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रुद्राक्ष क्या होता है ?

ब्लूबेरी बीड्स फल का बीज होता है रुद्राक्ष। इसकी बनावट के आधार पर इसे अलग -अलग प्रकार में विभाजित किया गया है। आगे इस पोस्ट में रुद्राक्ष और इसके हर प्रकार के बारे में विस्तार से पढ़ें –

रुद्राक्ष एक प्रकार का बीज है। ये बीज ‘ब्लूबेरी बीड्स’ नामक फल के अंदर पाया जाता है। रुद्राक्ष के पेड़ का नाम ‘इलियोकार्पस गेनिट्रस’ है। औसत रूप से 50 से 200 फीट के ऊंचाई वाले ये पेड़ उत्तर पूर्वी भारत, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, दक्षिणी पूर्वी एशिया और हिमालय तथा गंगा के मैदानो में पाए जाते हैं। भारत में असम, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, बंगाल, हरिद्वार, बिहार, गढ़वाल और देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्रा में रुद्राक्ष के पेड़ मिलते हैं। दक्षिण भारत में नीलगिरी, मैसूर और कर्नाटक में भी रुद्राक्ष के पेड़ पाए जाते हैं। इसके अलावा गंगोत्री एवं यमुनोत्री के मैदान में भी इसके वृक्ष मौजूद है। अकेले भारत में रुद्राक्ष के पेड़ की 300 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती है।

मलेशिया इंडोनेशिया एवं नेपाल को विश्व में रुद्राक्ष का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है, हालांकि इसके उपयोग के मामले में भारत सबसे आगे हैं। भारत में इसकी खपत सबसे अधिक होती है।

धार्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है रुद्राक्ष

रुद्राक्ष क्या होता है ?

रुद्राक्ष एक ऐसा बीज है जिसे धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है और भगवान शिव के समान ही इसकी पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण करता है, भगवान शिव की कृपा दृष्टि उस व्यक्ति पर सदैव बनी रहती है और उसके सभी दुखों का अंत होता है, सुख एवं समृद्धि मिलती है।

धार्मिक एवं वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण में रुद्राक्ष को पहनने के बहुत सारे फायदे बताए गए हैं। कई शोधों में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि रुद्राक्ष स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहद फायदेमंद होता है। रुद्राक्ष को पहनना या फिर रुद्राक्ष के पानी को पीना दोनो ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। ये कई रोगों को खत्म करने में मददगार होता है। इसके साथ ही रुद्राक्ष को पहनने से आध्यात्म की तरफ झुकाव बढ़ता है और जिससे मानसिक शांति की अनुभूति होती है।

दुनिया में कई तरह के रुद्राक्ष पाए जाते हैं। रुद्राक्ष की बनावट के आधार पर इसे अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है। हर रुद्राक्ष को पहनने के अपने नियम, फायदे और नुकसान होते हैं। करियर की दृष्टि से, राशि के अनुसार अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष को धारण करने की सलाह दी जाती है। आगे पढ़े रुद्राक्ष के अलग-अलग प्रकार के बारे में –

एक मुखी रुद्राक्ष की फोटो

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एक मुखी रुद्राक्ष ओंकार के आकार का होता है। यह दो प्रकार से दिखाई देता है एक गोलाकार और एक काजू के दाने (अर्धचंद्राकार) की तरह। इन दोनों में गोलाकार एक मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ है, जो बहुत मुश्किल से मिलता है। एक मुखी रुद्राक्ष मुख्य रूप से नेपाल के जंगलों में पाए जाते हैं, भारत में असम एवं हिमालय के ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों में एक मुखी रुद्राक्ष पाया जाता है। इसके अलावा हरिद्वार में एक मुखी रुद्राक्ष का एक दुर्लभ वृक्ष मौजूद है एवं मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में भी एक मुखी रुद्राक्ष का पेड़ है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि एक मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के नेत्रों से निकले अश्रु की पहली बूंद जो धरती पर गिरी थी, उससे हुई है।

2 मुखी रुद्राक्ष

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दो मुखी रुद्राक्ष में दो धारियां बनी होती है, जिसे उसके दो मुख के रूप में जाना जाता है।दो मुखी रुद्राक्ष की सबसे अच्छी वैरायटी नेपाल एवं इंडोनेशिया में उगती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दो मुखी रुद्राक्ष के एक मुख में भगवान शिव एवं दूसरे मुख में माता पार्वती का वास होता है, यही वजह है कि यह अर्धनारीश्वर रूप में जाना जाता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष

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पंचमुखी रुद्राक्ष में पांच मुख होते हैं। इस रुद्राक्ष में एक छिद्र से दूसरे छिद्र तक बिना किसी रूकावट के पांच रेखाएं बनी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पांच मुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव के कालाग्री रूप रूप का वास होता है।

6 मुखी रुद्राक्ष

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6 मुखी रुद्राक्ष में 6 धारियां बनी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस रुद्राक्ष को भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है।

सात मुखी रुद्राक्ष

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सात मुखी रुद्राक्ष की सतह पर 7 धारियां बनी होती है। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे भगवान शिव के कामदेव स्वरूप के रूप में पूजा जाता है। सात मुखी रुद्राक्ष को सप्त ऋषियों का प्रतीक एवं साथ माता का मिश्रित स्वरूप माना गया है।

गौरी शंकर रूद्राक्ष

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यह रुद्राक्ष की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति है। प्राकृतिक रूप से जब दो रुद्राक्ष आपस में जुड़ जाते हैं तो दोनों के युग्म के रूप में जो रुद्राक्ष प्राप्त होता है, उसे गौरी शंकर रुद्राक्ष का कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गौरी शंकर रुद्राक्ष को भगवान शिव के शिव शक्ति स्वरूप के रूप में पूजा जाता है।

गणेश रुद्राक्ष

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कुछ रुद्राक्ष में गणेश जी के सूंड के आकार की एक अलग सी धारी उठी हुई दिखाई देती है इस तरह के रुद्राक्ष को गणेश रुद्राक्ष के नाम से जाना जाता है।

गौरीपाठ रुद्राक्ष

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इस रुद्राक्ष को त्रिजुटी या त्रिजुगी रुद्राक्ष के नाम से भी जाना जाता है। प्राकृतिक रूप से जब रुद्राक्ष के तीन दाने एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए होते हैं, तो यह गौरीपाठ रुद्राक्ष के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रुद्राक्ष के इस प्रकार में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का वास बताया जाता है। यह भी रुद्राक्ष की अत्यंत दुर्लभ प्रजाति है, जिसका धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है।

सर्पमुखी रुद्राक्ष

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इस रुद्राक्ष में सर्प के फन के समान धारी बनी होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से सर्प एवं विषैला जीव जंतुओं का भय समाप्त होता है।

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