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पत्नी का अंतिम संस्कार कौन करता है ?

पति या पुत्र, कौन करता है एक पत्नी का अंतिम संस्कार ? पत्नी की चिता को मुखाग्नि देने का पहला हक किसे मिलता है ?

आइए इस पोस्ट में पढ़े पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें –

जीवन और मृत्यु इस संसार के दो सार्वभौमिक सत्य हैं। जिसने भी इस धरती पर जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन इस संसार को छोड़कर जाना है। जन्म लेने से लेकर, मृत्यु तक मनुष्य सामाजिक बंधन एवं रीति रिवाज के बंधन में बंधा होता है। मृत्यु के पश्चात विधि विधान के साथ उसके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही आत्मा को मुक्ति मिलती है।

अन्य रीति रिवाजों एवं परंपराओं की तरह ही अंतिम संस्कार से जुड़े नियम एवं रीति रिवाज भी हर धर्म में अलग-अलग होते हैं। कहीं मृत शरीर को दफनाने की विधि अपनाई जाती है, तो किसी धर्म में शव को जलाकर बची हुई अस्थियों को नदी में प्रवाहित करने का नियम होता है। किसी धर्म में शव को आसमान को समर्पित कर दिया जाता है, तो किसी धर्म में शव के टुकड़े-टुकड़े कर के पशु पक्षियों को भोजन के रूप में समर्पित कर दिया जाता है।

हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार

पत्नी का अंतिम संस्कार 1

किसी भी धर्म में अंतिम संस्कार की विधि कोई भी हो, लेकिन हर धर्म का उद्देश्य समान होता है, कि मृतात्मा को शांति मिले और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो। अब अगर बात करें हिंदू धर्म की, तो हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार से जुड़े नियम अन्य धर्म की तुलना में कुछ ज्यादा ही अलग होते हैं। हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की क्रिया किस प्रकार निभाई जाएगी, ये मरने वाले व्यक्ति पर भी निर्भर करता है।

कहने का तात्पर्य ये है कि हिंदू धर्म में यदि किसी सुहागिन महिला की मृत्यु होती है, तो उसके अंतिम संस्कार की विधि अलग है। किसी विधवा की मृत्यु होती है, तो उसके अंतिम संस्कार की विधि अलग है। यदि किसी कुंवारे पुरुष की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार अलग विधि से किया जाता है और यदि किसी शादीशुदा पुरुष की मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार की विधि अलग होती है। इसके साथ ही यदि किसी बच्चे की मृत्यु होती है तो उसका अंतिम संस्कार अलग विधि विधान से किया जाता है।

कौन देता है मुखाग्नि ?

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हिंदू धर्म में प्रायः मृतक का अंतिम संस्कार, दाह संस्कार के माध्यम से किया जाता है। इस प्रक्रिया में मृतक के शव को मुखाग्नि दी जाती है और इसके पश्चात अस्थियों के अवशेष को नदी के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। यदि किसी बच्चे की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार दाह संस्कार के माध्यम से नहीं किया जाता है। हिंदू धर्म में बच्चों की मौत होने पर उनके शव को जमीन में ही दफना दिया जाता है।

अब अगर बात करें मुखाग्नि यानी चिता को अग्नि लगाने की तो इससे जुड़े भी कुछ नियम हैं। जैसे चिता को मुखाग्नि किस प्रकार से दी जाएगी, मुखाग्नि कौन देगा इत्यादि। चिता को मुखाग्नि देने से जुड़े नियमों में सबसे महत्वपूर्ण नियम ये निर्धारित करना है की चिता को मुखाग्नि कौन देगा?

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यदि मरने वाले पुरुष अथवा महिला की पुत्र के रूप में कोई संतान है तो चिता क मुखाग्नि देने का पहला अधिकार पुत्र को ही होता है। अगर मरने वाले व्यक्ति के एक से अधिक पुत्र हैं, तो चिता को मुखाग्नि देने का पहला अधिकार बड़े पुत्र को होता है। यदि बड़ा पुत्र किसी वजह से चिता को मुखाग्नि देने में असमर्थ है तो ऐसी स्थिति में छोटे पुत्र को ये अधिकार प्राप्त होता है।

परंतु यदि करने वाले व्यक्ति की कोई संतान नहीं है, तो ऐसी स्थिति में परिवार का कोई सदस्य यानी भाई, भतीजा या पिता चिता को अग्नि दे सकते हैं। परंतु हिंदू धर्म में महिलाओं को अंतिम संस्कार करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। हालांकि अब जमाना बदल रहा है और इसके साथ अंतिम संस्कार से जुड़े नियमों में भी बदलाव आ रहे हैं।

आज के समय में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं जहां पुत्र न होने की स्थिति में बेटियों ने अपने माता-पिता के चिता को अग्नि दी है।

कौन करता है पत्नी का अंतिम संस्कार ?

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हिंदू धर्म में जब किसी सुहागिन महिला की मृत्यु होती है तो उसके अंतिम संस्कार की क्रिया में कई विशेष नियमों का पालन किया जाता है। जैसे उसकी अर्थी को अंतिम संस्कार के लिए ले जाने से पहले स्नान इत्यादि करवाने के बाद, शव का सोलह श्रृंगार किया जाता है। उसे दुल्हन की तरह सजाया जाता है। सुहाग की हर निशानी जैसे चुनरी, चूड़ी, बिंदी, आलता, बिछुआ, पायल, कान एवं नाक का गहना, मगलसूत्र इत्यादि पहनाया जाता है। पति के हाथों से उसकी मांग भरवाई जाती है। और फिर एक दुल्हन के रूप में ही अंतिम संस्कार के लिए उसे शमशान घाट ले जाया जाता है।

हिंदू धर्म में सुहागन महिला के अंतिम संस्कार का पहला अधिकार महिला के बड़े पुत्र को होता है। यदि महिला का कोई पुत्र नहीं है, तो ऐसी स्थिति में महिला का पति चिता को मुखाग्नि दे सकता है।

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