Press "Enter" to skip to content

कैसे हुआ था लंकापति रावण का अंतिम संस्कार ?

विभीषण ने किया रावण का अंतिम संस्कार, या अभी तक श्रीलंका की गुफाओं में पड़ा है रावण का शव ? जाने रावण की मृत्यु से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें –

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हिंदुओं के पवित्र महाकाव्य रामायण में रावण का चरित्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस महाकाव्य में यदि श्री राम एक नायक के रूप में वर्णित हुए हैं, तो रावण को खलनायक कहना किसी मायने में गलत नहीं होगा।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंका के राजा रावण में अनेक गुण थे। वो अत्यंत शक्तिशाली, अत्यंत विद्वान, वेद पुराणों और शास्त्रों का ज्ञाता था। रावण महान पंडित और शिव जी का परम भक्त था। शिव जी ने रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे चंद्रहास तलवार दी थी। ये एक ऐसी तलवार थी जिसके हाथ में होने पर रावण को तीनों लोक में कोई भी युद्ध में पराजित नहीं कर सकता था। इतना सब होने के बावजूद रावण को युद्ध भूमि में राम के हाथों ना सिर्फ पराजय मिली बल्कि उसकी मृत्यु भी हो गई। रावण का विनाश सिर्फ उसके अहंकार की वजह से हुआ। उसे ऐसा प्रतीत होने लगा था कि दुनिया में उससे अधिक शक्तिशाली कोई नहीं है। वह अपने आपको सर्वश्रेष्ठ समझने लगा था। रावण का यही अहम उसके विनाश का कारण बना।

कैसे हुआ रावण का देहांत ?

रावण का अंतिम संस्कार 3

परम ज्ञानी, महान पंडित एवं अत्यंत बलशाली होने के बावजूद युद्धभूमि में रावण को राम के हाथों मात मिली और उसकी मृत्यु हो गई। हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ रामायण के अनुसार रावण की मृत्यु की मुख्य वजह उसका अहंकार था। सोने की लंका में रहने वाले रावण से बड़ा कोई पंडित नहीं था, लेकिन उसने अहंकार में आकर अपने जीवन काल में इतने कुकर्म किए, जिसकी वजह से उसे प्राणों से हाथ धोना ही पड़ा, साथ में उसके पूरे कुल का भी नाश हो गया।

रावण के अपने पूरे जीवनकाल में कई श्राप मिले थे, जिसकी भरपाई उसके पूरे कुल के विनाश के साथ हुई। आइए जानते हैं रावण को कब, किसने कौन सा श्राप दिया ?

रावण का अंतिम संस्कार 1
  1. रावण की इच्छा थी कि वो पूरे विश्व को जीते। इसकी शुरुआत उसने रघुवंशी कुल के राजा अनारनय के साथ की। दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें राजा अनारनय वीरगति को प्राप्त हुए। मृत्यु से पहले राजा ने रावण को श्राप दिया कि उसी के कुल में जन्म लेने वाले के हाथों रावण का वध होगा। बाद में श्री राम का जन्म भी अनारनय के वंश में ही हुआ था।
  2. रावण को भगवान शिव के रक्षक नंदी बैल का भी श्राप मिला था। शिव जी के परम भक्त रावण ने एक बार नंदी बैल का उपहास किया था। जिससे क्रोधित होकर नंदी ने रावण को श्राप दिया था कि एक वानर की वजह से रावण की पूरी लंका का सर्वनाश हो जायेगा। बाद में श्री हनुमान के माध्यम से ही रावण के कुल के विनाश की शुरुआत हुई।
  3. एक समय की बात है रावण अपने पुष्पक विमान में सवार होकर यात्रा पर निकला था। रास्ते में उसे एक बहुत सुंदर महिला दिखाई दी जो विष्णु जी को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या कर रही थी। महिला की सुंदरता पर मंत्रमुग्ध होकर रावण बलपूर्वक उसे अपने पुष्पक विमान में खींचकर लंका की तरफ ले जाने लगा। रास्ते में महिला ने रावण को ये श्राप देते हुए अपने प्राण त्याग दिए कि एक दिन एक स्त्री ही रावण के मौत की वजह बनेगी। बाद में सीता जी के हरण के बाद ही रावण के मृत्यु की सारी कहानी लिखी गई।
  4. रावण को उसके बड़े भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर ने भी श्राप दिया था। दरअसल स्वर्ग की अप्सरा रंभा का विवाह नलकुबेर के साथ होने वाला था। रावण रंभा की तरफ आकर्षित होने लगा था। बार बार समझाने के बावजूद की वो उसकी बहू है, रावण ने अपने अहंकार में उसकी एक न सुनी। जब नलकुबेर को इस बारे में पता चला, तो क्रोध में आकर उसने रावण को श्राप दिया की जीवन में कभी भी जब वो किसी महिला को उसके इच्छा के बगैर हाथ लगाएगा, तो उसके सिर के 100 टुकड़े हो जायेंगे। रावण का अंत कैसे हुआ ये सबको पता है।
    इसके अलावा रावण की पत्नी मंदोदरी की बहन माया ने भी रावण को मृत्यु का श्राप दिया था। एक समय ऐसा आया था जब मंदोदरी की बहन के प्रति भी रावण की नियत खराब हो गई थी। तब माया ने क्रोधित होकर रावण को श्राप दिया था कि उसकी वासना ही उसकी मृत्यु की वजह बनेगी। रावण का अंत सबको पता है, कि अत्यंत बलशाली, ज्ञानी होने के बावजूद उसके कुकर्मों ने उसका विनाश कर दिया।

