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श्राद्ध में क्या खरीदें क्या न खरीदें ?

पितृपक्ष यानि श्राद्ध के दौरान किन चीजों की खरीदारी करनी चाहिए और क्या नहीं खरीदना चाहिए ? इसको लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं।

आइए इस पोस्ट के जरिए जानते हैं श्राद्ध में खरीदारी से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें विस्तार में –

इस समय श्राद्ध यानी पितृपक्ष का समय चल रहा है। यह पवित्र समय पितरों एवं पूर्वजों को समर्पित होता है, जिसमें श्रद्धा भाव के साथ पितरों का श्राद्ध पिंडदान एवं तर्पण किया जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने बच्चों द्वारा किए गए श्राद्ध एवं पिंडदान से तृप्त होकर यमलोक वापस जाते हैं, और अपने पीछे अपने बच्चों को सुखी जीवन का आशीर्वाद दे जाते हैं।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष को विशेष धार्मिक महत्व दिया गया है। यही वजह है कि भाद्रपद माह के पूर्णिमा से प्रारंभ होकर आश्विन माह की अमावस्या तक चलने वाले इस पवित्र पक्ष के दौरान होने वाले श्राद्ध में कई नियमों का पालन किया जाता है।

उदाहरण के लिए पहला श्राद्ध कब करना चाहिए ? श्राद्ध का भोजन कैसा होना चाहिए ? श्राद्ध में किस चीज का दान करें ? इसके साथ ही श्राद्ध में खरीदारी से जुड़े भी कुछ नियम बनाए गए हैं। इन नियमों का पालन करना सबके लिए अनिवार्य होता है।

श्राद्ध में खरीदारी

पितृ पक्ष का समय पितरों को समर्पित होता है। इस पक्ष के दौरान श्रद्धा भाव के साथ पितरो का श्राद्ध एवं तर्पण किया जाता है। हिंदू धर्म से जुड़े लोगों की मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना, किसी नए वस्तु की खरीदारी करना निषेध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भी शुभ कार्य करने के लिए पितृ पक्ष का दिन उचित नहीं माना जाता है, लेकिन पौराणिक ग्रंथों में इस बात का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं किया गया है कि श्राद्ध में खरीदारी ना करें।

धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष या श्राद्ध पक्ष, श्रद्धा का पक्ष होता है। इस पक्ष में ईश्वर की पूजा के साथ पितरों की पूजा की जाती है। यह हिंदू धर्म का बेहद पवित्र समय बताया गया है। श्राद्ध पक्ष किसी शोक अथवा मृत्यु से जुड़ा हुआ पक्ष नहीं है। ये नियम-संयम के साथ रहने, पूजा पाठ एवं दान करने का समय है। श्राद्ध के दिनों में किसी भी प्रकार का गलत काम करने से बचना चाहिए। हां इन दिनों में किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार इत्यादि से जुड़े कोई शुभ मुहूर्त नहीं होते हैं। लेकिन श्राद्ध में खरीदारी करने की कोई रोक-टोक नहीं होती हैं,

श्राद्ध में क्या नहीं खरीदना चाहिए ?

हालांकि धार्मिक मान्यता के अनुसार श्राद्ध में खरीदारी करने की कोई मनाही नहीं है, लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं हैं जिन्हे पितृपक्ष के दौरान न खरीदने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि यदि पितृपक्ष के दौरान इन वस्तुओं को खरीदा गया तो ये आपके लिए कष्टकारी साबित हो सकता है।

नए वस्त्र

श्राद्ध में खरीदारी

धार्मिक मान्यता के अनुसार श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष में भूलकर भी कपड़े की खरीदारी नहीं करनी चाहिए। इस मान्यता के पीछे की खास वजह यह है, कि पितृपक्ष यानि श्राद्ध में पितरों के नाम पर नए वस्त्र एवं अन्न का दान किया जाता है। वस्त्र एवं अन्य के दान से पितर प्रसन्न होते हैं और तृप्त होकर देवलोक को वापस जाते हैं। चूंकि श्राद्ध में पितरों को नया वस्त्र दान में दिया जाता है, इसलिए पितृपक्ष के दौरान खुद के लिए नए वस्त्र की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

सरसो का तेल

श्राद्ध में खरीदारी 1

पितृपक्ष में सरसों का तेल कदापि नहीं खरीदना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि सरसों का तेल शनि का प्रतीक है। पितृपक्ष में इसे खरीदने से व्यक्ति को त्रिदोष का सामना करना पड़ता है।

नमक

श्राद्ध में खरीदारी 2

तेल की तरह ही नमक भी अत्यंत तीक्ष्ण वस्तु मानी गई है। यही वजह है कि पितृपक्ष में इसे खरीदने की रोक है।

झाड़ू

श्राद्ध में खरीदारी 4

हिंदू धर्म की मान्यता में झाड़ू को मां लक्ष्मी के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष में झाड़ू की खरीदारी करने से धन हानि का सामना करना पड़ता है।

नोट: धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दौरान नया घर, नई गाड़ी, जमीन, सोने चांदी के आभूषण, सौभाग्य का सामान जैसे – चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, आलता इत्यादि खरीदने की भी मनाही होती है।

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