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अकाल मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है?

जीवन और मृत्यु, ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस इंसान ने इस धरती पर जन्म लिया है, उसे इस धरती को छोड़कर एक न एक दिन जाना ही होगा। जब एक इंसान जन्म लेता है, उसी समय उसकी मृत्यु का होना भी तय हो जाता है। ये एक अटल सत्य है, इसे न तो कोई टाल पाया है और न ही कोई इसे बदल पाया है। हर किसी को प्राणों का त्याग एक न एक दिन करना ही होगा। आप, मैं और इस धरती पर जितने भी लोग हैं, कोई भी अमर नहीं है। सब बस अपने तय समय के अनुसार अपना जीवन काट रहे हैं।

जन्म और मृत्यु, ये दो ऐसी घटनाएं हैं, जिनके बारे में जानना हर किसी के लिए बेहद आवश्यक है। क्योंकि एक बार जब व्यक्ति जन्म ले लेता है, उसके बाद वो सांसारिक मोह- माया में इतना अंतर्भावन हो जाता है कि ये भूल जाता है कि उसके कर्मों का फल उसे ही भोगना होता है और वो भी इसी जीवन में।

जीवन में इंसान के द्वारा किए गए उन्हीं कर्मों का असर मृत्यु के बाद भी दिखाई देता है। अगर एक व्यक्ति जीवन रहते अच्छे कर्मों को करता है, तो कर्मों के अनुसार उसे स्वर्ग लोक में जगह मिलती है, वहीं जिस व्यक्ति के कर्म अच्छे नहीं होते हैं, उसे नरक लोक में स्थान मिलता है। जिस तरह हर व्यक्ति अलग- अलग कर्मों को अंजाम देता है, ठीक उसी तरह से मृत्यु भी हर किसी को अलग- अलग रूपों में प्राप्त होती है। जैसे हर किसी का जीवन को जीने का तरीका अलग होता है, वैसे ही हर किसी की मृत्यु भी एक जैसी नहीं होती है।

मृत्यु के रूप

अकाल मृत्यु 1

कुछ लोग होते हैं, जो जीवन के सारे सुख भोग लेते हैं और उसके बाद मृत्यु को प्राप्त होते हैं, तो वहीं कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनकी असमय ही मौत हो जाती है। ये असमय की मौत, कभी किसी गंभीर बीमारी की वजह से होती है तो कभी लोगों की लापरवाही के चलते एक्सीडेंट या आत्महत्या करने से होती है। इस तरह की मृत्यु बहुत कष्ट देती है तथा इसे अकाल मृत्यु के रुप में जाना जाता है।

ऐसी मृत्यु प्राप्त करने वाले व्यक्तियों की आत्मा कभी भी तृप्त नहीं होती है और हमेशा भटकती रहती है। अकाल मृत्यु का जिक्र गरुण पुराण में भी किया गया है। इसमें बताया गया है कि अकाल मृत्यु होने के बाद आत्मा कहां जाती है। इसी की चर्चा आगे इस पोस्ट में की गई है।

अकाल मृत्यु के बाद आत्मा का क्या होता है?

अकाल मृत्यु 2

गरुण पुराण में मृत्यु को बहुत ही विस्तार रुप में दर्शाया गया है। इसमें अकाल मृत्यु की भी चर्चा की गई है। इसके अनुसार अकाल मृत्यु के बाद आत्मा की दशा को अलग- अलग रूपों में दर्शाया गया है। गरुण पुराण में बताया गया है कि जो भी व्यक्ति दुराचार करते हैं, पापी होते हैं, झूठ बोलते हैं, स्त्रियों का शोषण करते हैं, किसी के साथ धोखा या फरेब करते हैं, भ्रष्टाचार आदि करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है।

ऐसे लोग अपनी पूरी जिंदगी नहीं जी पाते हैं और अधूरी जिंदगी जीकर ही मृत्यु को प्राप्त करते हैं। ऐसे में उनकी आयु भी अधूरी ही मानी जाती है। यानी ऐसी आत्माएं जिनका जीवन चक्र पूरा हुए बिना ही निधन हो जाता है, उन्हें न तो स्वर्ग में और न ही नर्क, किसी में भी स्थान नहीं प्राप्त होता है। ऐसी आत्माएं सदैव भटकती रहती हैं।

  • गरुण पुराण के अनुसार अकाल मृत्यु के पश्चात अलग अलग तरह के लोगो की आत्माओं का अलग अलग हश्र होता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते है –
  • जब किसी पुरुष की अकाल मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा प्रेत, पिशाच, कुष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, बेताल और क्षेत्रपाल योनि आदि में भटकती रहती है और अपने प्रियजनों को परेशान करती है।
  • यदि किसी स्त्री की अकाल मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा अलग- अलग योनियों में भटकती है। जैसे यदि किसी कुंवारी कन्या की मृत्यु होती है, तो वो देवी योनि में भटकती है। यदि किसी प्रसूति स्त्री या नवयुवती किशोरी की अकाल मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा चुड़ैल का रूप धारण कर लेती है।
  • ये आत्माएं धरती पर ही भटकती रहती हैं और अपने आसपास के लोगों को परेशान करती हैं। इसी की वजह से जब किसी घर में किसी की अकाल मृत्यु हो जाती है, उसके बाद उस घर में शांति कभी नहीं रहती है।

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