मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता है। जब एक प्राणी का जन्म होता है, उसी समय ये भी निर्धारित हो जाता है कि पैदा होने वाले प्राणी की मृत्यु कब होगी। धरती पर जन्म को प्राप्त करने वाले हर एक प्राणी का जीवन काल और मरण काल निश्चित है। कोई भी अमर होकर धरती पर नहीं आया है। जीवन और मृत्यु दोनों एक दूसरे के साथ चलते हैं। ये एक चक्र की तरह घूमते रहते हैं।
अगर कोई ये सोचता है कि वो अनिश्चित काल के लिए धरती पर आया है, तो ये बिल्कुल गलत है। क्योंकि एक एक अटल सत्य है कि जिस किसी ने भी इस धरती पर जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन इस धरती को छोड़कर जाना ही होगा। ये सब तो पहले से ही निर्धारित रहता है कि कौन, कब तक, इस धरती पर समय व्यतीत करेगा। जब एक व्यक्ति अपने जीवन काल को पूरा कर लेता है, तो उसकी मृत्यु हो जाती है। मृत्यु होने पर मृत व्यक्ति का शरीर या जला दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है, लेकिन उस मृत शरीर से जो आत्मा निकलती है, वो दूसरे शरीर को प्राप्त करना चाहती है। क्योंकि आत्मा कभी नहीं मरती है। जीवन समाप्त होने के बाद आत्मा को दूसरे प्राणी के अंदर प्रवेश करना होता है। अगर नया शरीर आत्मा को नहीं प्राप्त होता है, तो वो धरती पर ही भटकती रहती है और अपने आसपास के लोगों को परेशान करती है। यही कारण है कि मरने के उपरांत कुछ नियमों का विशेष रूप से पालन किया जाना चाहिए।
रीती रिवाजों का पालन अगर ठीक प्रकार से होता है, तो आत्मा को मुक्ति प्राप्त करने में दिक्कत नहीं होती है। अगर इन रीति- रिवाजों का पालन परिवार के लोगों के द्वारा न किया जाए तो ऐसा कहा जाता है कि मृत आत्मा को कभी भी शांति नहीं मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। ऐसे में अशांत आत्मा धरती लोक पर ही भटकती रहती है और अपने आसपास के लोगों को परेशान करती रहती है। यदि परिवार में शांति चाहिए तो मृत्यु के बाद के भी जो भी कर्म होते हैं, उन्हें पूरे विधि विधान के साथ निभाना चाहिए। इसमें एक कर्म शव यात्रा का भी होता है। जिसके लिए अर्थी तैयार की जाती है और इस अर्थी में बिठाकर शव को श्मशान घाट तक ले जाया जाता है। अर्थी तैयार करने के बहुत सारे नियम हैं और अर्थी को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए बहुत सारे नियमों का पालन किया जाता है। इसमें एक नियम यह भी है कि अर्थी के ऊपर सिक्कों को उछाला जाता है। लेकिन ऐसा क्यों किया जाता है, इसके बारे में हम आपको आगे इस आर्टिकल में बताने वाले हैं।
अर्थी में बताशे, मखाने और सिक्के क्यों उछाले जाते हैं?
जब भी किसी अर्थी को श्मशान घाट लेकर जाया जाता है तो उसके ऊपर बताशे, मखाने और सिक्के उछाले जाते हैं। इन सबका अलग- अलग महत्व है।
- बताशों को अर्थी पर इसलिए उछाला जाता है ताकि मृत व्यक्ति का आशीर्वाद परिवार पर बना रहे और उन बताशोें की मिठास की तरह ही परिवार में मिठास बनी रहे।
- बताशों के बाद अर्थी पर मखाने इसलिए उछाले जाते हैं ताकि मृत व्यक्ति के जाने के बाद उसके आशीर्वाद से घर में हमेशा शांति रहे और परिवार हमेशा मखानों की तरह ही फल फूलता रहे।
- आखिर में अर्थी पर सिक्के उछाले जाते हैं, ये सिक्के अर्थी की छाती पर रखे जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि ये बताया जा सके कि जिन चंद पैसों के लिए इंसान ने दिन रात मेहनत की है और अपनी जिंदगी गंवा दी है, वो उन्हें भी साथ नहीं ले जा पा रहा है।
अर्थी के सिक्के मिलना शुभ होता है या अशुभ-
अक्सर जब अर्थी पर ये बताशे, मखाने और सिक्के उछाले जाते हैं तो रास्ते में गिर जाते हैं और आने- जाने वालों को मिलते हैं। तो ऐसे में ये सवाल उठता है कि जो अर्थी के सिक्के हमें मिलते हैं, उनका मिलना शुभ होता है या अशुभ।
- अगर आपको रास्ते में अर्थी के सिक्के मिलते हैं, तो उनका मिलना एक शुभ संकेत होता है। अर्थी के सिक्कों का रास्ते में मिल जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि आपके जीवन में जल्द ही कोई बहुत बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है।
- अर्थी के सिक्कों का मिलना इस बात की ओर भी इशारा करता है कि आपको आने वाले जीवन में सफलता हासिल होने वाली है।
- अर्थी के सिक्के मिलने से जितनी भी समस्याएं जीवन में चल रही होती हैं, वो सभी दूर होती हैं और जीवन की हर एक समस्या दूर होती है।
Read This Also: रास्ते में अर्थी दिखना शुभ या अशुभ
Be First to Comment