जब भी जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु की बात होती है तो चीन का नाम सबसे ऊपर क्यों होता है? क्या चीन ही है भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु का जिम्मेदार? ऐसे कई सारे सवाल जो हमेशा आप सभी के मन में चलते हैं, उनके जवाब आज आपको इस पोस्ट में मिलने वाले हैं।
भारतीय कैलेंडर में 27 मई की तारीख बहुत अहमियत रखती है। ये एक ऐसी तारीख है जिसने 1964 में पूरे भारत को स्तब्ध कर दिया था। इसी दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु को लेकर किसी का कहना है कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक थी, तो उनकी मृत्यु को लेकर कुछ लोगों का मानना है कि उनकी मृत्यु होना एक साजिश थी। जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु आखिर हुई क्यों, इसके बारे में आज आप सभी इस पोस्ट में पढ़ने वाले हैं।
पंडित जवाहरलाल नेहरु का जीवन परिचय
![जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु](http://lastinvite.com/wp-content/uploads/2024/03/WhatsApp-Image-2024-03-26-at-11.32.31-PM.jpeg)
पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहाबाद में हुआ था। नेहरू जी का जन्म एक बहुत ही धनी परिवार में हुआ था। राजनीति में नेहरू को सदैव रुचि थी। फिर 1912 में नेहरू जी गांधीजी से काफी प्रभावित हुए और उसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद उनका राजनीति का करियर शुरु हुआ। देश में आज़ादी में पंडित नेहरू का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। जब देश को 1947 में आज़ादी मिली थी, उसके बाद देश के प्रधानमंत्री के तौर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू को ही नियुक्त किया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने 1947 से लेकर 1964 तक प्रधानमंत्री रहकर देश को उन्नति की ओर अग्रसर किया था। अपनी आखिरी सांस तक उन्होंने देश का नेतृत्व ही किया है। अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने देश के प्रति बाहरी ताकतों को लेकर बहुत सारे उतार- चढ़ाव देखे थे। लेकिन चीन की धोखेबाजी उन्हें रास न आई और कहीं न कहीं ऐसा माना जाता है की यही इनकी मौत का कारण भी बन गई। आखिर चीन ने ऐसा क्या किया था, जिसकी वज़ह से पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई थी ? जब भी जवाहरलाल नेहरू के मृत्यु की बात होती है तो चीन का नाम सबसे ऊपर क्यों होता है? क्या चीन ही है भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु का जिम्मेदार? ऐसे कई सारे सवाल जो हमेशा आप सभी के मन में चलते हैं, उनके जवाब आज आपको इस पोस्ट में मिलने वाले हैं। आगे हम बात करेंगे कि आखिर क्या वजह थी जिससे जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हुई।
जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु: भारत- चीन युद्ध का इनकी सेहत पर हुआ असर
![जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु 2](http://lastinvite.com/wp-content/uploads/2024/03/WhatsApp-Image-2024-03-26-at-11.32.31-PM-1.jpeg)
1947 में देश के आज़ाद होने के कुछ सालों के भीतर ही चीन और भारत में फिर से जंग छिड़ गई थी। 1962 में जब चीन और भारत में आपसी भिड़त हुई तो उस समय भारत के प्रधामंत्री जवाहर लाल नेहरू ही थे। भारत को चीन से हारता हुए देखने के बाद नेहरू जी खुद को संभाल नहीं पास और तभी से उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी। नेहरू जी को कहीं न कहीं, अंदर ही अंदर ऐसा लग रहा था कि चीन से भारत की हार के जिम्मेदार वो खुद हैं। उन्होंने तो चीन से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, लेकिन चीन ने उन्हें धोखा देकर भारत से जंग छेड़ दी थी। युद्ध का परिणाम देखकर नेहरू अंदर ही अंदर घुटने लगे थे। उनसे ये सहा नहीं जा रहा था। नेहरू जी की बेबसी की झलक उनके भाषण से भी ज़ाहिर हो रही थी। 1962 में 20 नवंबर को देश को संबोधित करते हुए उन्होंने अपनी हार को स्वीकार कर लिया था। इस संबोधन में उन्होंने कहा था कि, ‘हम आधुनिक दुनिया की सच्चाई से दूर हो गए थे और हम एक बनावटी माहौल में रह रहे थे, जिसे हमने ही तैयार किया था।’ इससे साफ़ झलक रहा है कि नेहरू जी चीन से मिले धोखे की बात कर रहे थे। उनका मानना था कि चीन से जो धोखा देश को मिला है, उसमें उन्हीं की गलती है। उनसे ही चीन को पहचानने में भूल हुई थी। इसके बाद नेहरु पूरी तरह से टूट गए थे और उनकी सेहत बिगड़ने लगी थी।
जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु: नेहरु जी पर लगाए गए आरोप से आया उन्हें हार्ट अटैक –
![जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु 3](http://lastinvite.com/wp-content/uploads/2024/03/WhatsApp-Image-2024-03-26-at-11.32.30-PM-1.jpeg)
युद्ध के बाद देश के आंतरिक हालत भी काफी बिगड़ गए थे। तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन ने अपनी ही सरकार पर आरोप थोप दिए थे। उनका मानना था कि सरकार इतनी आसानी से कैसे वास्तविकता को अनदेखा करते हुए, चीन पर विश्वास कर सकती है। इसको लेकर राष्ट्रपति ने नेहरूजी को कठघरे में खड़ा कर लिया था। नेहरू जी इस बात से मुकर भी नहीं सकते थे कि उनसे गलत फैसला ले लिया गया था। इसी सदमे की वजह से उनकी सेहत और बिगड़ने लगी थी। वो अंदर से इतना ज्यादा दुखी हो गए थे कि उनके स्वभाव में भी उनका दुख लोगों को नज़र आने लगा था। फिर 1964 मई में नेहरूजी छुट्टियां पूरी करके वापस दिल्ली आए थे। दिल्ली आने के बाद 26 मई को वो रात में दवाई लेकर सीधे अपने कमरे में चले गए। 26 और 27 मई की रात उन्हें नींद भी नहीं आई। उनकी पीठ में भयंकर दर्द हो रहा था।
27 मई की सुबह नेहरू जी बाथरूम गए और जब वो बाथरूम से निकलकर बाहर आए, तो उनकी पीठ का दर्द और बढ़ गया। सुबह 6:30 बजे के करीब उन्हें पैरालिसिस अटैक आया और पैरालिसिस के साथ ही हार्ट अटैक भी आया। नेहरू जी तुरंत गिर पड़ें। उनकी हालत को देखकर फौरन डॉक्टरों को बुलाया गया। तुरंत नेहरू जी की बेटी इंदिरा भी भागकर उनके पास आई। पूरे 8 घंटे तक नेहरू जी कोमा में रहें और इसके बाद जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। इसके बाद पूरे देश में उनके निधन की खबर फैल गई। पूरा देश उनके मरने की ख़बर सुनकर स्तब्ध रह गया था। हर तरफ गम का माहौल पसरा गया था।
जवाहर लाल नेहरू का अंतिम संस्कार
![जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु 4](http://lastinvite.com/wp-content/uploads/2024/03/WhatsApp-Image-2024-03-26-at-11.32.30-PM.jpeg)
27 मई को निधन होने के बाद, 29 मई को उनकी अंतिम यात्रा दिल्ली की सड़कों से निकाली गई। देश के पहले प्रधानमंत्री के अंतिम दर्शन के लिए लाखों लोगों की भीड़ सड़कों पर आ गई थी। नेहरू जी के शरीर पर ऊंचे कॉलर की सफेद जैकट थी। इसमें लाल गुलाब लगा था, जो नेहरू जी सदैव अपनी जैकेट में लगाया करते थे। उनके शरीर के निचले हिस्से में भारत का तिरंगा लिपटा हुआ था। उनका पूरा शरीर फूलों से ढंका हुआ था। उन्हें देखने के लिए हर कोई भीड़ को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था। नेहरू जी की इस अंतिम यात्रा में देश- विदेश से लोग आए थे। उनके निधन का सदमा हर किसी को पहुंचा था। उनकी अंतिम यात्रा उनके आवास से दोपहर एक बजे करीब शुरु हुई थी। अंतिम यात्रा के बाद उनके शव को राजघाट ले जाया गया। इसके बाद सेना ने नेहरू जी से लिपटे हुए तिरंगे को उतारा और उनके शरीर को दाह संस्कार के लिए चंदन की बनाई चिता पर रख दिया गया। हिंदू रीति- रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शरीर को अग्नि प्रदान करने के लिए घी का इस्तेमाल किया गया। ब्राह्मणों ने हिंदू रीति रिवाजों से मंत्रोच्चारण के साथ उनका अंतिम संस्कार किया।
Read This Also: सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु कब हुई?
Be First to Comment