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रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम

रुद्राक्ष धारण करने से भगवान शिव के मन तक पहुंचना आसान होता है। लेकिन रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम को मानना अनिवार्य है।

हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत अहम माना जाता है। जिन लोगों का भगवान शिव में अटूट विश्वास होता है, वो लोग रुद्राक्ष को या तो माला के रूप में धारण करते हैं, या रुद्राक्ष का कवच बनाकर सदैव अपने पास रखते हैं।

प्राचीन काल में सिर्फ साधु और संत ही रुद्राक्ष को धारण करते हुए नज़र आते थे, लेकिन जब साधारण मनुष्य को भी रुद्राक्ष के चमत्कार के बारे में पता चला, तो धीरे- धीरे हर कोई इसे धारण करने लगा।

धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष का सीधा संबंध भगवान शिव से माना गया है। हिंदू धर्म में तो रुद्राक्ष की भोलेनाथ के समान ही पूजा की जाती है। इसको धारण करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होते हैं और मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करते हैं, वो भगवान शिव के मन तक पहुंच सकते हैं, क्योंकि रुद्राक्ष ही भगवान शिव के मन तक पहुंचने का एक साधन है।

ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष पहनने के बाद रोगों से मुक्ति मिलती है और कुंडली से जुड़े दोष (कालसर्प दोष या पितृ दोष) भी समाप्त होते हैं। इसके साथ ही रुद्राक्ष धारण करने से अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है। परंतु रुद्राक्ष को धारण करना इतना आसान भी नहीं है। क्योंकि रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम थोड़े कठिन और सख्त होते हैं। रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम का पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है।

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम क्या है ? इसकी चर्चा आगे इस पोस्ट में की गई है।

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम

धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष पहनने के बाद कुछ नियमों का पालन करना अति आवश्यक होता है। एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक के रुद्राक्ष को धारण करने से कई संकटों का नाश होता है, लेकिन रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम को मानना भी आवश्यक है। कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है।

  • रुद्राक्ष को हमेशा पीले अथवा लाल रंग के धागे में धारण करना चाहिए। इसे काले रंग के धागे में कभी नहीं पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष की माला हमेशा विषम मनको की संख्या वाली पहननी चाहिए। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की मनकों की संख्या 27 से काम नहीं होनी चाहिए।
  • अपना धारण किया हुआ रुद्राक्ष ना तो कभी किसी और को देना चाहिए, और ना ही किसी का धारण किया और रुद्राक्ष खुद पहनना चाहिए।
  • रोजाना रात्रि में सोते समय रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। और अगले दिन स्नान इत्यादि करने के बाद साफ वस्त्र पहन कर ही दोबारा रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष धारण करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना आवश्यक है।
  • रुद्राक्ष पहनने के बाद साफ सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है। धारण किए गए रुद्राक्ष को भी नियमित तौर पर साफ करते रहना चाहिए। इससे उसकी चमक भी बनी रहती है और उसके अंदर की ऊर्जा बनी रहती है।

रुद्राक्ष पहनने के बाद क्या नहीं करना चाहिए ?

रुद्राक्ष पहनने के बाद के नियम 2

कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें रुद्राक्ष पहनने के बाद करने की मनाही होती है। जैसे –

  • रुद्राक्ष की माला पहनकर कभी किसी शोक सभा अथवा शव यात्रा में नहीं शामिल होना चाहिए। अगर ऐसे स्थान पर जाने की स्थिति बने तो रुद्राक्ष या रुद्राक्ष की माला को घर पर ही उतार कर रख देना चाहिए।
  • अगर घर में ही किसी की मृत्यु हो जाए तो ऐसी स्थिति में भी रुद्राक्ष को उतार कर रख देना चाहिए, और सूतक खत्म होने के बाद जब घर पवित्र हो जाए तब गंगाजल से पवित्र करने के बाद ही रुद्राक्ष को दोबारा पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष पहनने के बाद तामसिक भोजन से दूर रहना चाहिए। मांसाहार भोजन और मदिरा से दूरी बना कर रखनी चाहिए। धूम्रपान भी नहीं करना चाहिए। यूं कह सकते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को हर नशे से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
  • सामान्य तौर पर गर्भवती महिलाओं को रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए, लेकिन यदि किसी ने उन्हें ऐसा करने की सलाह दी है तो ऐसी स्थिति में बच्चे के जन्म के समय रुद्राक्ष को अवश्य उतार देना चाहिए और दोबारा सौर काल से शुद्धि मिलने के बाद ही रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

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