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प्रयागराज में अस्थि विसर्जन का क्या महत्व है ?

उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित प्रयागराज शहर हिंदू धर्म के पवित्र तीर्थ स्थलों में सर्वोपरि है। प्रयागराज में अस्थि विसर्जन का क्या महत्व है ? आइए इस पोस्ट के जरिए जानें –

हिंदू धर्म में मृत्यु के पश्चात प्रायः दाह संस्कार के माध्यम से मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है। मृतक के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए दाह संस्कार के पश्चात अस्थियों का विसर्जन किया जाता है। इस प्रक्रिया में शव का अग्नि दाह करने के पश्चात अस्थि अवशेष एवं राख को पवित्र नदी के जलधारा में प्रवाहित किया जाता है।

हिंदू धर्म में जन्मे हर मनुष्य की यही इच्छा होती है किए की जीवन में एक बार उसे गंगा स्नान का सौभाग्य प्राप्त हो और मृत्यु के पश्चात गंगा के पवित्र जल से उसे मोक्ष की प्राप्ति हो। हिंदू धर्म में अस्थियों को विसर्जित करने के लिए गंगा नदी को सबसे अधिक पवित्र माना गया है। इसके साथ गंगा नदी के तट पर बसे कुछ शहरों को विशेष धार्मिक महत्व दिया गया है, जहां मृतक का अंतिम संस्कार अस्थियों का विसर्जन करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलने के साथ उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इन शहरों में गया, हरिद्वार, रामेश्वरम, काशी एवं प्रयागराज का नाम शामिल है।

प्रयागराज शहर का धार्मिक महत्व

प्रयागराज में अस्थि विसर्जन 3

उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित प्रयागराज शहर हिंदुओं का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। गंगा नदी के तट पर बसे इस शहर में तीन पवित्र नदियों का संगम है। तीन पावन नदियां गंगा, यमुना और सरस्वती की पवित्र जलधारा प्रयागराज में आकर मिलती हैं, जिसकी वजह से इस शहर का धार्मिक महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आते हैं और गंगा, यमुना व सरस्वती के संगम, त्रिवेणी में डुबकी लगाकर अपने पाप धोते हैं।

रामायण में प्रयागराज के धार्मिक महत्व की व्याख्या करते हुए बताया गया है कि इस पूरे विश्व में प्रयागराज ही एक ऐसा स्थान है, जहां तीन नदियों का संगम देखने को मिला है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि प्रयागराज के बाद अन्य नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है, और आगे सिर्फ गंगा नदी का ही धार्मिक महत्व रह जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रयागराज में स्वयं ब्रह्मदेव ने यज्ञ संपन्न कराया था, और त्रिवेणी संगम में स्नान करके देवताओं ने खुद को धन्य समझा।

मत्स्य पुराण में वर्णित है प्रयागराज का महत्व

प्रयागराज में अस्थि विसर्जन 1

हिंदुओं के पवित्र पुराण मत्स्य पुराण के मुताबिक एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने मार्कण्डेय से प्रश्न किया कि प्रयागराज में संगम स्नान करने से क्या फल मिलता है ? इसके जवाब में मार्कंडेय ने उन्हें बताया कि प्रयागराज का महत्व तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। प्रयागराज के प्रतिष्ठान पूरी जिसे वर्तमान में झूसी के नाम से जाना जाता है से लेकर वासुकी के हृदयोपरिपर्यंत के दो भाग कंबल और अश्वतर है। यहां बहुमुलक नाग भी है। प्रजापति का यह क्षेत्र तीनों लोगों में प्रसिद्ध है। त्रिवेणी के जल में स्नान कर देवताओं ने भी खुद को पवित्र माना था।

वेदों और पुराणों में भी प्रयागराज की महत्त्वता का वर्णन किया गया है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषियों ने शेषनाग से सवाल किया कि प्रयागराज को तीर्थराज का दर्जा क्यों दिया गया है ? तब शेषनाग ने बताया कि एक बार सभी तीर्थ स्थलों की श्रेष्ठता की तुलना की जा रही थी। एक पलड़े पर सभी तीर्थ स्थलों को और दूसरे पलड़े पर प्रयागराज को रखा गया। परंतु फिर भी प्रयागराज का पलड़ा भारी था। दूसरी बार एक पलड़े पर प्रयागराज को और दूसरे पर सप्तपुरियो को रखा गया। इस बार भी प्रयागराज का पलड़ा भारी था। इस तरह से प्रयागराज की प्रधानता ने इसे तीर्थ स्थलों का राजा बना दिया। और प्रयागराज तीर्थराज के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

प्रयागराज में अस्थि विसर्जन का महत्व

प्रयागराज में अस्थि विसर्जन

सनातन धर्म में माता गंगा को मोक्ष दाहिनी कहा जाता है। गंगा जी के पवित्र जल में स्नान मात्र से पापों की मुक्ति हो जाती है और मृत्यु के पश्चात गंगा के किनारे अंतिम संस्कार और गंगा के पवित्र जल में अस्थियों का विसर्जन करने से जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जब बात हो प्रयागराज की तो ये तो तीर्थो का राजा है। मृत्यु के पश्चात प्रयागराज में तीन नदियों के संगम गंगा, यमुना एवं सरस्वती में जिसे त्रिवेणी के नाम से जाना जाता है, अस्थियों का विसर्जन करने से एक साथ तीन पवित्र नदियों का पुण्य प्राप्त होता है। आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त होकर सीधे स्वर्ग लोक में निवास करती है। प्रयागराज में अस्थि विसर्जन का महत्व इतना अधिक है कि सिर्फ भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेश में बसे हिंदू धर्म के अनुयाई भी प्रयागराज में आकर अपने परिजनों का अस्थि विसर्जन करने की इच्छा रखते हैं।

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