूसरी तरह की मृत्यु में जीव अपने जीवन का सुख भी नहीं भोग पाता और असमय ही काल की गाल में समा जाता है। इस तरह की मौत अब प्राकृतिक होती है जिसे असामान्य मृत्यु की श्रेणी में रखा जाता है। असामान्य मृत्यु को ही अकाल मृत्यु का नाम दिया गया है।

हिंदुओं के पवित्र पुराण गरुण पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़े तथ्यों पर भी प्रकाश डाला गया है। गरुण पुराण में इस बात की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है कि किस तरह की मौत को अप्राकृतिक माना गया है, और इसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा गया है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु अल्पायु में भुखमरी, हत्या, खुदकुशी, पानी में डूब कर, दुर्घटनाग्रस्त होकर, किसी जंगली जानवर के चपेट में आकर, सांप के काटने की वजह से या किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की वजह से होती है, तो इस तरह को मौत को अकाल मृत्यु का दर्जा दिया गया है।

अब सवाल यह होता है कि अकाल मृत्यु क्यों होती है। ये मनुष्य के बुरे कर्मों का नतीजा होता है, या पूर्व जन्म का कोई श्राप। आखिर किस वजह से प्राणी को अकाल मृत्यु के कष्ट को झेलना पड़ता है। आगे इस पोस्ट में पढ़ें अकाल मृत्यु की वजह क्या है?

अकाल मृत्यु के कारण

अकाल मृत्यु 1

हिंदूओ के पवित्र ग्रंथ गरुण पुराण में मनुष्य के जीवन और मृत्यु से जुड़े सभी रहस्यों को बताया गया है। यहां तक कि इस पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है, इस बात की भी व्याख्या की गई है। गरुड़ पुराण में ही अकाल मृत्यु से जुड़ी बातों का भी वर्णन किया गया है। अकाल मृत्यु क्यों होती है और किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अकाल मृत्यु का योग कैसे बनता है ? इसका वर्णन किया गया है । सबसे पहले जानते हैं अकाल मृत्यु क्यों होती है ?

  • गरुड़ पुराण के अनुसार किसी व्यक्ति का जीवन कैसा होगा वह उसके कर्मों पर निर्भर करता है। यदि कर्म अच्छे होते हैं तो व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से जीकर एक निश्चित समय में सद्गति को प्राप्त होता है, वही कर्म बुरे होने पर पूरा जीवन कष्टमय व्यतीत होने के साथ मृत्यु भी कष्टकारी होती है।
  • पूर्व जन्म में किए गए पाप एवं पुण्य का प्रभाव मनुष्य को इस जीवन में भी झेलना पड़ता है। ऐसी मान्यता है यदि कोई व्यक्ति अपने पूर्व जन्म में किसी पाप का भागीदार होता है, तो इस जन्म में उसका जीवन बेहद कष्टकारी होता है, और उसकी मृत्यु भी असामान्य तरीके से होती है।
  • स्त्रियों को शोषण करने वाला व्यक्ति अकाल मृत्यु प्राप्त करता है।
  • भ्रष्टाचार और कुकर्म करने वाले व्यक्ति को भी अकाल मृत्यु प्राप्त होती है।
  • बताया गया है कि यदि परिवार में किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो और उस व्यक्ति का श्राद्ध एवं तर्पण विधि विधान से नहीं किया गया हो, तो ऐसे घर में जन्म लेने वाले हर संतान की कुंडली ने अकाल मृत्यु दोष विराजमान हो जाता है।

जन्म कुंडली में अकाल मृत्यु योग

अकाल मृत्यु

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली को देखकर ये पता लगाया जा सकता है कि उस व्यक्ति का जीवन कैसा व्यतीत होगा, उसकी मृत्यु कब और कैसे होगी। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के छठे भाव को रोग, आठवें भाव को मृत्यु एवं 12वें भाव को शारीरिक व्यय एवं पीड़ा का भाव माना गया है। इन भावों में कौन से ग्रह एवं नक्षत्र विराजमान हैं, इसके आधार पर इस बात का अंदाजा लगाया जाता है कि उस व्यक्ति का जीवन चक्र कैसा चलेगा।

आइए जानते हैं कुंडली में कैसे बनता है अकाल मृत्यु का योग :

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के लग्न में मंगल विराजमान हो और उस पर शनि एवं सूर्य की नजर पड़ रही है, तो ऐसे जातक की कुंडली में दुर्घटना से मृत्यु के योग बन रहे होते हैं।
  • यदि किसी जातक की कुंडली में मंगल एवं राहु ग्रह की युति बन रही हो या ये दोनो ग्रह समसप्तक पर स्थित हो और दोनो की एक दूसरे पर दृष्टि हो तो ऐसे जातक की कुंडली में भी दुर्घटना की वजह से अकाल मृत्यु दोष का योग बनता है।
  • किसी जातक की कुंडली के छठे भाव का स्वामी यानी बुध ग्रह जब पाप से ग्रसित होकर छठे अथवा आठवें भाव में स्थित होता है, तो ऐसे जातक की कुंडली में दुर्घटना से अकाल मृत्यु का योग बनता है।
  • ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक किसी जातक की कुंडली के लग्न भाव, दूसरे भाव या 12वें भाव में यदि कोई अशुभ ग्रह विराजमान होता है तो ऐसी स्थिति में हत्या की वजह से उसके अकाल मृत्यु के योग बनते हैं।
  • यदि किसी जातक की कुंडली के दसवें भाव के नवांश राशि का स्वामी राहु या केतु के साथ विराजमान होता है तो ऐसे जातक की कुंडली में अकाल मृत्यु के योग बनते हैं।
  • यदि किसी जातक की कुंडली के छठे, आठवें अथवा 12वें भाव में लग्नेश एवं मंगल का जोड़ा बनता है, तो ऐसे जातक की कुंडली में युद्ध में अकाल मृत्यु के योग बनते हैं।
  • यदि किसी जातक की कुंडली के दूसरे, सातवें अथवा आठवें भाव में मंगल स्थित हो और उस पर सूर्य की नजर पड़ रही हो तो ऐसे जातक की आग में जलकर मरने की संभावना बनती है।

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