कैसे हुआ रावण का अंतिम संस्कार ?

रावण का अंतिम संस्कार 2

रावण के अंतिम संस्कार से जुड़ी भी कई कहानियां वर्णित है। रामायण के अनुसार राम और रावण के बीच हुए युद्ध में रावण के पूरे वंश का नाश हो गया था। इस युद्ध में सिर्फ रावण के छोटे भाई विभीषण ही जिंदा बचे थे, क्योंकि वो राम के चरणों में आ गए थे। युद्धभूमि में जब राम ने रावण का वध किया तो रावण की पत्नी मंदोदरी जोर-जोर से विलाप करने लगीं। तब रावण ने विभीषण को मंदोदरी को सांत्वना देकर रावण का अंतिम संस्कार करने को कहा। पहले तो विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया और कहा कि रावण रिश्ते में भले ही उसका बड़ा भाई था, लेकिन उसके क्रूर कर्मों की वजह से वो रावण का अंतिम संस्कार नहीं कर सकता।


लेकिन फिर श्री राम ने विभीषण को समझाया कि रावण भले ही अधर्मी एवं असत्यवादी रहा हो, लेकिन इस बार से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि वो एक तेजस्वी, बलवान, शूरवीर और शास्त्रों का ज्ञाता था। बैर तभी तक जिंदा रहता है जब तक इंसान जिंदा रहता है। इंसान की मृत्यु के साथ बैर भी खत्म हो जाता है। इस समय ये सिर्फ तुम्हारा भाई है, इसलिए तुम इसका अंतिम संस्कार करो।


मान्यताओं के अनुसार श्री राम के आदेश पर विभीषण ने रत्नपुरा नामक स्थान पर कालू गंगा के तट पर पुरोहित बुलाकर विधि विधान के साथ रावण का अंतिम संस्कार किया। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार विभीषण ने सीता जी के आदेश का पालन करते हुए रावण का अंतिम संस्कार करने के लिए उसके शव को ब्रह्म समाज के ब्राह्मणों को सौंप दिया था। इन ब्राह्मणों ने श्रीलंका के त्रिसिरिपुरंदकोटे नामक स्थान पर रावण का अंतिम संस्कार किया।

रावण का अंतिम संस्कार 4

नोट: श्री लंका की प्राचीन मान्यताओं के अनुसार हजारों साल पहले श्री राम के हाथों रावण की मृत्यु अवश्य हुई थी, लेकिन उसके अंतिम संस्कार के कोई भी साक्ष्य नहीं मिले हैं। वहीं श्री लंका के लोगों की धार्मिक मान्यता है कि रावण आज भी धरती पर मौजूद है। श्री लंका के रागला में घने जंगलों के बीच ऊंचाई पर मौजूद एक गुफा में ममी के रूप में एक ताबूत में रावण का शव मौजूद है। इस ताबूत के नीचे रावण के बेशकीमती खजाने को दबाया गया है।

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *