कुछ स्थितियों में रुद्राक्ष पहनने के नुकसान का सामना करना पड़ता है। आगे पोस्ट में पढ़ें कि किन लोगों को रुद्राक्ष पहनने से बचना चाहिए, अन्यथा फायदे की जगह हो जाएगा नुकसान।
रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना गया है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव के समान पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष को पहनने वाला व्यक्ति भगवान शिव के बेहद करीब होता है और भगवान शिव उस व्यक्ति के सभी कष्टों को दूर करते हैं।
रुद्राक्ष के हर दाने पर भगवान शिव की असीम कृपा होती है। रुद्राक्ष को पहनने वाले व्यक्ति के कुंडली से जुड़े सभी दोष (जैसे कालसर्प दोष या पितृ दोष) दूर होते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी रुद्राक्ष पहनना लाभदायक होता है। रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति के जीवन से अकाल मृत्यु का कष्ट दूर होता है। इसी प्रकार से रुद्राक्ष पहनने के और भी बहुत सारे फायदे हैं।
भगवान शिव के अश्रुओं से उत्पन्न, बेहद पवित्र एवं दिव्य ऊर्जा से भरे हुए रुद्राक्ष को पहनने के फायदे तो बहुत है, लेकिन इससे जुड़े कुछ नुकसान भी हैं। कुछ स्थितियों में रुद्राक्ष पहनने के नुकसान भी देखने को मिलते हैं। जिसके बारे में आगे इस पोस्ट में चर्चा की गई है।
रुद्राक्ष पहनने के नुकसान
यूं तो रुद्राक्ष पहनने के फायदे अपरंपार है। रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव की असीम कृपा होती है। भगवान शिव उस व्यक्ति की हर मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। सभी कष्टों को दूर करते हैं और जिंदगी को सुख और समृद्धि से भरपूर कर देते हैं। लेकिन रुद्राक्ष पहनने के कुछ नियम होते हैं, और जो व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है, उसे फायदे की जगह रुद्राक्ष पहनने के नुकसान का सामना करना पड़ता है।
इन लोगों को नहीं पहनना चाहिए रुद्राक्ष
यूं तो धार्मिक मान्यता के अनुसार कोई भी व्यक्ति- चाहे वह किसी भी धर्म, जाति अथवा समुदाय से जुड़ा हुआ है, किसी भी लिंग यानी स्त्री अथवा पुरुष रुद्राक्ष को पहन सकता है। लेकिन –
- ऐसी महिलाएं जो मासिक चक्र से गुजर रही है, उन्हें उस दौरान रुद्राक्ष को उतार कर किसी पवित्र स्थान पर रख देना चाहिए और फिर मासिक चक्र से निवृत्त होने के पश्चात, पूर्णतया स्वच्छ होने के बाद ही रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
- गर्भवती स्त्री अपने गर्भकाल के दौरान रुद्राक्ष पहन सकती है, लेकिन बच्चे के जन्म के समय रुद्राक्ष को उतार कर रख देना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब बच्चे का जन्म होता है उस समय सौर काल लग जाता है, और इस दरमियान स्त्री को अपवित्र माना जाता है।
- नवजात शिशु अथवा शिशु को जन्म देने वाली स्त्री को छूने से पहले भी रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए क्योंकि ऐसी स्थिति में रुद्राक्ष और पवित्र हो जाता है।
रुद्राक्ष पहनकर मांसाहार खाना वर्जित
यदि कोई व्यक्ति रुद्राक्ष पहनकर मांसाहार भोजन करता है या मदिरा का सेवन करता है, तो रुद्राक्ष फलित होने के बजाय उस व्यक्ति के लिए नुकसानदायक साबित होता है। रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति को मांसाहार भोजन एवं किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहना चाहिए।
इन स्थितियों में उतरने रुद्राक्ष अन्यथा होगा नुकसान
- रात्रि में सोने से पहले रुद्राक्ष उतार कर रख देना चाहिए, अन्यथा रुद्राक्ष अपवित्र हो जाता है और फिर इससे सकारात्मक ऊर्जा निकालने के बजाय नकारात्मक ऊर्जा निकलने लगती हैं।
- किसी भी अंतिम संस्कार, शव यात्रा या शमशान घाट पर जाने से पहले रुद्राक्ष को उतार कर रख देना चाहिए, नहीं तो रुद्राक्ष में नकारात्मक ऊर्जा आ जाती है जो जीवन को प्रभावित करने लगती है।
- रुद्राक्ष को साफ सफाई से रखना आवश्यक होता है। शौच क्रिया अथवा स्नान करते समय रुद्राक्ष को अपने शरीर से अलग कर देना चाहिए। इसके साथ ही गंदे हाथों से भी रुद्राक्ष को छूने से बचना चाहिए, अन्यथा रुद्राक्ष जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के बजाय नकारात्मक प्रभाव डालने लगेगा।
- इसके साथ ही रुद्राक्ष को हमेशा ज्योतिषी से सलाह लेकर ही धारण करना चाहिए। क्योंकि हर राशि एवं ग्रह, करियर के लिए अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष होते हैं। सही रुद्राक्ष पहनना ही लाभदायक होता है। नही तो रुद्राक्ष पहनने के नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं।
एक मुखी रुद्राक्ष के नुकसान
एक मुखी रुद्राक्ष का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। इसे स्वयं भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। जैसा कि पहले ही बताया गया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से बताई जाती है। एक मुखी रुद्राक्ष को लेकर यह मान्यता है कि जब शिव जी के आंसू धरती पर गिरे तो इसकी पहली बूंद से एक मुखी रुद्राक्ष का जन्म हुआ। सूर्य देव को एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी बताया गया है। इस रुद्राक्ष को विधि पूर्वक धारण करने पर कई लाभ मिलते हैं। लेकिन रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात नियम पूर्वक ना रहने पर इसके कुछ नुकसान भी होते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं –
- एक मुखी रुद्राक्ष के स्वामी सूर्य देव हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति नियम पूर्वक रुद्राक्ष को नहीं पहनता और किसी भी प्रकार से रुद्राक्ष का अपमान करता है तो उस व्यक्ति के जीवन पर सूर्य देव का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यदि कोई व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के पश्चात नियमों का उल्लंघन करता है, मांस-मदिरा का सेवन करता है, रुद्राक्ष की पवित्रता का ध्यान नहीं रखता तो उस व्यक्ति से शिवजी रुष्ट होते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की परेशानियां आने लगती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष पहनने के नुकसान
पांच मुखी रुद्राक्ष को धार्मिक दृष्टिकोण से सबसे अच्छा रुद्राक्ष माना जाता है। इस रुद्राक्ष में भगवान शिव महादेव के रूप में वास करते हैं। पांच मुखी रुद्राक्ष को शिवजी ने कालाग्रि रुद्रदेव का आशीर्वाद दिया हुआ है। कालाग्रि रुद्रदेव अपने उग्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं, ये दुनिया के निर्माणकर्ता होने के साथ-साथ संहारक भी है। अब चूकि पंचमुखी रुद्राक्ष में कालाग्रि रूद्रदेव विराजमान है, यही वजह है कि यह रुद्राक्ष भी उग्र प्रकृति का होता है जिसे संभालना बहुत ही कठिन होता है। पंचमुखी रुद्राक्ष को पहनने के फायदे तो बहुत है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं –
- यदि कोई व्यक्ति पहली बार पांच मुखी रुद्राक्ष को पहना है तो शुरुआत के कुछ दिनों तक उसे व्यक्ति को घबराहट और बेचैनी महसूस हो सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पांच मुखी रुद्राक्ष उग्र प्रवृत्ति का रुद्राक्ष है। इस रुद्राक्ष को संभाल हर व्यक्ति के वश में नहीं है।
- पंचमुखी रुद्राक्ष सकारात्मक शक्तियों से भरा हुआ है। इसके अंदर अत्यधिक ऊर्जा होती है जिसकी वजह से इस रुद्राक्ष को पहनने पर किसी-किसी को सिर दर्द की समस्या का सामना हो करना पड़ सकता है।
- इस रुद्राक्ष में अपारशक्ति होने की वजह से दिमाग उत्तेजित होता है जिसकी वजह से नकारात्मक भावना आ सकती है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार पांच मुखी रुद्राक्ष बृहस्पति ग्रह से जुड़ा होता है जो भौतिकता का ग्रह माना जाता है। ऐसे में इस रुद्राक्ष को धारण करने से दिमाग भौतिक चीजों में अधिक लगता है और व्यक्ति आध्यात्म से दूर हो सकता है।
नोट : किसी भी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले एक्सपर्ट की राय लेना आवश्यक है।
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