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औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं ?

औरतों को शिवलिंग छूने की मनाही ! परंतु नंदी रूप में शिवलिंग को छू सकती हैं महिलाएं। आगे पढ़ें कि क्या सच में औरतों को शिवलिंग छूना है मना ?

शिवलिंग का अर्थ है- शून्य, आकाश, अनंत, ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के निराकार स्वरूप को शिवलिंग के रूप में जाना जाता है। देवों के देव महादेव जो तीनों लोकों के स्वामी है, जिनकी पूजा सिर्फ साधारण मनुष्य ही नहीं बल्कि देवी देवता भी करते हैं, जिनके हाथों में पूरे सृष्टि के निर्माण और विनाश की बागडोर है, सच्चे मन से इनकी पूजा करने से मन की सभी मुरादे पूरी होती है, और जीवन के सभी कष्ट खत्म होते हैं। शिव जी की पूजा में शिवलिंग का विशेष स्थान है। शिवजी के निराकार स्वरूप शिवलिंग के अभिषेक के बिना शिवजी की पूजा को अधूरा माना जाता है।

प्राचीन ग्रंथो में उल्लेखित किया गया है कि इस पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति ही शिवलिंग से हुई है। इस यूनिवर्स में सबसे पहले शिवलिंग प्रकट हुआ, उसके बाद ही ब्रह्मांड में प्रकाश एवं ऊर्जा फैली तत्पश्चात आकाश तारे और ग्रहों का निर्माण हुआ। शास्त्रों एवं पुराणों में भी शिवलिंग की पूजा को उल्लेखित किया गया है। सनातन धर्म से जुड़ा हुआ लगभग हर व्यक्ति शिव जी के साथ शिवलिंग की पूजा करता है। वेदों और पुराणों में शिवलिंग की पूजा को महत्वपूर्ण बताया गया है, परंतु शिवलिंग की पूजा के कुछ विशेष नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन करना सबके लिए अनिवार्य होता है।

इन्ही नियमों में से एक है औरतों को शिवलिंग का पूजन कैसे करना चाहिए ? क्या औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं ? मन में उठ रहे इन सभी सवालों के जवाब आगे दिए गए हैं।

औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं

औरतों को शिवलिंग 2

शिवलिंग की पूजा को लेकर कई नियम बनाए गए हैं इन्हीं में से एक नियम है, औरतों को शिवलिंग की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए ? कई लोगों के मन में यह दुविधा रहती है कि क्या औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नहीं ? कुंवारी कन्याएं शिवलिंग की पूजा कर सकती हैं या नहीं ? तो इस सवाल का जवाब है कि किसी को भी शिवलिंग की पूजा करने की मनाही नहीं है। किसी भी वेद, शास्त्र या पुराण में यह नहीं लिखा गया है कि औरतों को शिवलिंग नहीं छूना चाहिए या औरतों को शिवलिंग की पूजा नहीं करनी चाहिए, या फिर अविवाहित कन्याएं शिवलिंग की पूजा नहीं कर सकती । हालांकि शास्त्रों के मुताबिक अविवाहित कन्याएं शिवलिंग को छू नहीं सकती परंतु दूर से ही पूजन कर सकती है। इसके साथ ही औरतों को शिवलिंग की पूजा करने से जुड़े कई नियम बनाए गए हैं। औरतें शिवलिंग को स्पर्श तो कर सकती है परंतु इसके लिए भी कुछ नियम बनाए गए हैं।

नंदी मुद्रा में स्पर्श करना चाहिए औरतों को शिवलिंग

औरतों को शिवलिंग

शिवलिंग जिसे शक्ति का प्रतीक बताया गया है, औरते पूजन के समय शिवलिंग को स्पर्श तो कर सकती है परंतु सिर्फ नंदी मुद्रा में। अब सवाल यह उठता है की नंदी मुद्रा क्या है ?
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब कोई व्यक्ति नंदी जी की तरह बैठता है तो इसे नंदी मुद्रा कहा जाता है। औरतों को शिवलिंग को स्पर्श करने से पहले नदी मुद्रा में बैठ जाना चाहिए। इसके पश्चात हाथ की पहली एवं आखिरी उंगली को बिल्कुल सीधा रखकर, अंगूठे को बीच की दोनों उंगलियों से जोड़ ले। तत्पश्चात शिव जी के निराकार स्वरूप शिवलिंग का पूजन करना चाहिए।

  • इसके अलावा ज्योतिषियों के मुताबिक औरतों को शिवलिंग छूना मना है, परंतु इसके बावजूद भी यदि कोई स्त्री शिवलिंग पर तिलक लगाने के लिए उसे छूना चाहती है, तो वो सीधे ही शिवलिंग को छू नहीं सकती बल्कि शिवलिंग को छूने से पहले, उसकी जलाधि को छूकर प्रणाम करें फिर शिवलिंग को छुए।
  • वहीं यदि पति और पत्नी जोड़े के साथ शिवलिंग का पूजन कर रहे हैं, तो दोनों एक साथ शिवलिंग को स्पर्श कर सकते हैं।

लड़कियों को शिवलिंग की पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए ?

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शिवलिंग के पूजन को लेकर किसी को मनाही नहीं है। परंतु शास्त्रों के मुताबिक अविवाहित कन्याओं को शिवलिंग का स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसके पीछे की वजह है यह बताई गई है कि शिवजी सदैव ही पवित्र तपस्या में लीन रहते हैं, ऐसे में किसी कन्या द्वारा शिवलिंग के स्पर्श करने से शिवजी की तपस्या भंग हो सकती है जो एक अनुचित क्रिया है। यही वजह है कि अविवाहित महिलाओं को शिवलिंग छूने की मनाही है। हालांकि कुंवारी अथवा विवाहित महिलाएं शिवलिंग के उस गोलाकार भाग में जहां जल एकत्रित होता है उसे छूकर प्रणाम कर सकती हैं।

हालांकि धार्मिक मान्यता के मुताबिक कुंवारी कन्याएं अपने मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए शिवजी एवं पार्वती जी की साथ में पूजा अर्चना कर सकती है।

नोट: औरतों को शिवलिंग छूना नहीं चाहिए या नहीं इसको लेकर विद्वानों की अलग-अलग राय है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले धर्मगुरुओं की सलाह अवश्य लें, साथ ही जिस मंदिर में आप पूजन के लिए जा रहे हैं उस मंदिर के आचार्य पंडित से सलाह ले।

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