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लेनिन की मृत्यु कब हुई?

गंभीर बीमारी बनी थी लेनिन की मृत्यु की वजह। आगे पोस्ट में पढ़ें प्रथम विश्व युद्ध के हीरो लेनिन का कैसे हुआ अंत ?

जिन लोगों ने इतिहास पढ़ा होगा, उन्हें व्लादिमीर लेनिन के बारे में अवश्य ही पता होगा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लेनिन काफी मशहूर हुए थे। 1917 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब बोल्शेविक क्रांति का समापन हुआ, उसी समय जार के शासन काल का भी अंत हो गया। इसके बाद रूस में साम्यवादी शासन का जन्म हुआ और वहां सोवियत संघ का गठन हुआ। ऐसा कहा जाता है कि इस क्रांति के शिल्पकार और सोवियत संघ के वास्तुकार व्लादिमीर लेनिन ही थे। लेनिन ही पहले प्रमुख बने थे सोवियत राज्य के और उन्होंने रूसी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी। मार्क्स के बारे में तो आप सभी जानते ही है, मार्क्स को सबसे महान विचारक और क्रांतिकारी नेता माना जाता है। मार्क्स के बाद लेनिन ही हैं, जिन्हें सबसे क्रांतिकारी नेता माना जाता है।

लेनिन की महानता के बारे में इतिहास में लिखा गया है। लेकिन इतने महान विचारक और नेता का निधन इतना दर्दनाक होगा, इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा था। लेनिन की मृत्यु एक लंबी बीमारी के चलते हुई थी, लेकिन उनकी मौत का कारण कभी भी स्पष्ट नहीं हो पाया। आज इस आर्टिकल में हम लेनिन की मृत्यु के बारे में बताने वाले हैं। इसमें आप जानेंगे कि लेनिन की मृत्यु कब और कैसे हुई थी और लेनिन का अंतिम संस्कार कैसे किया गया था ?

बोल्शेविक क्रांति के बाद का समय और लेनिन की तबियत-

लेनिन की मृत्यु 1

कानून की डिग्री हासिल करने के बाद लेनिन 1893 में सेंट पीटर्सबर्ग चले गए और वहां जाकर वो एक मार्क्सवादी कार्यकर्ता के रूप में सामने आए। इसके बाद 1897 में लेनिन को गिरफ्त में ले लिया गया था और बाद में उन्हें निर्वासित किया गया था। निर्वासन के दौरान लेनिन को पश्चिमी यूरोप जाने का मौका मिला। वहां पर ही लेनिन ने बोल्शेविक गुट का नेतृत्व किया था। 1917 में जब फरवरी क्रांति हुई, उसी के बाद रूस से जार का शासन समाप्त हो गया और ये देखकर लेनिन वापस रूस आए। रूस आकर लेनिन ने अक्टूबर क्रांति में प्रमुख भूमिका निभाई। इसमें भी लेनिन बोल्शेविक का ही नेतृत्व कर रहे थे। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने पुरानी शासन व्यवस्था को उखाड़ फेंको और रूस में नए शासन का आगाज किया, जिसके प्रमुख लेनिन ही थे।
इसके बाद 1923 में लेनिन को तीसरा स्ट्रोक आया। इसका असर लेनिन पर सबसे ज्यादा हुआ। इसके बाद लेनिन बोलने में भी असक्षम हो गए थे। तीसरे स्ट्रोक के बाद ही कुछ दिनों के भीतर लेनिन को आंसिक पैरालिसिस अटैक भी पड़ा। पैरालिसिस के बाद लेनिन में सेंसरी अफीसिया के कुछ लक्षण भी नज़र आने लगे थे। फिर दवाइयों के बल पर उनकी सेहत में सुधार देखने को मिला और काफी हद तक उनकी तबीयत ठीक हो गई। यहां तक की लेनिन को बोलने में जो तकलीफ थी, वो भी समाप्त हो गई थी। ठीक होने के बाद लेनिन ने अक्टूबर में क्रेमलिन की भी यात्रा की थी।

कोमा में जाने के बाद हुई लेनिन की मृत्यु

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तबियत सही होने के बाद 1924 में 21 जनवरी को लेनिन कोमा में चले गए थे। कोमा में जाने के कुछ घंटों के भीतर ही ये खबर आई कि लेनिन की मृत्यु हो गई है। लेनिन की मृत्यु किस वजह से हुई थी, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई, लेकिन कहीं- कहीं पे ये कहा गया है कि लेनिन की खून की धमनियों में कोई रोग था, जिसकी वजह से उनका निधन हो गया। लेनिन की मृत्यु के बाद उनके शव को ट्रेन से मॉस्को लाया गया और मॉस्को में उनके शरीर को लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। पहले उनके शव को तीन दिन के लिए लोगों के दर्शन के लिए रखा गया था।

लेनिन का अंतिम संस्कार

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लेनिन के शव को पहले तीन दिन के लिए लोगों के दर्शन के लिए रखा गया था। फिर 27 जनवरी, 1924 में उनके शव को लाल चौक अंतिम संस्कार के लिए लाया गया। यहां पर लेनिन के अंतिम दर्शन करने के लिए लाखों की भीड़ उमड़ गई थी। ऐसे में तत्कालीन सोवियत संघ के शासक स्टालिन ने जब देखा कि लेनिन का शव तीन दिनों तक संरक्षित रखा जा सकता है, तो क्यों न उनके शव को सदैव के लिए ठंडी स्थितियां देकर संरक्षित रखा जाए। इसीलिए स्टालिन ने तुरंत ये फैसला लिया कि लेनिन के शव को दफनाया नहीं जाएगा और उनके शव को संरक्षित रखा जाए, ताकि लोग हमेशा उनके किस्से सुनें और उनके अंतिम दर्शन कर सकें। आज भी लाल चौक पर लेनिन के शव को संरक्षित रखा गया है। लेनिन की पत्नी इसके खिलाफ थीं, वो चाहती थीं कि उनके शव को दफनाया जाए लेकीन स्टालिन तैयार न हुआ। शव को संरक्षित रखने के लिए उससे दिमाग निकाल लिया गया है और 1925 में शव का मस्तिष्क भी निकाला जा चुका है। पहले लेनिन की समाधि अस्थाई थी और बाद में समाधि को स्थाई रूप प्रदान किया गया। लेनिन की स्थाई समाधि 1933 में बनकर तैयार हुई थी। उसके बाद 1940 और 1970 में लेनिन का ताबूत निकालकर बदला जा चुका है।

लेनिन के शव में आज भी बरकरार है ताजगी

लेनिन के शव पे हर साल रूस मोटी रकम खर्च करता है। रूस के वैज्ञानिक शव को बेहतरीन स्थिति में रखने के लिए नई- नई तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। तकनीक का इस्तेमाल करके शव को आज भी ज्यों का त्यों रखा गया है। तकनीक की मदद से वैज्ञानिकों ने ऐसा किया हुआ है कि जब कोई लेनिन के शव को देखे तो वो न सिर्फ अच्छा दिखे बल्कि उसमें ताजगी भी नज़र आए। लेनिन के शव को इस तरह से संरक्षित किया गया है कि इसको देखने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि मानो लेनिन अभी ज़िंदा ही हैं। लेनिन के शव को जिस लेनिनग्राद में रखा गया है, उसे लेनिन म्यूजियम के नाम से जाना जाता है।

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