कभी-कभी किसी व्यक्ति का जीवन हर तरफ से मुश्किलों में घिरा रहता है। लाख प्रयास के बाद भी हर तरफ से निराशा हाथ लगती है, घर में भी कलह एवं अशांति का माहौल बना रहता है। नौकरी मिलने में समस्या, व्यवसाय में घाटा, घर में हमेशा किसी न किसी का बीमार रहना, एवं कुल की वृद्धि न होना, इस तरह की समस्याएं उस व्यक्ति के मन को व्यथित कर देती हैं, और यह समझ पाना मुश्किल होने लगता है कि इन समस्याओं की असली वजह क्या है ? दरअसल व्यक्ति के जीवन में आने वाली इन समस्याओं की असली वजह उसकी कुंडली से जुड़े दोष हो सकते हैं। कुंडली में मुख्य तरह से दो प्रकार के दोष पाए जाते हैं- ‘पितृ दोष’ एवं ‘कालसर्प दोष‘।
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु बुरे प्रभाव को निर्मित करते हैं, तो ये बुरे प्रभाव ही कालसर्प दोष के रूप में जाने जाते हैं। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के मध्य कुंडली के अन्य ग्रह एक ही अक्ष पर स्थित हो जाते हैं, तो ये कुंडली में कालसर्प दोष की स्थिति बना देता है। कुंडली में बने कालसर्प दोष का प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन पर साफ देखने को मिलता है। अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठते देखा गया है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का साया है यह कैसे पहचाने ? वो कौन से लक्षण है जिन्हें देखकर यह समझा जा सकता है कि किसी व्यक्ति के कुंडली में कालसर्प दोष का साया है ?
मन में उठ रहे इन्हीं सवालों का जवाब लेकर आज हम इस पोस्ट में आए हैं। व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं जिन्हे देखकर ये साफ तरीके से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष का साया हो सकता है। केपी
कुंडली में कालसर्प दोष के लक्षण –
ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह को सर्प के मुख और केतु ग्रह को सर्प के पूछ का आकार माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु विराजमान हो और कुंडली के बाकी अन्य ग्रह इन दोनों के मध्य एक ही अक्ष पर स्थित होकर एक सर्प का आकार बनाते हैं तो यह उसे व्यक्ति की जन्म कुंडली में कालसर्प दोष की स्थिति बनाती है। किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष की स्थिति बनने पर इसका प्रभाव उस व्यक्ति के जीवन के लगभग हर पहलू में साफतौर पर देखने को मिलता है। जिसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष के योग बनने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –
- किसी बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही उसकी कोई बड़ी दुर्घटना होना, किसी गंभीर बीमारी का शिकार होना, ये इस बात का संकेत हो सकता है कि उस बच्चे की जन्मकुंडली में कालसर्प दोष का साया हो।
- पढ़ाई में मन ना लगना या किसी कारणवश पढ़ाई में रूकावट आना, बीच में ही पढ़ाई का छूट जाना भी कुंडली में कालसर्प दोष का लक्षण हो सकता है।
- नौकरी मिलने में परेशानी आना, बार-बार प्रयास करने के बाद भी असफलता हासिल होना, व्यवसाय में बाधा उत्पन्न होना, व्यवसाय में लगातार घाटा होना, आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर बने रहना, इत्यादि भी कुंडली में कालसर्प दोष का लक्षण हो सकता है।
- यदि किसी व्यक्ति के विवाह में बाधा आ रही है, और विवाह होने के पश्चात भी वैवाहिक जीवन में लगातार समस्याएं बनी हुई हैं, या शादी टूटने के कगार पर पहुंच गई गई है, तो इसकी एक वजह कुंडली में कालसर्प दोष का साया भी हो सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति संतान सुख से वंचित है, लाख प्रयास के बावजूद संतान नहीं हो रही, या किसी व्यक्ति की संतान के तरक्की में मुश्किलें आ रही है, तो ये कुंडली में कालसर्प दोष के योग की वजह भी जो सकती है।
- अपने किसी खास व्यक्ति अथवा ऐसे व्यक्ति जिसका आपने जीवन में सिर्फ भला ही किया है उससे धोखा मिलना भी आपकी कुंडली का दोष हो सकता है।
- घर में हमेशा बीमारी का वास रहना, सदैव किसी न किसी व्यक्ति का गंभीर बीमारी से ग्रस्त रहना भी कालसर्प दोष का लक्षण हो सकता है।
- अक्सर छोटी-मोटी दुर्घटना का शिकार होना, चोटिल होते रहना भी कालसर्प दोष का साया हो सकता है।
- घर में सदैव कलह का माहौल बने रहना, पारिवारिक एकता एवं सद्भावना का खत्म होना, एवं घर की महिलाओं का हमेशा परेशान रहना कालसर्प दोष का लक्षण हो सकता है।
- घर- परिवार में आयोजित होने वाले किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान मुश्किलें खड़ी होना भी कालसर्प दोष के साए का एक लक्षण हो सकता है।
नोट: कुंडली के 12 भाव में राहु-केतु की अलग अलग स्थिति के अनुसार 12 अलग अलग तरह के कालसर्प दोष बनते हैं। कालसर्प दोष के अलग-अलग प्रकार का व्यक्ति के जीवन पर अलग प्रभाव देखने को मिलता है। इनका निवारण भी अलग अलग तरीके से किया जाता है।
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