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दुर्योधन का अंतिम संस्कार कैसे हुआ ?

वज्र का शरीर होने पर भी दुर्योधन का देहांत कैसे हुआ ? किसने दुर्योधन का अंतिम संस्कार किया ? इस पोस्ट में जानिए दुर्योधन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें –

महर्षि व्यास द्वारा रचित हिंदुओ के महान पौराणिक ग्रंथ ‘महाभारत’ में वर्णित ‘महान ऐतिहासिक युद्ध ‘ महाभारत के मुख्य कर्ता-धर्ता दुर्योधन ही थे। दुर्योधन को महाभारत का खलनायक माना गया है। महाभारत की कहानी, कौरवों और पांडवो की कहानी है। एक राजगद्दी के लिए बिछाई गई बिसात ने महाभारत जैसा बड़ा युद्ध करवा दिया और इस युद्ध में कौरवों के पूरे वंश का नाश हो गया। और इस पूरे विनाश का श्रेय जाता है, धृतराष्ट्र और गांधारी के सबसे बड़े पुत्र दुर्योधन के लालच, अहंकार और जिद में आकर किए गए कुकर्मों को।

दुर्योधन को अगर महाभारत ग्रंथ का खलनायक कहा जाए तो ये अतिशयोक्ति नहीं होगी। हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र और रानी गांधारी के 100 पुत्रों में दुर्योधन सबसे बड़े थे। ये अत्यंत बलशाली, अस्त्र-शस्त्र चलाने में निपुण थे। शरीर वज्र का था, लेकिन फिर भी इनके धर्म विरुद्ध आचरण, अहंकार और जिद ने इनका विनाश कर दिया।

कैसे हुआ दुर्योधन का देहांत

दुर्योधन का अंतिम संस्कार 1

महाभारत युद्ध के 18वें यानी आखिरी दिन भीम और दुर्योधन के मध्य मल्लयुद्ध हुआ। इस युद्ध के दौरान भीम ने गदे से दुर्योधन के जंघे पर प्रहार करके उसके दो टुकड़े कर दिए, और दुर्योधन की मृत्यु हो गई।

एक श्राप से टूटा था दुर्योधन का जंघा

बात उन दिनों की है जब पांडव जुए में कौरवों से सब हारकर 13 वर्ष के वनवास व 1 वर्ष के लिए अज्ञातवास पर गए थे। इसी बीच महर्षि मैत्रेय कुछ समय के लिए हस्तिनापुर पधारें थे। बातचीत के दौरान जब हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र ने महर्षि मैत्री से पांचों पांडवों का हाल चाल पूछा तब महर्षि ने उनकी कुशलता का हाल देते हुए, धृतराष्ट्र से सवाल कर लिया कि – क्या उनके पुत्रों ने धोखे से पांडवों को जुए में हराकर वनवास के लिए भेजा है ? इसके साथ ही महर्षि मैत्रेय ने दुर्योधन से पांडवों की वीरता का गुणगान किया। ये बात दुर्योधन को नागवार गुजरी, और उसने क्रोध में आकर अपने जांघों पर थपथपाना शुरू किया। दुर्योधन के इस उद्यान में व्यवहार को देखकर महर्षि मात्रा क्रोधित हुए और उन्होंने उसे श्राप दे दिया कि – ‘ तेरी जांघो को भीम अपनी गदा से तोड़ेगा’।

दुर्योधन का अंतिम संस्कार 3

भीम के जांघो से जुड़ा एक अन्य वाकया भी महाभारत में वर्णित है। जब कौरव और पांडव के बीच जुआ खेला जा रहा था, और इस जुए में पांडव अपना सबकुछ हार चुके थे। तब पांडव ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया। और एक बार फिर उन्हे मात मिली। तब दुर्योधन ने द्रौपदी को निर्वस्त्र कर अपने जंघे पर बिठाने का आदेश दिया था। उस समय द्रौपदी ने भरी सभा में ये प्रण लिया था कि वो दुर्योधन के जांघो के रक्त से ही अपने केश धुलेगी।

क्या हुआ था महाभारत युद्ध के आखिरी दिन

दुर्योधन का अंतिम संस्कार 4

हस्तिनापुर की रानी गांधारी ने पतिव्रता का पालन करते हुए अपना पूरा जीवन आंखों पर पट्टी बांधकर बिता दिया। इससे खुश होकर ईश्वर ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि वो जिस चीज पर नजर डालेंगी वो वज्र की हो जायेगी। महाभारत युद्ध के आखिरी दिन जब कौरवों की मां गांधारी ने एक के बाद एक अपने सभी पुत्रों को रणभूमि में मृत होते देखा, तो उन्होंने दुर्योधन के शरीर को वज्र बनाने के उद्देश्य से उसे निर्वस्त्र होकर अपने पास आने के लिए कहा।

दुर्योधन जब अपने मां के सामने पहुंचा तो उसने पत्तियों से बने लंगोट को पहन रखा था। ऐसे में जब गांधारी ने उस पर अपनी दृष्टि डाली तो उसका पूरा शरीर तो वज्र का बन गया, लेकिन गुप्तांग और जांघें ज्यों कि त्यों बनी रही। और मल्लयुद्ध के दौरान भीम ने दुर्योधन के जांघो पर हो प्रहार करके उसे मौत के घाट उतार दिया।

किसने और कहां किया दुर्योधन का अंतिम संस्कार

दुर्योधन का अंतिम संस्कार

महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांचों पांडव और श्री कृष्ण राजमहल में धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती का आशीर्वाद लेने पहुंचे। इसके पश्चात पांडवो ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में मारे गए अपने सभी भाई -बंधुओ का अंतिम संस्कार अपने हाथों से किया।

दुर्योधन का अंतिम संस्कार भी पांडवो के हाथों विधि विधान से गंगा नदी के तट पर किया गया। इसके बाद दुर्योधन की आत्मा की शांति के लिए पांडवो ने उसे गंगा नदी के तट पर जलांजलि अर्पित की। इसके पश्चात हस्तिनापुर लौट कर युधिष्ठिर ने अपने राज्य का कार्यभार संभाला।

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