हर रुद्राक्ष की अलग- अलग अहमियत है, तथा सबकी अपनी विशेषता है। सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा माना जाता है आगे इस पोस्ट में पढ़ें-
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत अहम माना जाता है। जिन लोगों का भगवान शिव में अटूट विश्वास होता है, वो लोग रुद्राक्ष को या तो माला के रूप में धारण करते हैं, या रुद्राक्ष का कवच बनाकर सदैव अपने पास रखते हैं। कुछ समय पहले सिर्फ साधु और संत ही रुद्राक्ष को धारण करते हुए नज़र आते थे, लेकिन जब साधारण मनुष्य को भी रुद्राक्ष के चमत्कार के बारे में पता चला, तो धीरे- धीरे हर कोई इसे धारण करने लगा। रुद्राक्ष पहनने के कुछ नियम होते हैं। इसके साथ ही रुद्राक्ष पहनने के बाद भी नियमों का पालन करना होता है।
रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से है। हिंदू धर्म में तो रुद्राक्ष की भोलेनाथ के समान ही पूजा की जाती है। इसको धारण करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करते हैं, वो भगवान शिव के मन तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि रुद्राक्ष ही भगवान शिव के मन तक पहुंचने का एक साधन है।
भगवान शिव को रुद्राक्ष बहुत अधिक प्रिय है और इसकी गाथा शिव जी ने सर्वप्रथम अपनी धर्मपत्नी माता पार्वती को सुनाई थी। इसी गाथा के बारे में आज इस आर्टिकल में आप पढ़ने वाले हैं, इसी के साथ ही आज हम इस आर्टिकल में ये भी बताएंगे कि कौन सा रुद्राक्ष धारण करने से आपके जीवन के सारे कष्ट दूर होंगे। क्योंकि अक्सर ही लोगों के मस्तिष्क में ये सवाल उत्पन्न होता है कि कौन से मुखी का रुद्राक्ष उन्हें धारण करना चाहिए। इस क्रम में हम सबसे पहले बात करेंगे रुद्राक्ष की उत्पत्ति की।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति
रुद्राक्ष शब्द को अगर तोड़ा जाए, तो दो नए शब्द प्राप्त होंगे, रुद्र तथा अक्ष। तो रुद्राक्ष का अर्थ होता है ‘ रुद्र का अक्ष ‘। रुद्र तो आप सभी जानते ही हैं कि भोलेनाथ का एक रूप है और अक्ष का मतलब होता है आंसू। तो पौराणिक कथा के अनुसार रुद्राक्ष की जो उत्पत्ति हुई है, वो भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। कई वर्षों तक भगवान शिव ने आंख मूंदकर लंबी तपस्या की थी, जिसके बाद जब उन्होंने तपस्या पूर्ण होने पर अपनी आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े और ये आंसू धरती पर जहां कहीं भी गिरे, वहां रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्पत्ति हुई। यही कारण है कि इसे पवित्र मानकर इसकी पूजा की जाती है। रुद्राक्ष का विवरण अलग- अलग ग्रंथों में भी देखने को मिलता है।
विभिन्न ग्रंथों में रुद्राक्ष का विवरण-
प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष को पूज्यनीय माना जाता है। अलग- अलग धर्म शास्त्रों में रुद्राक्ष के विषेश रूप को और इसके महत्व को दर्शाया गया है।
शिव पुराण में ऐसा विवरण किया गया है कि भगवान् शिव ने अपनी तपस्या के बारे में सर्वप्रथम अपनी धर्मपत्नी माता पार्वती से बताया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे उनकी तपस्या पूर्ण होने के बाद जब उनकी आंखें खुली तो आंसू गिर पड़े और जहां कहीं भी वो आंसू धरती पर गिरे, वहां रुद्राक्ष नाम के वृक्ष के उत्पत्ति हुई।
वहीं शिव महापुराण में सूत जी विश्वेश्वर संहिता के 25वें अध्याय के प्रारंभ में ही ये कहते हैं कि शंकर जी को रुद्राक्ष बहुत अधिक प्रिय है। जो भी रुद्राक्ष की माला का जाप करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
पुराणों में अलग- अलग रंग के रुद्राक्ष की अलग- अलग मान्यता बताई गई है। जिन व्यक्तियों को पूजा पाठ करना होता है, उन्हें सफेद रंग के रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को पुरुषार्थ का कार्य करना होता है, उन्हें लाल रंग के रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। वहीं जिन व्यक्तियों को वैश्य वृत्ति करनी होती है, उन्हें पीले रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और अन्य व्यक्तियों को काले रंग के रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। रंगों के अलावा भी रुद्राक्ष की अन्य विशेषताएं हैं, जिनको धारण करने से अलग- अलग लाभ प्राप्त होते हैं। इसकी चर्चा हम आगे करेंगे।
कौन सा है सबसे अच्छा रुद्राक्ष है?
सबसे अच्छा रुद्राक्ष कौन सा है, ये कह पाना काफी मुश्किल है, क्योंकि हर रुद्राक्ष की अलग- अलग अहमियत है तथा सबकी अपनी विशेषता है।
- जिन रुद्राक्ष में छेद बने हुए होते हैं, उन्हें सबसे अच्छा रुद्राक्ष माना जाता है।
- अगर आपको रुद्राक्ष का मुकुट बनवाना है, तो इसके लिए सबसे अच्छा रुद्राक्ष होता है कि मुकुट में आप 550 रुद्राक्ष को लगवाएं। 550 रुद्राक्ष के मुकुट को सबसे अच्छा माना जाता है।
- मुकुट के बाद जो यज्ञोपवीत होता है, वो रुद्राक्ष की 3 लड़ी का बना हुआ होता है और उसमें 308 रुद्राक्ष होते हैं।
- अगर आपको रुद्राक्ष की माला बनवानी है, तो माला के लिए सबसे अच्छा रुद्राक्ष 101 रूद्राक्ष रहता है। आप 101 रूद्राक्ष की माला बनवाएं।
- इन सबके अतिरिक्त 6- 6 रूद्राक्ष कानों में, शिखा में 3 रूद्राक्ष, 1111 रूद्राक्ष दोनों कोहनियों में तथा मणि बंधों में, 5 कमर में, कुल मिलाकर कोई भी व्यक्ति विशेष 11 सौ रुद्राक्षों को धारण कर सकता है।
इसके अलावा कई विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि पंचमुखी रुद्राक्ष सबसे उत्तम होता है। इसको धारण करने से मनुष्य के दैहिक रोगों की समाप्ति होती है, इसी के साथ ही इस रुद्राक्ष को धारण करने से मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एसिडिटी जैसे रोगों से भी मुक्ति मिल सकती है। पंचमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से सांस से संबंधी रोग दूर होते हैं, और अनिद्रा जैसी स्थिति से भी छुटकारा मिलता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन तनाव मुक्त होता है। साथ ही ये धन से जुड़ी समस्याएं भी दूर करता है और व्यक्ति को एक सुखी जीवन प्रदान करने में सहायक होता है।
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