सनातन धर्म में भगवान शिव का स्थान सर्वोच्च है। शिवजी की पूजा साधारण मनुष्य के साथ-साथ देवी देवता भी करते हैं। प्राचीन काल से ही सनातन धर्म में शिवपूजन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भगवान शिव को लेकर यह धार्मिक मान्यता है कि शिव जी के हाथों में ही इस पूरे सृष्टि के निर्माण एवं विनाश की बागडोर है। मनुष्य के साथ साथ धरती पर विराजमान संपूर्ण प्राणियों के जीवन और मृत्यु की डोर शिवजी के ही हाथों में है।।
धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवजी जिससे प्रसन्न है उसका कल्याण ही कल्याण है, कोई दुख या परेशानी उस व्यक्ति के पास फटक भी नहीं सकती, परंतु यदि शिवजी नाराज हो जाते हैं तो उनके क्रोध से बचना भी मुश्किल है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में शिव जी का पूजन बहुत विधि विधान के साथ किया जाता है।
भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग का विशेष स्थान है। शिवलिंग के अभिषेक के बिना भगवान शिव की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। हिंदू धर्म में शिवलिंग की पूजा के भी कई नियम बताए गए हैं । जैसे शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए, क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ? घर में शिवलिंग रखने के क्या नियम है ? लड़कियों या औरतों को शिवलिंग की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए ? इत्यादि।
आगे इस पोस्ट में पढ़े की शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका क्या है ? शिवलिंग पर जल किस समय चढ़ाना चाहिए और शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए ?
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का सही तरीका
धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग अपने आसपास मौजूद सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को अवशोषित करके सकारात्मक को फैलाता है। शिवलिंग पर जल द्वारा अभिषेक करने से शिवलिंग द्वारा अवशोषित सभी नकारात्मक ऊर्जाएं पूरी तरह समाप्त हो जाती है, और शिवलिंग में सकारात्मकता फैलाने की ऊर्जा बढ़ती है। मात्र जल से ही शिवलिंग का अभिषेक कर देने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपना पूरा आशीर्वाद देते हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के कुछ नियम होते हैं, जल द्वारा शिवलिंग का अभिषेक करते समय इन नियमों का पालन करना आवश्यक है।
आईए जानते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाते हुए किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी –
- शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे के लोटे या किसी अन्य धातु से बने पात्र से ही चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग का अभिषेक करते समय कभी भी प्लास्टिक से बने बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग का अभिषेक करते समय पात्र द्वारा जल को सबसे पहले भगवान गणेश जी के स्थान यानी जल हरि के दाएं तरफ चढ़ाना चाहिए।
- इसके पश्चात कार्तिकेय के स्थान अर्थात बाईं ओर जल को चढ़ाना चाहिए।
- इसके बाद भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी के स्थान यानी जलहरी के बीचो-बीच जल को अर्पित करना चाहिए।
- भगवान शिव के तीनों संतानों के पश्चात, माता पार्वती के स्थान पर यानी जलहरी के गोलाकार हिस्से में जल को चढ़ाना चाहिए।
- सबसे आखिरी में शिवलिंग पर धीरे-धीरे जल को चढ़ाते हुए अभिषेक करना चाहिए।
- शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि शिवलिंग का अभिषेक कभी भी खड़े होकर नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही शिवलिंग पर पड़ने वाली जल की धार तेज नहीं होनी चाहिए। सदैव शिवलिंग के पास आसन पर बैठकर धीरे-धीरे जल से अभिषेक करना चाहिए।
- कभी भी पूर्व दिशा की तरफ मुख करके शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए।।धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्व दिशा भगवान शिव का मुख्य प्रवेश द्वार माना गया है। अतः उत्तर दिशा की तरफ मुख करके शिवलिंग पर जल चढ़ाना उचित माना गया है।
- जलहरी यानी जहां से शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल बाहर निकलता है, शिवलिंग की पूजा करते समय उस स्थान पर कभी भी कोई सामान नहीं रखना चाहिए।
- शिवलिंग का अभिषेक करने के पश्चात इसकी परिक्रमा करते हुए भी जलहरी को डांकना नहीं चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा आधी ही करनी चाहिए।।
शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए ?
धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रातः काल 5 बजे से लेकर 11:00 तक शिवलिंग पर जल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। परंतु शिवलिंग पर जल चढ़ाने से जुड़े कुछ नियम भी बनाए गए हैं। इन्हीं नियमों में इस बात की भी व्याख्या की गई है की शिवलिंग पर जल कब नहीं चढ़ाना चाहिए।
- शिव पुराण के अनुसार जब शिवलिंग का पूरी तरह से श्रृंगार हो जाए उसके बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाना उचित नहीं माना जाता।
- दोपहर के समय शिवलिंग पर जल चढ़ाना सही नहीं माना जाता है।
- सूर्यास्त के बाद और रात्रि के पहर शिवलिंग पर जल चढ़ाना वर्जित बताया गया है। हालांकि शिवजी जी के विशेष दिनों पर जैसे शिवरात्रि या शिव जी के अत्यंत प्रिय श्रावण मास में किसी भी पहाड़ शिवलिंग पर जल चढ़ा सकते हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का समय :
धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रातःकाल 5 से लेकर 11 बजे तक का समय शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए सबसे उचित है। शिवजी से जुड़े विशेष पर्व जैसे प्रदोष, महाशिवरात्रि या श्रावण मास में किसी भी वक्त शिवलिंग का अभिषेक किया जा सकता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र
शिवलिंग का अभिषेक करते समय कुछ मंत्रो का उच्चारण किया जाता है, जिससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मंत्र कुछ इस प्रकार है –
- ॐ नमः शिवाय।
- ॐ शर्वाय नम:।
- ॐ विरूपाक्षाय नम:।
- ॐ विश्वरूपिणे नम:।
- ॐ त्र्यम्बकाय नम:।
- ॐ कपर्दिने नम:।
- ॐ भैरवाय नम:।
- ॐ शूलपाणये नम:।
- ॐ ईशानाय नम:।
- ॐ महेश्वराय नम:।
- ॐ नमो नीलकण्ठाय।
- ॐ पार्वतीपतये नमः।
- ॐ पशुपतये नम:।
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
- ॐ इं क्षं मं औं अं।
- ॐ प्रौं ह्रीं ठः।
नोट: शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसे दौरान बोले जाने वाले मंत्र छोटे होने चाहिए और मंत्रो का उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए। अस्पष्ट एवं अशुद्ध उच्चारण करने से बचना चाहिए।
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