शवयात्रा या अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद नहाने के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही जुड़ा है वैज्ञानिक कारण। आइए विस्तार में पढ़े इसके बारे में –
बचपन से हम देखते चले आए कि जब भी कोई व्यक्ति किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होता है तो वहां से लौट के बाद वो स्नान अवश्य करता है। मुख्य रूप से सनातन धर्म में इस नियम का बेहद दृढ़ता के साथ पालन किया जाता है कि किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद स्नान करना अति आवश्यक है। कहीं-कहीं तो ऐसा भी देखने को मिलता है कि अंतिम क्रिया में शामिल होने के बाद बिना स्नान के घर में घुसने की भी इजाजत नहीं होती है।
कभी आपके मन में ऐसा सवाल आया है कि यह नियम क्यों बनाया गया है, इसके पीछे की वजह क्या है ? क्यों अंतिम संस्कार के बाद नहाना आवश्यक हो जाता है ? मन में उठ रहे इन सब सवालों का जवाब इस पोस्ट में दिया गया है।
अंतिम संस्कार के बाद नहाना आवश्यक क्यों?
अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद नहाना अत्यंत आवश्यक है। इसके पीछे सिर्फ धार्मिक वजह ही नहीं है बल्कि इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी है। मुख्य रूप से हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के बाद नहाने के नियम का बहुत ही कठोरता के साथ पालन किया जाता है। हिंदू धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो शमशान घाट पर जाकर अंतिम संस्कार की क्रिया में शामिल होने वाले शख्स का ही नहाना आवश्यक नहीं होता, बल्कि मृतक के आसपास पहुंचने वाले हर शख्स का स्नान करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
हिंदू धर्म में महिलाएं श्मशान घाट तक नहीं जाती, वो घर के दरवाजे पर ही मृतक को अंतिम विदाई देती है। परंतु जब डेड बॉडी घर से चली जाती है, इसके बाद पूरे घर की सफाई की जाती है और फिर बारी-बारी से सब लोग स्नान करते हैं। ये नियम क्यों बनाया गया है ? क्या हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारण आगे इस पोस्ट में पढ़े –
अंतिम संस्कार के बाद नहाने का धार्मिक कारण
हिंदू धर्म में जो भी नियम और रीति रिवाज बनाए गए हैं, उसके पीछे के कुछ ना कुछ धार्मिक कारण अवश्य बताए गए हैं। मां के गर्भ में आने से लेकर, बच्चे के जन्म तक, बड़े होने पर उसके शादी विवाह से लेकर, मरने के बाद तक, जीवन के हर पड़ाव पर मनुष्य को किसी न किसी नियम, रीति रिवाज का पालन करना होता है।
हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार से जुड़े जो नियम बनाए गए हैं, उनके पीछे की जो वजह बताई गई है वो काफी ठोस है, जिसे लगभग हर धर्म में स्वीकार किया गया है। अंतिम संस्कार से ही जुड़ा हुआ एक नियम है जिसके अंतर्गत अंतिम संस्कार के बाद नहाना अत्यंत आवश्यक बताया गया है।
जैसा कि हर कोई जानता है कि शमशान घाट पर प्रतिदिन एक के बाद एक कई शव जलाए जाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिदिन शवदाह होने की वजह से शमशान घाट नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है, यह नकारात्मक ऊर्जा इतनी ज्यादा खतरनाक होती है कि किसी भी कमजोर मनोबल वाले इंसान को हानि पहुंचा सकती है। शमशान घाट की इस नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए अंतिम संस्कार के बाद नहाना एवं वस्त्र बदलना आवश्यक हो जाता है।
अंतिम संस्कार के बाद नहाने का वैज्ञानिक कारण
अंतिम संस्कार के बाद नहाने के पीछे की सिर्फ धार्मिक वजह ही नहीं है, इसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक कारण भी है। प्राचीन काल से ही अंतिम के बाद नहाने का जो नियम बनाया गया है, उसके पीछे की वैज्ञानिक वजह अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज के जमाने में जब लोग हर विधि विधान, एवं रीति रिवाज की वैज्ञानिक वजह के पीछे भागते हैं, ऐसे में अंतिम संस्कार के बाद नहाने के पीछे की वैज्ञानिक वजह का जानना अत्यंत आवश्यक है।
विज्ञान के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो जल्द ही मृत शरीर बहुत सारे जीवाणुओं का घर बन जाता है। इसके साथ यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी संक्रामक बीमारी की वजह से हुई है, तो उसके मृत शरीर के इर्द गिर्द आने वाले शख्स के शरीर तक भी ये बीमारी फैल सकती है। बाद में एक शख्स से दूसरे शख्स तक पहुंचती रहेगी। यही वजह की संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए, और मृत शरीर में पनप रही बैक्टीरिया से बचने के लिए अंतिम संस्कार के बाद नहाना आवश्यक है।
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